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ऑटो ड्राइवर की 'जय श्री राम' का नारा न लगाने पर पिटाई, FIR में सांप्रदायिकता का जिक्र ही नहीं!

Bengaluru Muslim Assault Case: पुलिस ने मामले में कथित मारपीट का मामला दर्ज किया है. पुलिस पर मारपीट की सांप्रदायिक प्रकृति को न दिखाने की कोशिश करने का आरोप लग रहा है. क्या है पूरा मामला?

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ऑटो ड्राइवर वसीम अहमद ने कई गंभीर आरोप लगाए हैं. (फ़ोटो- सोशल मीडिया)

बेंगलुरु में 35 साल के ऑटो ड्राइवर वसीम अहमद की कथित पिटाई को लेकर विवाद हो गया है. इसे लेकर दो तरह की बातें सामने आ रही हैं. ऑटो ड्राइवर वसीम का आरोप है कि 'जय श्री राम' का नारा न लगाने के चलते उस पर हमला किया गया. जबकि स्थानीय पुलिस ने दावा किया कि पीड़ित ने नारे के बारे में उनसे कुछ भी नहीं कहा था. इधर वसीम का दावा है कि उसने अपने बयान में पुलिस से इसका ज़िक्र किया था.

पुलिस ने मामले में मारपीट का मामला दर्ज किया है. ऐसे में पुलिस पर मारपीट की सांप्रदायिक प्रकृति को न दिखाने की कोशिश करने का आरोप लग रहा है.

वसीम ने क्या बताया?

रविवार, 22 जून को वसीम अपने दोस्त समीर (जो एक मैकेनिक है) के साथ ऑटो चला रहा था. दोनों हेगड़े नगर में एक खाली जगह पर शौच के लिए रुके. इस दौरान, पास में बैठकर शराब पी रहे आरोपियों ने उनसे पूछताछ की. उन लोगों ने दोनों की पहचान पूछी और पूछा कि वो क्यों रुके हैं. वसीम ने द हिंदू को बताया,

जब मैं उनसे बात करने की कोशिश कर रहा था, तो उन्हें एहसास हुआ कि मैं मुसलमान हूं. ऐसे में उन्होंने मुझ पर हमला करना शुरू कर दिया. उन्होंने मुझसे जय श्री राम का नारा लगाने को कहा. जिसे मैंने मना कर दिया. वो भड़क गए और मुझे लात-घूंसे मारने लगे.

ऑटो ड्राइवर वसीम के मुताबिक़, मुसीबत को भांपते हुए समीर मौक़े से भाग गया और वसीम फंस गया. वसीम ने आगे बताया,

वहां क़रीब आठ लोग थे और उन्होंने मुझे बुरी तरह पीटना शुरू कर दिया. बाद में उनमें से एक ने मुझ पर दया दिखाई और ऑटोरिक्शा स्टार्ट करने और घटनास्थल से भागने में मेरी मदद की.

फिर घर पहुंचकर वसीम अहमद ने अपनी आपबीती अपने परिवार के सदस्यों को बताई और उनकी सलाह पर पुलिस से संपर्क किया. वसीम को तुरंत मेडिकल जांच के लिए येलहंका जनरल अस्पताल भेजा गया. फिर संपिगेहल्ली पुलिस ने मारपीट का मामला दर्ज किया. इसमें धाराएं थीं- शांति भंग करने के इरादे से जानबूझकर अपमान करने, आपराधिक धमकी, मारपीट और ग़लत तरीके से रोकने की.

नोट करने वाली बात है कि इसमें मारपीट के सांप्रदायिक पहलू का कोई ज़िक्र नहीं है. जिया नोमानी बेंगलुरु स्थित लॉ एंड पॉलिसी रिसर्च इंस्टीट्यूट से जुड़े कार्यकर्ता हैं. जिन्होंने वसीम को पुलिस में शिकायत दर्ज कराने में मदद की थी. जिया नोमानी ने कहा कि वसीम ने उन्हें बताया था कि 'जय श्री राम' का नारा न लगाने पर उसके साथ मारपीट की गई. यहां तक ​​कि उसके ख़िलाफ़ धार्मिक गालियां भी दी गईं. इसके बावजूद पुलिस मारपीट की सांप्रदायिक प्रकृति को रिकॉर्ड में न लाकर मामले को कमजोर करने की कोशिश कर रही है.

पुलिस ने क्या कहा?

पुलिस ने कहा कि वो अब भी हमले के पीछे की वजह का पता लगा रहे हैं. उनकी जांच में नारे से संबंधित किसी उकसावे की पुष्टि नहीं हो पाई है. इंडियन एक्सप्रेस की ख़बर के मुताबिक़, DCP सजीथ वीजे ने बताया कि वसीम की शिकायत में नारे से संबंधित किसी उकसावे का उल्लेख नहीं है. उन्होंने कहा,

हम इसकी फिर से पुष्टि करेंगे. लेकिन शुरुआती जांच में तो यही पता चला है कि पीड़ित व्यक्ति ने जो दावे किये, उसके संकेत नहीं मिलते हैं.

पुलिस के मुताबिक़, अधिकारियों ने दो या तीन गवाहों के बयान दर्ज किए हैं. जिनमें पास के एक संस्थान का चौकीदार भी शामिल है. जिसने कथित तौर पर हमलावरों को वसीम को कुछ भी नारे लगाने के लिए मजबूर करते नहीं देखा. पुलिस ने जांच के हिस्से के रूप में वसीम का वीडियो बयान भी दर्ज किया है.

संपिगेहल्ली पुलिस के मुताबिक़, घटना में शामिल सभी लोग स्थानीय निवासी हैं. मामला दर्ज कर संदिग्धों की तलाश शुरू कर दी गई है.

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