दीपक निकालजे हैं कौन?
इससे पहले दीपक तीन बार चेंबूर सीट से विधानसभा का चुनाव लड़ चुके हैं, लेकिन तीनों बार हार मिली है. लेकिन दीपक निकालजे की पहचान ये नहीं है. सबसे बड़ी पहचान है डॉन छोटा राजन का भाई होना. फलटन जहां से दीपक चुनाव लड़ रहे हैं उसे छोटा राजन का गढ़ माना जाता है.
दीपक निकालजे के नाम की घोषणा केंद्रीय सामाजिक न्याय राज्य मंत्री रामदास अठावले ने 1 अक्टूबर को की. केंद्रीय मंत्री ने निकालजे के अलावा पांच और नामों की घोषणा भी की. NDA के सीट बंटवारे में अठावले की पार्टी को छह सीटें मिली हैं. सोलापुर की मलशीरस, सतारा की फलटन, नांदेड़ की भंडारा और नायगांव, परभनी की पाठरी और मुंबई की मानखुर्द-शिवाजी नगर सीट.
दीपक ने पहले चेंबूर विधानसभा सीट से चुनाव लड़ा था. सीट बंटवारे के बाद यह सीट शिवसेना के पास चली गई है. इसलिए दीपक को फलटन से टिकट दिया गया है. दीपक को राजनीति का शौक है. हालांकि कहा जाता है कि दीपक का चुनाव लड़ना डॉन छोटा राजन को पसंद नहीं है.
दीपक के बारे में एक और बात कही जाती है. अंडरवर्ल्ड पर एक फिल्म बनी थी. नाम था 'वास्तव'. कहा जाता है कि इसमें दीपक का पैसा लगा था. इसकी एक वजह ये भी है कि फिल्म की कहानी छोटा राजन की जिंदगी से मिलती है. दीपक रियल स्टेट के कारोबार से जुड़े हैं. बॉलीवुड की फिल्में भी प्रोड्यूस करते हैं.
छोटा राजन कौन है?

पुलिस की गिरफ्त में छोटा राजन. फाइल फोटो
डॉन छोटा राजन का असली नाम राजेंद्र सदाशिव निकालजे है. उसका जन्म 1960 में मुंबई के चेम्बूर की तिलक नगर बस्ती में हुआ था. महज 10 साल की उम्र में उसने ब्लैक में फिल्म टिकट बेचना शुरू कर दिया था. इसी बीच वह राजन नायर गैंग में शामिल हो गया. जुर्म की दुनिया में नायर को ‘बड़ा राजन’ के नाम से जाना जाता था. यह नायर का दाहिना था, इसलिए लोग इसे ‘छोटा राजन’ कहने लगे. बड़ा राजन की मौत से बाद छोटा राजन ने पूरे गैंग की कमान संभाल ली. इसी दौरान दाऊद इब्राहिम से उसकी करीबी बढ़ी. दोनों एक साथ मिलकर मुंबई में वसूली, हत्या, तस्करी और फिल्म फाइनेंस का काम करने लगे. 1988 में वह दुबई चला गया. इसके बाद दाऊद और राजन मिलकर भारत ही नहीं पूरी दुनिया में गैर-कानूनी काम करने लगे. मगर 1993 में मुंबई के सीरियल बम ब्लास्ट के बाद दोनों एक दूसरे के दुश्मन हो गए.
1993 का लातूर भूकंप जिसमें 30 हज़ार लोग घायल हुए और 10 हज़ार से ज्यादा लोग मारे गए