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कुत्ते ने काटा, वकील पट्टी बांधकर सुप्रीम कोर्ट पहुंचा, CJI चंद्रचूड़ ने क्या कहा?

CJI डीवाई चंद्रचूड़ के सामने कुत्ते के काटने को लेकर वकीलों ने क्या-क्या कहा? क्या कोई फैसला हुआ?

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तस्वीर में CJI चंद्रचूड़ और सड़क के कुत्ते (फोटो - इंडिया टुडे)

कुत्तों के काटने के केस लगातार बढ़ रहे हैं. आए दिन ख़बरें आती हैं. विधानसभा से लेकर हाईकोर्ट्स तक ये मसला उठ चुका है. कुछ ही दिन पहले ग़ाज़ियाबाद का एक वीडियो सोशल मीडिया पर तैरा था: कुत्ते के काटने की वजह से 14 साल के बच्चे ने अपने पिता की गोद में दम तोड़ा. हाल में मामले क्यों बढ़ रहे हैं? इसके पीछे कोई स्पष्ट वैज्ञानिक वजह तो नहीं पता चली, अलग-अलग आकलन हैं. लेकिन अब ये मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया है.

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CJI ने याद दिलाया पुराना वाक़या

11 सितंबर को कुत्ते से कटा एक पीड़ित वकील पट्टी बांधकर सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया. वकील का नाम, कुणाल चटर्जी. लाइव लॉ की रिपोर्ट के मुताबिक़, CJI डीवाई चंद्रचूड़ ने कुणाल की बांह पर चोट देखी और उसके बारे में पूछा. कुणाल ने बताया कि पांच कुत्तों ने उन पर हमला कर दिया था. साथ ही ये मांग की, कि इस गंभीर मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट को कोई फ़ैसला लेना चाहिए. उनका तर्क था कि अलग-अलग हाईकोर्ट ने फैसला सुनाया ही है, सुप्रीम कोर्ट को एक देशव्यापी दिशानिर्देश जारी करना चाहिए.

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कोर्ट में मौजूद सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने ग़ाज़ियाबाद वाले मामले का ज़िक्र किया और कहा कि इस मामले में डॉक्टर और पिता दोनों ही असहाय थे. ये मुद्दा गंभीर है. वरिष्ठ वकील विजय हंसारिया भी कोर्ट और इस चर्चा में मौजूद थे. उन्होंने कहा कि अदालत को इस मामले में स्वत: संज्ञान लेना चाहिए.

जस्टिस नरसिम्हा ने भी स्वीकारा कि ये एक गम्भीर ख़तरा बन गया है. CJI धनंजय चंद्रचूड़ ने भी हामी भरी. बताया कि उनके क्लर्क पर भी कुत्ते ने हमला कर दिया था. हालांकि, फिलहाल सुप्रीम कोर्ट ने कोई आदेश नहीं दिया है.

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एक बात और. सुप्रीम कोर्ट में सड़क पर कुत्तों से होने वाली दिक्कतों को लेकर कई याचिकाएं दायर की गई हैं. जस्टिस जेके माहेश्वरी और जस्टिस केवी विश्वनाथन की बेंच याचिकाओं पर विचार कर रही है. याचिकाओं में केरल और बॉम्बे हाई कोर्ट्स को भी रखा गया है. जुलाई में केरल हाई कोर्ट ने राज्य सरकार को निर्देश दिया था कि वो नगर निगमों के ज़रिए टीकाकरण चलाएं और आवारा कुत्तों के लिए रहने का बंदोबस्त करें. इससे पहले, अप्रैल 2023 में बॉम्बे हाई कोर्ट के सामने भी इसी मामले से जुड़ी याचिकाएं थीं. तब अदालत ने कहा था, 'कुत्तों से नफ़रत करना या उनके साथ क्रूरता करना कभी भी नागरिक समाज के लिए स्वीकार्य दृष्टिकोण नहीं हो सकता.'

वीडियो: कुत्तों के हमलों के बीच कुत्तों पर सरकार ने क्या बताया?

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