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सोनम गुप्ता से पहले ये बन चुके हैं 'नोट लेखकों' का निशाना

सोनम गुप्ता के पीछे पड़ने वालों, इनका हिसाब भी रखो.

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फोटो - thelallantop
आज चारों तरफ सोनम गुप्ता की बेवफाई के चर्चे हैं. सोशल मीडिया से न्यूज वेबसाइट्स तक सोनम ही सोनम है. फेसबुक पर इवेंट भी बन गया है. इस बेवफाई पर संसद तक मार्च होगी. क्रांति तो आजकल सारी सोशल मीडिया पर ही होती है असली. तो ये आंदोलन भी फेसबुक के नाम रहा. पहली बार किसी नोट पर लिखा कुछ इतनी बुरी तरह वायरल हुआ है. लेकिन सिर्फ यही वायरल हुआ, ऐसा न सोचो. इसके अलावा भी बैंक नोटों पर लिखने वालों ने अपना फ़न दिखाया है. ट्विटर तक पर लिखने वालों की क्रिएटिविटी को ज्यादा वर्ड लिमिट मिलती है. पूरे 140. लेकिन नोट के उस गुच्ची से सफेद हिस्से पर लिखना रहता है. वो भी एकदम प्रसिद्धि के लोभ लालच से मुक्त होकर. मतलब एक बार वो लिखा हुआ नोट हाथ से सरक गया तो कौन पूछने आता है कि ये डिजाइन किसका बनाया हुआ है. फिर भी ऐसी लिखा पढ़ी नोटों पर हुई है. देखो कैसे. 1. सबसे पहले तो सोनम गुप्ता का जवाब पढ़ो. सोनम के आशिक ने 10 के नोट पर लिखा था. सोनम ने बदला लिया 10 गुना खर्च करके. 100 के नोट पर लिख दिया. अब लेओ मजा. 1 2. ये कोई कोड वर्ड है. बाबूलाल ने शायद ग्रेजुएशन कंप्लीट किया हो इस दिन. इकनॉमिक्स से बीए किया होगा. या सोशियॉलजी से. लेकिन अंग्रेजी में डिग्री लिखी है तो हो सकता है इसी में किया हो. या इस बीए का मतलब कुछ और हो सकता है. क्या है, ये बाबूलाल जानें. 2 3. ये कोई संजय हैं. शायद फैजाबाद से. भौत जादे हैंडसम और डैशिंग आदमी हैं. पूछो हमको कइसे पता? अरे उन्होंने नोट पर लिख रखा है. ये देखो. फून नंबर भी दिया है. साथ में जरूरी बात भी लिखी है. कि ओनली गर्ल्ज कॉल करें. 7 4. ये सन 8-9 की बात है. जब सर्दी पड़नी शुरू हुई. वैसे तो हर साल सर्दी पड़ती है इधर. लेकिन उस साल ज्यादा था. नहीं तो सोचो. जिसके जेब में नोट रहते हैं उसके कितनी गर्मी रहती है. लेकिन नोट के गांधी जी खुद ठंड के मारे ऐसे हो गए तो सोचो सर्दी कितनी रही होगी. गेम ऑफ थ्रोन्स देखने वाले जोक पकड़ लेंगे. विंटर इज कमिंग. 6 5. सोनम के बाद सोनिया निशाने पर. सोनिया का हार्डकोर आशिक. खुलेआम नोट पर लिखकर किस्सी की डिमांड कर रहा था. ये किस कालखंड की बात है ये आशिक कम लेखक ने नहीं लिखा. 9 6. 4 ये सीरियस केस था. कश्मीर घाटी में हिंदुस्तानी करेंसी पर इस तरह स्टैंप लग रहे थे नोटों पर. 2014 के जुलाई-अगस्त की बात है. अलगाववादियों की साजिश थी ये. पाकिस्तानी मीडिया में ये जोर शोर से फैलाया जा रहा था. नीचे लगे नोट भी इसी मुहिम का नमूना हैं. 5
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