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चीते लाए गए थे जंगल गुलजार करने, पर एक साल से बाड़े में ही कैद, खाने का खर्च 24 लाख रुपये

Madhya Pradesh के Kuno National Park में दो साल पहले अफ्रीका से चीतों को लाया गया था. इसका मकसद भारत के जंगलों को फिर से चीतों से गुलजार करना था. लेकिन कुनो नेशनल पार्क की वार्षिक रिपोर्ट की मानें तो यह लक्ष्य हासिल करना मुश्किल लग रहा है.

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कूनो में 24 चीते बाड़े में रखे गए हैं. (फाइल फोटो, आजतक)

भारत के जंगलों में चीतों (Cheetah) की दोबारा वापसी की योजना को गाजे बाजे के साथ शुरू किया गया था. इसमें वादा किया गया था कि चीते फिर से देश के जंगलों में अपनी जगह बनाएंगे. मध्य प्रदेश के कुनो नेशनल पार्क (Kuno National Park) में इनकी आमद हुई थी. सरकार ने अपनी तरफ से इसमें कोई कसर नहीं छोड़ी है. लेकिन कुनो में चीतों के प्रबंधन के लिए बनी सालाना संचालन योजना (APO) की जांच के मुताबिक इस राह में बड़े कांटे हैं. पिछले एक साल से ये चीते बाड़े में ही बंद हैं. और जंगल में छोड़े जाने का इंतजार कर रहे हैं. 

इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, पिछले एक साल से 24 चीते बाड़े में रखे गए हैं. जिनमें 12 ए़डल्ट और 12 शावक शामिल हैं. इनको पिछले साल 13 अगस्त को बाड़े में लाया गया था. जबजुलाई 2023 में सेप्टिसीमिया (बैक्टीरिया का संक्रमण) के चलते तीन एडल्ट चीतों की मौत हो गई थे.

2023 में KNP प्रशासन ने चीतों को रखने के 5 वर्ग किलोमीटर सॉफ्ट रिलीज बोमा (जानवरों को रखने के लिए बाड़ा) बनवाने के लिए 30 लाख रुपये खर्च किए. इसके अलावा चीते पिछले एक साल से बाड़े के भीतर ही हैं. इसलिए उनके लिए मांस खरीदने के लिए 24 लाख रुपये का प्रावधान किया गया है. अधिकारियों के मुताबिक इन पैसों का उपयोग जीवित चारा खरीदने के लिए किया जाएगा.

मध्य प्रदेश के पूर्व प्रधान वन संऱक्षक (वन्यजीव) जेएस चौहान को कुनो नेशनल पार्क के आर्किटेक्ट के तौर पर जाना जाता है. उन्होंने इंडियन एक्सप्रेस से बातचीत में बताया, 

जब हमने इस प्रोजेक्ट की परिकल्पना की थी, तब हमने नहीं सोचा था कि हम चीतों को जीवित चारा देंगे. यह किसी भी मांसाहारी स्थानांतरण प्रोजेक्ट के लिए अच्छा नहीं है.

वहीं कुनो के निदेशक उत्तम शर्मा ने बताया, 

 हमारे पास 18 महीने का एक शावक है जिसे जीवित चारे की जरूरत हो सकती है. हमारे पास माताएं(मादा चीता) भी हैं. जिनको ज्यादा गर्मी में शिकार करने में दिक्कत होती है. इसके अलावा चीता घायल हो जाता है और शिकार नहीं कर सकता तो हम उसको मरने नहीं दे सकते. इसलिए जीवित चारे की व्यवस्था की गई है.

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चीतों के अलावा चार हाथी भी अब कुनो नेशनल पार्क का हिस्सा हैं. वे सपपुड़ा, बांधवगढ़ और कान्हा टाइगर रिजर्व से यहां लाए गए थे. APO के मुताबिक इस साल उनके रखरखाव के लिए 12 लाख रुपये आवंटित  किए गए हैं.

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