श्री कृष्ण ने ब्रज की पावन भूमि में जन्म लेकर रस की जो धारा बहाई. और उसके बारे में हमने जो पढ़ा जाना. उसकी तुलना करना भी बेमानी होगा.
द्वापर युग से शुरू बताई जाने वाली, उनकी कथा और कृष्ण के साथ प्रेमपत्र का कल्चर कलयुग में भी चल रहा है. कृष्ण के लिए कन्याएं आज भी प्रेम पत्र लिखती हैं. देश क्या विदेशों से भी प्रेमपत्र पहुंच रहे हैं. वैलेंटाइन्स-वीक में तो चिट्ठी-पतरी की लाइन लगी हुई है. चिट्ठियां ठाकुर जी तक पहुंचाने का शुभ काम डाकिया जी कर रहे हैं.
चिट्ठी में कन्याओं ने कृष्ण को अपनी दिल की बात सुनाई है. कान्हा के लिए इंग्लैंड, रूस, अमेरिका, कनाडा, ऑस्ट्रेलिया से हज़ार से भी ज्यादा चिट्ठी पहुंची है. कन्याओं ने तो वर के रूप में जिंदगी भर का साथ मांगा है. कुछ ने तो ये भी लिखा है कि वे भगवन को सब कुछ मान चुकी हैं और अब शादी-बियाह भी नहीं करेंगी. भारतीय कन्याओं ने जो चिट्ठी लिखी है उसमे कृष्ण जैसे वर की रिक्वेस्ट की है या फिर जो कृष्णा का भक्त हो.

मंदिर समिति के प्रमुख 'अमर उजाला' अखबार वालों को बताए. हम तो गए नहीं थे पूछने, वो अखबार वाले गए थे. तो उनको पता लगा, कृष्ण भाव के भुक्खड़ हैं, इसलिए कोई उन्हें एक फीलिंग के तौर पर पूजता है तो कोई दोस्त जैसे तो कोई अभिभावक जैसे. हर महीने बीस के करीब ख़त मंदिर वालों तक पहुंचते हैं और वो उन्हें भगवान के पैरों में रख देते हैं.
जब भक्तों की मुराद पूरी होती है तो उनका थैंक्स गिविंग लेटर भी आता है. समिति प्रमुख मानते हैं कि कई कन्या उन्हें प्रेमी मान भी लेटर भेजती हैं. ऐसी चिट्ठी भी आती है जिसमे लड़के, लड़कियां जो एक-दूसरे से प्रेम करते हैं और अपनी शादी के लिए आशीर्वाद मांगते हैं क्योंकि घरवाले अभी उनकी शादी के लिए तैयार नहीं हैं. ये स्टोरी लिखते हुए हमारे न्यूजरूम में 'श्याम जी का लिफाफा' वाला ये गाना बज रहा था. लिफ़ाफ़े में तो चिट्ठी आती है, चिट्ठी प्रेमपत्र भी हो सकती है. स्टोरी भी ऐसी ही है, आप तो बस गाना सुनिए. https://www.youtube.com/watch?v=24PB91lopuY
ये स्टोरी आदित्य झा ने की है.