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भागवत, डोभाल, अंबानी, अडानी... राहुल संसद में ये 4 शब्द बोले, स्पीकर ने कटवा दिए, पता है क्यों?

लोकसभा में बजट पर नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी के भाषण से कुछ लोगों के नामों को हटा दिया गया है. इन पर लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने आपत्ति जताई थी. पता है क्या वजह थी?

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राहुल गांधी की स्पीच में शामिल कुछ शब्दों को संसद के रिकॉर्ड से हटा दिया गया है. (इंडिया टुडे)

कांग्रेस सांसद राहुल गांधी के भाषण पर एक बार फिर से कैंची चली है. 29 जुलाई को बजट पर चर्चा के दौरान उनके भाषण में लिए गए चार लोगों के नाम रिकॉर्ड से हटा दिए गए हैं. नेता प्रतिपक्ष के तौर पर संसद में राहुल गांधी का ये दूसरा भाषण था. इससे पहले जब वे राष्ट्रपति के अभिभाषण पर बोले थे, तब भी उनके भाषण के कई हिस्सों को सदन की कार्यवाही से हटा दिया गया था.

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राहुल गांधी के दूसरे भाषण से चार शब्दों को हटाया गया है - मोहन भागवत, अजित डोभाल, अंबानी और अडानी. राहुल गांधी ने अपनी 45 मिनट की स्पीच के दौरान इन चारों का नाम लिया था. राहुल गांधी के इस बयान पर लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने आपत्ति जताई. और कहा कि जो शख्स इस सदन का सदस्य नहीं है, उसका नाम नहीं लिया जाए. इस पर राहुल गांधी ने कहा कि अगर स्पीकर नहीं चाहते तो वे अजित डोभाल, अडानी और अंबानी का नाम नहीं लेंगे.

बजट पर बोलते समय राहुल गांधी के भाषण के केंद्र में 'चक्रव्यूह' शब्द छाया रहा. राहुल गांधी ने महाभारत युद्ध की चक्रव्यूह संरचना के बारे में जिक्र किया. और बताया कि इसमें डर और हिंसा होती है. 6 लोगों ने अभिमन्यु को चक्रव्यूह में फंसाकर मारा. उन्होंने चक्रव्यूह को पद्मव्यूह बताते हुए कहा कि ये एक उल्टे कमल की तरह होता है.

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राहुल गांधी ने आरोप लगाया,  

एक नया चक्रव्यूह तैयार हुआ है. वो भी लोटस की शेप में है. जिसको आजकल पीएम मोदी छाती पर लगाकर घूमते हैं. उन्होंने कहा कि अभिमन्यु को 6 लोगों ने मारा था. जिनके नाम द्रोण, कर्ण, कृपाचार्य, कृतवर्मा, अश्वस्थामा और शकुनी थे. आज भी चक्रव्यूह के बीच में 6 लोग हैं. चक्रव्यूह के बिल्कुल सेंटर में 6 लोग कंट्रोल करते हैं. जैसे उस टाइम 6 लोग कंट्रोल करते थे. वैसे ही आज भी 6 लोग कंट्रोल कर रहे हैं.

उन्होंने आगे कहा कि देश की जनता को मोदी सरकार ने चक्रव्यूह में फंसा दिया है. जिसमें किसान और युवा सबसे ज्यादा पीड़ित हैं.

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लोकसभा की प्रक्रिया और कार्य संचालन नियमावाली के नियम 380 (निष्कासन) के तहत संसद में दिए गए भाषणों के शब्द हटाए जाते हैं. इसमें कहा गया है कि अगर अध्यक्ष की राय है कि वाद-विवाद में ऐसे शब्दों का प्रयोग किया गया है जो अपमानजनक या अशिष्ट या असंसदीय या अशोभनीय हैं, तो अध्यक्ष अपने विवेक का प्रयोग करके ऐसे शब्दों को सदन की कार्यवाही से निकालने का आदेश दे सकते हैं.

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