लेबनान (Lebanon) में हिजबुल्लाह (Hezbollah) समूह द्वारा इस्तेमाल किए जाने वाले पेजर्स में विस्फोट (Pagers Blast) हो गया. इन विस्फोटों में कम से कम 9 लोगों की मौत हो गई है और करीब 3 हजार लोग घायल हो गए हैं. कई रिपोर्ट्स में दावा किया गया है कि ये एक ‘टारगेटेड अटैक’ था. ये विस्फोट करीब एक घंटे तक चले. हिजबुल्लाह और लेबनान ने इन विस्फोटों के लिए इजरायल को दोषी ठहराया है. वहीं इजरायल ने इन आरोपों पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है.
पेजर को हैक करना कितना आसान है? और इतने बड़े विस्फोट करना कितना मुश्किल?
Lebanon Pager Blast: कुछ लेबनानी सूत्रों ने बताया है कि जो पेजर फटे थे, वो आधुनिक मॉडल थे. पता चला है कि विस्फोट से पहले डिवाइस गर्म हो गए थे. इजरायल के एक पूर्व एजेंट ने क्या-क्या बताया है?

पहले आपको बताते हैं कि पेजर क्या होता है? पेजर एक तरह की वायरलेस मशीन होती है जिसका इस्तेमाल बातचीत के लिए किया जाता है. इन पेजर्स में टेक्स्ट मैसेज के जरिए बातचीत होती है. कुछ पेजर्स में वॉयस मैसेज की भी सुविधा भी होती है. रॉयटर्स की एक रिपोर्ट के मुताबिक, कुछ लेबनानी सूत्रों ने एजेंसी को बताया कि जो पेजर फटे थे, वो आधुनिक मॉडल थे. ईरान के प्रेस टीवी की एक अन्य रिपोर्ट से पता चलता है कि विस्फोट से पहले डिवाइस गर्म हो गए थे.
पेजर पर मैसेज बिना किसी एन्क्रिप्शन (मैसेज को बिना कोड में बदले, जस का तस) के रेडियो फ्रीक्वेंसी के जरिए भेजे और प्राप्त किए जाते हैं. इसलिए हैकर्स कुछ खास किस्म के रेडियो उपकरणों और सॉफ्टवेयर डिफाइंड रेडियो (SDRs) का इस्तेमाल करते हैं. इन तकनीकों से पेजर कॉम्यूनिकेशन में रूकावट पैदा की जाती है. हैकर्स एक बड़े क्षेत्र में पेजर संदेशों को कैप्चर कर पाते हैं. जो संभावित रूप से अस्पतालों, उद्योगों या सरकारी क्षेत्रों में हजारों यूजर्स को प्रभावित कर सकता है जो अभी भी पेजर सिस्टम पर निर्भर हैं.
हालांकि, कुछ पेजर्स मैसेज एन्क्रिप्शन का भी प्रयोग करते हैं. जो हैकर्स के लिए मैसेज पढ़ने की प्रक्रिया को मुश्किल बनाता है. इसके बावजूद एन्क्रिप्शन सिस्टम की कमियों का फायदा उठाते हुए हैकर्स इसके साथ छेड़छाड़ कर सकते हैं.
Israel के पास हैकिंग तकनीकइजरायल के पास इन एन्क्रिप्टेड डिवाइस को हैक करने के साधन हैं. लेकिन फिर भी इसे पूरी तरह से रिमोट तरीके से हैक नहीं किया जा सकता. इजरायल रक्षा बल (IDF) के एक पूर्व एजेंट ने फोर्ब्स को बताया कि इन उपकरणों में डिलीवरी के पहले ही विस्फोटक लगाया जा सकता था. एजेंट ने बताया कि वीडियो देखकर ऐसा लगता है कि ये विस्फोट किसी भी सामान्य कंप्यूटिंग चिप द्वारा किए जाने वाले विस्फोट से कहीं ज्यादा शक्तिशाली था. उन्होंने आगे कहा कि इन उपकरणों पर सॉफ्टवेयर भी इंस्टॉल किया जा सकता था जो ट्रिगर मैसेज द्वारा विस्फोट कर सकता था.
ये भी पढ़ें: इजरायल ने कहा भारतीय मजदूरों को हुई शुरुआती परेशानी, 'अब सब ठीक है'
न्यूकैसल विश्वविद्यालय में लिथियम आयन बैटरी सुरक्षा के विशेषज्ञ पॉल क्रिस्टेंसन ने समाचार एजेंसी रॉयटर्स को इस बारे में बताया है. उन्होंने कहा है कि पेजर विस्फोटों से होने वाले नुकसान का स्तर अतीत में हुए ऐसे विस्फोटों से अलग लगता है. उन्होंने कहा कि हम जिस बारे में बात कर रहे हैं वो एक अपेक्षाकृत छोटी बैटरी है जो आग में जल रही है. हम यहां किसी घातक विस्फोट की बात नहीं कर रहे हैं. मुझे बैटरियों के ऊर्जा घनत्व के बारे में और अधिक जानने की आवश्यकता होगी, लेकिन मेरी अब तक जितनी जानकारी है उसके हिसाब से ये असंभव है.
वीडियो: दुनियादारी: ईरान पर क्यों भड़का भारत, ख़ामेनई का बयान भारी पड़ेगा?