Awwww घिस घिस कर घस्सड़ हो गया है. गुनहगार एक मृदुल प्यारा पाकिस्तानी है. अपने यहां के पिच्चर हॉल इस बंदे के आने पर कन्याओं की आवाज से खनकने लगते हैं. ये बंदा है अपना फवाद खान. खैर, अब वो अपना कहां रहा, वो तो सालों पहले किसी और का हो चुका. गद्दार समझने की गुस्ताखी न करिए. यहां जो फवाद किसी दूजे के हुए हैं, ये कहानी फवाद के उसी दूजे होने की है. फवाद की पहली और आखिरी मुहब्बत... फवाद खान मोस्ट एलिजिबल शादीशुदा हैं. कन्याएं उनसे ब्याह करना चाहती हैं, लेकिन प्यारी बिटियाओं अब देर हो चुकी है. फवाद एक दशक पहले 'पराया धन' हो चुका. फवाद जिसे नसीब हुआ, उसका नाम है सदफ.
'सदफ' यानी सीप, जिसमें मोती छिपा रहता है. 'फवाद' का मतलब होता है दिल.
गुहर बना के सदफ़ ने उसे निकाला है
कभी जो बूंद ने दरिया से इंहिराफ़ किया: ग़ुलाम मुर्तज़ा राही
तो जो ये सीप (सदफ) हैं, इन्होंने खुद में दिल (फवाद) को छिपा लिया है. साल 2005 से दोनों लोग साथ हैं. खुश हैं. एक प्यारा सा बच्चा भी है अयान. सदफ-फवाद के रिश्ते की कुल उम्र है 7 साल. आगे पढ़िए फवाद-सदफ की लव स्टोरी की कुछ ऐसी बातें, जिन्हें जानकर फैन्स फवाद के लिए तनिक और So Sweet हो जाएंगे.
1. फवाद खान कराची में पैदा हुए, लेकिन ओरिजनली थे लाहौर से. शुरुआती दिनों में ही कराची छोड़ फवाद लाहौर पहुंच लिए. वहीं लिया प्राथमिक विद्यालय में एडमिशन. विद्यालय का नाम था लाहौर ग्रामर स्कूल. इसी स्कूल की गर्ल्स ब्रान्च में थीं सदफ.
2. फवाद थोड़े शर्मीले थे. घर से ज्यादा बाहर निकलने की परमिशन नहीं थी, पर सदफ से नजर मिल चुकी थी. शर्मीले फवाद ने सदफ से मुहब्बत का खाका दुरुस्त करने के वास्ते ऑनलाइन रास्ता लपका.
3. इंटरनेट पर MIRC नाम की चीज होती है. इसपे जाइए, खुल्लम-खुल्ला चैट कीजिए. यानी पुराने जमाने का व्हॉट्सऐप समझ लीजिए इसे. फवाद ने सदफ से इसी के जरिए दोस्ती बढ़ाई, बात शुरू की.
4. ऑनलाइन का रास्ता तनिक मुश्किल होता है, लेकिन सफलता के पूरे चांसेस रहते हैं. फवाद सदफ के साथ भी यही हुआ. दोनों एक-दूजे के करीब आने लगे.
5. अब फिल्मी सीन की एंट्री करवाते हैं. दरअसल फवाद खान की तबीयत खराब हो जाती है. वो अस्पताल में भर्ती होते हैं, अब तक दोनों सिर्फ ऑनलाइन ही बतियाते थे. बीमार पड़े फवाद को ग्लूकोज के अलावा ताकत देने का काम किया, उसका क्रेडिट वाया फवाद के दोस्तों, सदफ को जाता है. 'सदफ तेरे बारे में पूछ रही थी फवाद.' लाइन काम कर गई. फवाद को लगा ऑनलाइन की बत्ती जलाए रखने से काम हो जाएगा गुरू.
