बिहार की राजनीति से एक बार फिर ख़बरें निकल रही हैं. ख़बरें कह रही हैं कि सत्ताधारी पार्टी जनता दल यूनाइटेड के अध्यक्ष ललन सिंह और पार्टी के सबसे बड़े नेता, राज्य के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के बीच खट-पट है. ख़बर ये भी कह रही है कि ललन सिंह इस्तीफ़ा दे सकते हैं. ऐसी ख़बरें पहले भी आई हैं. ठीक 13 बरस पहले. तब ये ख़बर सही साबित हुई थी और ललन सिंह ने पार्टी छोड़ दी थी. 3 साल बाद नीतीश-ललन फिर साथ आए थे. लेकिन अब एक बार फिर अलगाव की ख़बरें हैं.
कौन हैं ललन सिंह, जिन्हें पता है नीतीश कुमार के 'पेट में दांत' हैं?
बिहार में नीतीश कुमार की पार्टी जनता दल यूनाइटेड से ललन सिंह (JDU President Lalan Singh) के इस्तीफ़े की अटकलें लग रही हैं. हालांकि पार्टी लगातार कह रही है कि ऐसा कुछ नहीं होने वाला.

राजीव रंजन सिंह उर्फ ललन सिंह इस समय जदयू के अध्यक्ष हैं. नीतीश कुमार के साथ ही ललन सिंह ने भी जेपी आंदोलन से अपनी सियासी पारी की शुरुआत की थी. वो नीतीश के क्लासमेट भी रह चुके हैं. वो मुंगेर से सांसद हैं और जेडीयू का भूमिहार चेहरा माने जाते हैं. चारा घोटाला मामले में लालू यादव के खिलाफ पटना हाईकोर्ट में याचिका दायर करने वालों में ललन सिंह का भी नाम शामिल था.
2010 में खुद ललन सिंह पर पार्टी फंड का गलत इस्तेमाल करने का आरोप लगा, जिसके चलते उन्हें पार्टी भी छोड़नी पड़ी थी. हालांकि, बाद में नीतीश और ललन में सुलह हो गई. फिर वो विधान परिषद के सदस्य बने और बिहार सरकार के मंत्रिपरिषद में शामिल हुए थे. पूर्व केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली के साथ मिलकर ललन सिंह ने ही साल 2017 में आरजेडी-जेडीयू गठबंधन खत्म करवाया था और एनडीए में वापसी कराई थी. और बाद में बीजेपी के साथ गठबंधन खत्म करवाने में भी ललन सिंह ने प्रमुख भूमिका निभाई. इस समय ललन सिंह, नीतीश कुमार के सबसे भरोसेमंद चेहरों में से एक हैं.
(ये भी पढ़ें- INDIA गठबंधन की बैठक में भनभना गए नीतीश कुमार, आखिर स्टालिन ने ऐसा क्या बोल दिया)
2010 वाले अलगाव की कहानीइससे पहले नीतीश कुमार और ललन सिंह के बीच 2010 मे भी बड़ा विवाद हुआ था. फरवरी 2010 की बात है. नीतीश कुमार का एक कार्यकाल पूरा हो चुका था और दूसरे के लिए वो चुनाव में उतरने वाले थे. वो लगातार राज्य की विकास दर 11.03 फीसदी पहुंचाने के लिए अपनी सरकार की पीठ ठोंक रहे थे. इसी बीच एक रोज़ पार्टी के बड़े नेता और सवर्ण चेहरे ललन सिंह ने पार्टी छोड़ने का ऐलान कर दिया. कहा कि नीतीश कुमार अहंकारी और खुद को केंद्र में रखने की अप्रोच के साथ सरकार चला रहे हैं.
ललन सिंह को पार्टी के तमाम सवर्ण नेताओं का साथ मिलता दिखने लगा. नीतीश के ख़िलाफ़ आवाज़ मुखर होने लगी. इसी बीच आरोप लगाए गए कि आबकारी विभाग में 500 करोड़ रुपये से ज़्यादा का घोटाला किया गया और मुख्यमंत्री को इसकी जानकारी थी. आनन-फानन में आबकारी मंत्री जमशेद अशरफ को हटाया गया. इधर पार्टी चुनाव में उतरी और जीत गई. नीतीश फिर मुख्यमंत्री बने और बात आई-गई हो गई.
इसी अलगाव के बीच ललन सिंह ने वो चर्चित बयान भी दिया था-
"नीतीश कुमार के पेट में कहां-कहां दांत हैं, वो बस लालू यादव जानते हैं और मैं जानता हूं. हम लोग उन्हें 24 साल से जान रहे हैं. चिंता मत करिए. सर्जरी करके सारे दांत निकाल देंगे."
हालांकि 3 साल में ही दोनों का एका हो गया और ललन सिंह की जदयू में वापसी हो गई. 2014 में उन्हें मुंगेर से लोकसभा का टिकट दिया गया, लेकिन वो लोजपा की वीणा देवी से हार गए. फिर वो बिहार विधानपरिषद के सदस्य बने. 2019 में उन्हें फिर से मुंगेर से लोकसभा टिकट दिया गया. इस बार वो जीते और इसी साल जदयू के अध्यक्ष भी बन गए.
वीडियो: JDU नेता ललन सिंह की मीट पार्टी, बिहार में नेता विपक्ष विजय सिन्हा ने पूछा- शहर के कुत्ते कहां गए?