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बीजेपी विधायक कृष्णानंद राय हत्याकांड में फैसला, मुख्तार अंसारी ने नहीं करवाई थी हत्या

दिल्ली की कोर्ट ने हत्या के सभी आरोपियों को रिहा किया

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कृष्णानंद राय की हत्या के मामले में मुख्तार अंसारी समेत सातों आरोपियों को सीबीआई की स्पेशल कोर्ट ने बरी कर दिया है.
बीजेपी के विधायक रहे कृष्णानंद राय हत्याकांड में दिल्ली की राउज एवेन्यू कोर्ट का फैसला आ गया है. कोर्ट ने मुख्तार अंसारी, उनके बड़े भाई अफजाल अंसारी और हत्याकांड के मुख्य आरोपी मुन्ना बजरंगी को इस हत्याकांड में निर्दोष करार दिया है. इनमें से मऊ से विधायक मुख्तार अंसारी अभी जेल में बंद हैं, जबकि अफजाल अंसारी गाज़ीपुर से बीएसपी के सांसद चुने गए हैं. मुन्ना बजरंगी की जेल में हत्या हो चुकी है.
क्या है मामला?
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बीजेपी के विधायक कृष्णानंद राय की नवंबर, 2005 में एके 47 से छलनी कर हत्या कर दी गई थी.

कृष्णानंद राय बीजेपी के विधायक थे. गाजीपुर की मोहम्मदाबाद विधानसभा से 2002 में विधायक बने थे. रहने वाले गाज़ीपुर के ही गोडउर गांव के थे. 29 नवंबर, 2005 को कृष्णानंद राय करीमुद्दीनपुर इलाके के सोनाड़ी गांव में एक क्रिकेट मैच के उद्धाटन में पहुंचे थे. बारिश का मौसम था, तो उन्होंने अपनी बुलेट प्रुफ कार छोड़ दी थी और साथियों को लेकर सामान्य गाड़ी से चले गए थे. क्रिकेट मैच का उद्घघाटन करने के बाद शाम के करीब 4 बजे वो अपने गांव गोडउर लौट रहे थे. रास्ते में बसनियां चट्टी के पास उनके काफिले को कुछ लोगों ने घेर लिया और एके 47 से फायरिंग कर दी. गाड़ी बुलेट फ्रुफ नहीं थी, जिससे कृष्णानंद राय और छह और लोगों की मौके पर ही मौत हो गई.
सात लोगों की हुई थी हत्या
कृष्णानंद राय की हत्या में मुन्ना बजरंगी का भी नाम आया था, जिसकी जेल में हत्या कर दी गई.
कृष्णानंद राय की हत्या में मुन्ना बजरंगी का भी नाम आया था, जिसकी जेल में हत्या कर दी गई.

मरने वालों में कृष्णानंद राय के अलावा मोहम्मदाबाद के पूर्व ब्लॉक प्रमुख श्यामाशंकर राय, भांवरकोल ब्लॉक के मंडल अध्यक्ष रमेश राय, अखिलेश राय, शेषनाथ पटेल, मुन्ना यादव और कृष्णानंद राय के बॉडीगार्ड निर्भय नारायण उपाध्याय थे. पुलिस ने बताया था कि करीब 400 राउंड फायरिंग हुई थी, जिसमें मरने वाले लोगों के शरीर से 67 गोलियां निकाली गई थीं. हत्याकांड के बाद कृष्णानंद राय की पत्नी अलका राय ने मऊ के विधायक मुख्तार अंसारी, उनके भाई और सांसद अफजाल अंसारी के साथ ही कुख्यात शूटर मुन्ना बजरंगी के खिलाफ हत्या का केस दर्ज करवाया था.
पूर्वांचल में एक हफ्ते तक चलता रहा था हंगामा
कृष्णानंद राय की हत्या के बाद पूर्वांचल में खूब हंगामा हुआ था. बीजेपी की ओर से राजनाथ सिंह विरोध प्रदर्शन को लीड कर रहे थे.
कृष्णानंद राय की हत्या के बाद पूर्वांचल में खूब हंगामा हुआ था. बीजेपी की ओर से राजनाथ सिंह विरोध प्रदर्शन को लीड कर रहे थे.

बीजेपी के विधायक कृष्णानंद राय का इलाके के युवा लड़कों में खूब क्रेज था. कृष्णानंद राय की देखादेखी नए लड़के चुटिया रखने लगे थे. लेकिन 29 नवंबर, 2005 को जब कृष्णानंद राय की हत्या हो गई, तो पूरे पूर्वांचल में हंगामा हो गया. हत्याकांड के विरोध में एक हफ्ते तक गाजीपुर, बलिया, बनारस और आजमगढ़ में आगजनी-तोड़फोड़ होती रही. इसके अलावा बिहार के भी बक्सर, आरा और छपरा में हंगामा होने लगा था. यूपी में सरकार मुलायम सिंह यादव की थी और हत्या बीजेपी विधायक की हुई थी. लिहाजा यूपी के पूर्व मुख्यमंत्री राजनाथ सिंह ने खुद विरोध प्रदर्शन का मोर्चा संभाल रखा था और सीबीआई जांच की मांग कर रहे थे.
हाई कोर्ट ने दिए थे सीबीआई जांच के आदेश

कृष्णानंद राय की पत्नी अलका राय ने मामले की सीबीआई से जांच करवाने की मांग की थी. सीबीआई जांच हुई और अब सभी को बरी करने का फैसला आ गया.

कृष्णानंद राय की पत्नी अलका राय ने सीबीआई जांच की मांग को लेकर इलाहाबाद हाई कोर्ट में एक याचिका दाखिल की थी. कोर्ट ने याचिका पर सुनवाई करते हुए सीबीआई जांच का आदेश दे दिया. इसके अलावा अलका राय ने एक याचिका सुप्रीम कोर्ट में भी दाखिल की और कहा कि मामले की सुनवाई दूसरे राज्य में की जाए. सुप्रीम कोर्ट इस बात पर सहमत हो गया और मामले की सुनवाई दूसरे प्रदेश में करने का आदेश दे दिया. केस दिल्ली ट्रांसफर हो गया और जांच सीबीआई करने लगी. सीबीआई ने अपनी जांच में गाज़ीपुर के पूर्व सांसद अफजाल अंसारी, मऊ के विधायक मुख्तार अंसारी, मुन्ना बजरंगी, अताउर रहमान उर्फ बाबू, संजीव महेश्वरी उर्फ जीवा, फिरदौस, राकेश पांडेय उर्फ हनुमान, और मुहम्मदाबाद नगर पालिका चेयरमैन एजाजुल हक को आरोपी बनाया था. इनमें से अफजाल अंसारी को कोर्ट ने जमानत दे दी थी. मुख्तार अब भी जेल में हैं. मुन्ना बजरंगी की जेल में हत्या हो चुकी है. फिरदौस मुंबई पुलिस की मुठभेड़ में मारा जा चुका है. और अताउर रहमान उर्फ बाबू खां अब भी फरार है, जिसकी तलाश इंटरपोल कर रहा है.
दिल्ली सीबीआई कोर्ट ने सभी को बरी कर दिया
हत्या के करीब साढ़े 13 साल के बाद सीबीआई कोर्ट ने 3 जुलाई को फैसला दिया. सीबीआई की स्पेशल कोर्ट ने कृष्णानंद राय हत्याकांड से जुड़े सभी सात आरोपियों को बरी कर दिया.

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