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ईरान की न्यूक्लियर साइट्स को नुकसान नहीं, रिपोर्ट लीक हुई तो अपनी ही इंटेलिजेंस को कोसने लगे ट्रंप

US Defence Intelligence Agency की रिपोर्ट में गया है कि जैसे-जैसे और अधिक खुफिया जानकारी उपलब्ध होगी, इसमें बदलाव हो सकता है. लेकिन शुरुआती निष्कर्ष को देखें तो ये President Donald Trump के बार-बार किए जा रहे दावों से काफी अलग है.

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ट्रंप अपनी ही इंटेलिजेंस की रिपोर्ट को नकार रहे हैं (PHOTO- Wikipedia/Aajtak)

ईरान की तीन परमाणु फैसिलिटीज़ (US Attacks Iran Nuclear Sites पर अमेरिकी सैन्य हमलों ने ईरान के न्यूक्लियर प्रोग्राम के मुख्य हिस्सों को नष्ट नहीं किया. हां, इतना जरूर है कि इस हमले ने ईरान के प्रोग्राम को केवल कुछ महीनों पीछे धकेला है. ये कहना है अमेरिका के एक खुफिया आकलन का. इस आकलन के अनुसार, इस अटैक की जानकारी रखने वाले सात लोगों का येे कहना है कि राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप (Donald Trump) द्वारा किए जा रहे दावे सही नहीं हैं.

CNN की रिपोर्ट के मुताबिक इस आकलन को पहले रिपोर्ट नहीं किया गया था. इसे डिफेंस इंटेलिजेंस एजेंसी (DIA), पेंटागन की खुफिया शाखा द्वारा तैयार किया गया है. CNN के सूत्रों में से एक ने कहा कि यह आकलन ईरान पर अमेरिकी हमलों के बाद अमेरिकन सेंट्रल कमांड द्वारा किए गए नुकसान के अनुमान (Battle Damage Assessment) पर आधारित है.

रिपोर्ट में ये भी कहा गया है कि जैसे-जैसे और अधिक खुफिया जानकारी उपलब्ध होगी, इसमें बदलाव हो सकता है. लेकिन शुरुआती निष्कर्ष को देखें तो ये राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप के बार-बार किए जा रहे दावों से काफी अलग है जिसमें वो बार-बार कह रहे हैं कि हमलों ने ईरान की परमाणु संवर्धन फैसिलिटीज़ को ‘पूरी तरह से नष्ट’ कर दिया है. सेक्रेटरी ऑफ डिफेंस पीट हेगसेथ ने भी 22 जून को कहा कि ईरान की परमाणु महत्वाकांक्षाएं ‘नष्ट' हो गई हैं.

आकलन की जानकारी रखने वाले दो लोगों ने कहा कि ईरान के संवर्धित यूरेनियम के भंडार को भी नष्ट नहीं किया गया है. एक दूसरे सोर्स ने कहा कि खुफिया जानकारी के अनुसार संवर्धित यूरेनियम को अमेरिकी हमलों से पहले ही साइट्स से हटा दिया गया था. इस व्यक्ति ने CNN से कहा, 

DIA का आकलन है कि अमेरिका ने उन्हें शायद कुछ महीने पीछे धकेला है. 

दूसरी तरफ वाइट हाउस ने ये तो स्वीकार किया है कि DIA की ओर से कोई आकलन हुआ है. लेकिन वह इससे असहमत हैं. वाइट हाउस की प्रेस सेक्रेटरी कैरोलिन लेविट ने CNN को बताया

यह कथित आकलन पूरी तरह से गलत है और इसे 'अति गोपनीय' की कैटेगरी में रखा गया था. लेकिन फिर भी इंटेलिजेंस में काम करने वाले एक अनाम, निम्न-स्तरीय और हारे हुए व्यक्ति द्वारा CNN को लीक कर दिया गया. इस कथित आकलन को राष्ट्रपति ट्रंप को नीचा दिखाने के लिए लीक किया गया है. ईरान के परमाणु प्रोग्राम को नष्ट करने के लिए हमारे बहादुर लड़ाकू पायलट्स ने शानदार मिशन को अंजाम दिया. लेकिन इसे लीक करना उन्हें बदनाम करने का एक स्पष्ट प्रयास है. हर कोई जानता है कि जब आप 30,000 पाउंड के 14 बम कहीं गिराते हैं तो क्या होता है, सिर्फ और सिर्फ पूर्ण विनाश.

अमेरिकी सेना ने कहा है कि ऑपरेशन योजना के अनुसार चला और यह जबरदस्त सफलता थी. वहीं प्रेसिडेंट ट्रंप ने भी ट्रुथ सोशल पर पोस्ट कर CNN की रिपोर्ट पर आपत्ति जताई है. उन्होंने लिखा

फर्जी खबरें. सी.एन.एन. और असफल न्यू यॉर्क टाइम्स ने मिलकर इतिहास के सबसे सफल सैन्य हमलों में से एक को बदनाम करने की कोशिश की है. ईरान में परमाणु स्थल पूरी तरह से नष्ट हो गए हैं. टाइम्स और सी.एन.एन. दोनों को जनता की आलोचना का सामना करना पड़ रहा है.

ईरान की न्यूक्लियर साइट्स को कितना नुकसान हुआ है, ये आने वाले समय में साफ हो जाएगा. लेकिन इतना तय है कि अमेरिकन इंटेलिजेंस की रिपोर्ट ने ट्रंप प्रशासन को टेंशन में डाल दिया है. मिडिल-ईस्ट को देखें तो फिलहाल ईरान और इजरायल के बीच सीजफायर लागू है. दोनों देश 12 दिनों तक चले इस संघर्ष में नुकसान की भरपाई में लगे हैं.

वीडियो: दी लल्लनटॉप शो: इज़रायल और ईरान के बीच सीजफायर कितने दिन तक टिक पाएगा?