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'भूत' ने FIR की, बयान दिया, फिर मुकदमा भी लड़ा! यूपी में 10 साल तक कैसे चलती रही ये 'भूतिया' कहानी

UP News: घटना उत्तर प्रदेश के कुशीनगर में ज़मीन को लेकर 2014 में FIR हुई थी, चार्जशीट भी दाखिल हो गई. पर पता चला कि रपट लिखवाने वाला शख्स 2011 में ही मर चुका था. यानी एफआईआर लिखे जाने के तीन साल पहले... अब Allahabad High Court ने जिले के पुलिस अधीक्षक ने इसका जवाब मांगा है.

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इलाहाबाद हाइकोर्ट ने एसपी को जांच के आदेश दिए हैं (फोटो-इंडिया टुडे)

कुशीनगर से एक हैरान कर देने वाला वाकया सामने आया है. यहां एक मरे हुए इंसान ने एक ही परिवार के पांच लोगों के खिलाफ एफआईआर (FIR) लिखवाई. जांच अधिकारी ने बयान दर्ज कर चार्जशीट भी दाखिल कर दी. मामला ट्रायल कोर्ट में चला, फिर इलाहाबाद हाई कोर्ट पहुंचा. हाई कोर्ट के जज के सामने जब केस की फ़ाइल खुली तो जज ने भी सिर पकड़ लिया.

क्या है पूरा मामला?

कुशीनगर के हाटा थाना क्षेत्र में पुरुषोत्तम सिंह रहते हैं. उन पर जमीन से जुड़े एक मामले में 2014 में एफआईआर हुई थी. मामले में पुरुषोत्तम सिंह के दो भाई और दो बेटों को भी आरोपी बनाया गया था. इस मामले में जांच अधिकारी ने एफआईआर कराने वाले शब्द प्रकाश का बयान दर्ज किया और चार्जशीट दाखिल कर दी. मामला जब इलाहाबाद हाईकोर्ट (Allahabad High Court) में पहुंचा. तब भी एफआईआर करने वाले शब्द प्रकाश ने याचिका का विरोध करने के लिए हाईकोर्ट में दाखिल किए गए हलफनामे पर अपने दस्तखत भी किए. पर यहीं इस केस में झोल है.

'भूत' ने किया केस

इस मामले में साल 2014 में एफआईआर हुई थी. पर एफआईआर कराने वाले शब्द प्रकाश 2011 में ही मर चुके हैं. इस केस के खिलाफ अपील करने वाले पुरुषोत्तम सिंह के वकील ने मृतक शब्द प्रकाश की पत्नी ममता द्वारा दिए गए मृत्यु प्रमाण पत्र को भी शामिल किया. मामले की सुनवाई करते हुए हाइकोर्ट ने आरोपी पुरुषोत्तम सिंह और उसके परिजनों के खिलाफ दाखिल आरोप पत्र को रद्द कर दिया है. कोर्ट ने इस मामले में कुशीनगर के एसपी को मामले की जांच के आदेश दिए हैं. कोर्ट ने कहा कि पुलिस अधीक्षक जांच कर पता लगाएं कि जांच अधिकारी ने किसी 'भूत' का बयान कैसे दर्ज कर लिया.

मामले पर सुनवाई करते हुए जस्टिस सौरभ श्याम शमशेरी ने कड़ी नाराजगी जताते हुए हाईकोर्ट बार एसोसिएशन के अध्यक्ष को भी इस आदेश की प्रति  भेजी है.  आदेश की प्रति भेजते हुए जज ने मृतक वादी शब्द प्रकाश के नाम से वकालतनामा दाखिल करने वाले वकील विमल पांडे को भी भविष्य में सतर्क रहने की सलाह देने को कहा है.

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