6. गाड़ी आगे बढ़ी. दोनों पहली बार एक-दूजे से मिलने लगे. फवाद सदफ के कॉलेज इतना जाने लगे कि वहां के चौकीदार को लगा ये लड़का कोई स्कूल का एलुमनाई है. फवाद की अपने स्कूल कॉलेज में अटेंडेंस घटने लगी. स्कूल की हाजिरी की फिक्र कोई भला क्यों ही करे, दिल की हाजिरी जहां लगनी चाहिए थी, वहां लगे जा रही थी. :)
7. अरे हां, अब वो उम्र तो जान लो. जब दोनों का प्यार इश्क के मुकामों को पूरा कर रहा था. फवाद 17 के और सदफ 16 बरस की. 'मैं सोला बरस की, तू सतरा बरस का' गाना जैसे इन्हीं के लिए लिखा गया था. दोनों की रिलेशनशिप शुरू हुए 10 दिन ही हुए थे कि फवाद एक रोज सदफ को फोन करते हैं:
फवाद: मैंने फैसला कर लिया है कि मैं अपनी बची हुई पूरी जिंदगी तुम्हारे साथ गुजारना चाहता हूं. क्योंकि मैं बहुत पुराने फैशन का हूं. मैं हैंकी-पैंकी जैसा नहीं हूं.
(रिलेशन के 10 दिन. उम्र 16. आपका बॉयफ्रेंड आपसे ये कह दे तो चाहे जितना 16 बरस की बाली उम्र को सलाम गा लीजिए. बड़े-बड़ों की हिम्मत बोल जाती है. सदफ भी इनसे अलग नहीं थीं.) सदफ: तुम पागल हो क्या फवाद? मैं बस 16 साल की हूं. तुम अभी क्या सोच रहे हो, इसे छोड़ दो. कुछ वक्त बस जिंदगी जी लो.
8. वक्त बीता. दोनों ने एक दूजे को जाना. सीप के भीतर दिल पहुंच चुका था. लेकिन फैमिली वाला ट्विस्ट आना बाकी था. सदफ की फैमिली थोड़ा परंपरावादी थी. दामाद की ख्वाहिश तो थी, लेकिन लड़का नौकरी करे 9 से 5. शाम को घर आए.
9. और फवाद ठहरे रॉकस्टार गुणों से संपन्न चिरंजीवी वर. एक बैंड में सिंगर बनकर करियर शुरू किया. बनना था टीवी एक्टर और सिंगर. लेकिन सदफ की फैमिली ये बात क्यों माने. फवाद ये बात समझते थे. बताते हैं कि कुछ वक्त फवाद ने 9 से 5 की नौकरी की, ताकि घरवालों को इम्प्रेस किया जा सके. दिस प्रोफेशनल पद्धति वर्क्स. फैमिली तैयार हो गई.
10. दोनों की पढ़ाई जैसे ही पूरी हो गई. दोनों के परिवारों ने तारों की छांव में वाला दिन मुकर्रर कर लिया. 12 नवंबर को पढ़ाई पूरे होते ही दोनों ने 12 नवंबर 2005 को कराची में ब्याह कर लिया. एक वो दिन है और एक आज का दिन है. फवाद और सदफ दोनों एक दूजे के लिए एक जैसा दिन बना हुआ है.
सदफ अब क्या कर रही हैं?
डिजाइनर बन गई हैं. कई जगह हाईफाई ठीहों पर 'सिल्क बाय फवाद खान' नाम का ब्रैंड चला रही हैं. उधर खूब बिकता है ये ब्रैंड.
फवाद क्या कर रहे हैं?
धत्त, ये क्या सवाल हुआ. फवाद को जो करना था, सालों पहले कर गए. खुद दिल बनकर सीप में पहुंच लिए. फिर भी आप लोग हैं कि नए युवाओं को मौका नहीं दे रही हैं. छोड़िए फवाद को, न जाने कौन बिल्लू आपका साथ पाकर कल को फवाद बन जाए...
ये स्टोरी 'दी लल्लनटॉप' के लिए विकास ने की थी.
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