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Mi-17 - वायुसेना के सबसे भरोसेमंद हेलिकॉप्टर्स में से एक क्यों है?

सेना के इस अत्याधुनिक ट्रांसपोर्ट हेलिकॉप्टर में प्रधानमंत्री-राष्ट्रपति भी सफर करते हैं.

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साइबर सिक्योरिटी एक्सपर्ट ने कहा हैकिंग असंभव नहीं लेकिन मुश्किल

तारीख 8 दिसंबर 2021, दिन बुधवार. दोपहर के वक्त एक खबर आई. तमिलनाडु के कुन्नूर में भारतीय वायुसेना का हेलिकॉप्टर क्रैश हुआ. इस हेलिकॉप्टर में CDS जनरल बिपिन रावत के साथ उनकी पत्नी भी मौजूद थीं. घटना की तस्वीरें डराने वाली हैं.

इंडियन एयरफोर्स ने अपने ऑफिशल ट्विटर हैंडल से दुर्घटनाग्रस्त विमान के बारे में जानकारी दी. बताया कि यह Mi-17V5 हेलिकॉप्टर है. इसका इस्तेमाल कहां होता है. इसकी खासियत क्या है. आइए यह भी जान लेते हैं.


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कन्नूर में क्रैश हुआ हेलिकॉप्टर Mi 17V5

Mi-17V5 एक मिलिटरी ट्रांसपोर्ट हेलिकॉप्टर है. माने सेना के साज़ो सामान और सैनिकों को अलग-अलग स्थानों तक पहुंचाने के लिए इसका इस्तेमाल किया जाता है. मिसाल के लिए किसी मिशन के लिए एक सैनिक टुकड़ी को ले जाना. उसे मिशन के दौरान सामान पहुंचाना. और फिर सभी को वापस लाना.
Mi-17V5 को कजान हेलिकॉप्टर्स नाम की एक कंपनी तैयार करती है. यह कंपनी रशियन (रूस) हेलिकॉप्टर्स की ही एक सहायक कंपनी है. Mi-17V5 को दुनिया के मोस्ट अडवांस्ड (अत्याधुनिक) ट्रांसपोर्ट हेलिकॉप्टर्स में से एक माना जाता है. इसमें दो इंजन लगे होते हैं और ये अपने साथ 4 टन सामान या 36 सैनिक ले जा सकता है. केबिन के अलावा ये हेलिकॉप्टर सामान को अपने नीचे टांग कर भी ले जा सकता है. अगर केबिन में सामान न हो, तो इस हेलिकॉप्टर के नीचे 5 टन तक सामान बांधकर ले जाया जा सकता है. ये 230-250 किलोमीटर प्रतिघंटा की रफ्तार से उड़ सकता है और 675 किलोमीटर तक जा सकता है. अगर इसमें ईंधन के लिए अतिरिक्त टैंक लगा दिए जाएं, तो ये 1180 किलोमीटर तक जा सकता है. 6000 मीटर की ऊंचाई तक उड़ सकता है. इसे चलाने के लिए तीन लोग चाहिए होते हैं - पायलट, कोपायलट और फ्लाइट इंजीनियर. ये किसी भी मौसम में, दिन और रात में उड़ सकता है. लगभग कहीं भी लैंड कर सकता है.
सामान और सैनिकों को लाने ले जाने के साथ-साथ इस हेलिकॉप्टर का इस्तेमाल और कई तरह से किया जा सकता है -
1.  राहत और बचाव - माने किसी दुर्घटना के वक्त सैनिकों या आम नागरिकों को खोजना और दुर्घटना स्थल से निकालना. आपने ऐसे कई वीडियो देखे होंगे जब बाढ़ में फंसे लोगों को वायुसेना हेलिकॉप्टर की मदद से रसद पहुंचाती है, या फिर उन्हें बचाकर सुरक्षित स्थान ले जाते हैं. इसके लिए अमूमन Mi -17 V5 का इस्तेमाल होता है. जंगल में लगी आग को बुझाने के लिए इस हेलिकॉप्टर के नीचे एक पानी की बड़ी सी बाल्टी लटकाई जा सकती है. हेलिकॉप्टर इसके सहारे पास की किसी झील या तालाब से हवा में रहते हुए ही पानी उठा सकता है. और मिनटों में आग पर डाल सकता है.
2. फायर सपोर्ट, ट्रूप/कॉनवॉय एस्कॉर्ट - Mi- 17 V5 सिद्धांतः एक ट्रांसपोर्ट हेलिकॉप्टर है. लेकिन इसका इस्तेमाल एक गनशिप - माने हथियारबंद हेलिकॉप्टर की तरह भी किया जा सकता है. ये ज़मीन पर चल रहे सैनिक काफिले की सुरक्षा हवा के रास्ते कर सकता है. ज़रूरत पड़ने पर दुश्मन पर रॉकेट भी चला सकता है. इसके लिए हेलिकॉप्टर में रॉकेट पॉड्स लगा दिए जाते हैं. ये अपने साथ 80 एमएम के 80 S-8 अनगाइडेड रॉकेट ले जा सकता है. इसमें 23 एमएम के राउंड्स दागने के लिए बंदूक भी लगाई जा सकती है. इनसे इतर छोटे हथियार भी फिट किए जा सकते हैं.
3. वीवीआईपी ट्रांसपोर्ट - Mi- 17 V5 ताकतवर होने के साथ-साथ एक बेहद भरोसेमंद हेलिकॉप्टर है. इसके दो इंजन्स में से एक उड़ान के दौरान बंद भी हो जाए, तब भी ये एक इंजन के साथ सुरक्षित रूप से उड़ सकता है, लैंड भी कर सकता है. इसका कॉकपिट बहुत मज़बूत होता है, जो छोटे हथियारों से चलाए गए राउंड्स झेल सकता है. तो आप इसे हवा में उड़ने वाली 4 X 4 गाड़ी मान सकते हैं. इसमें लगे सिस्टम, इसे ज़मीन से दागी गई मिसाइल्स से बचने में भी मदद करते हैं. इन्हीं खूबियों को देखते हुए इसका इस्तेमाल देश के राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री और दूसरे वीवीआईपी करते हैं.
भारत के रक्षा मंत्रालय ने रशियन हेलिकॉप्टर्स को 80 हेलिकॉप्टरों के लिए दिसंबर 2008 में 1.3 अरब डॉलर का ऑर्डर दिया. बाद में इस ऑर्डर को और बढ़ाया गया. इंडियन एयरफोर्स में 2013 से ये शामिल भी होने लगा. 2012 और 2013 के दौरान रोजोबोरॉन एक्सपोर्ट और भारतीय रक्षा मंत्रालय के बीच 71 Mi-17V5 हेलिकॉप्टर्स के लिए अग्रीमेंट साइन किए गए. ये नए ऑर्डर साल 2008 मे किए गए कॉन्ट्रैक्ट का ही हिस्सा थे. रोजोबोरॉन एक्सपोर्ट ने Mi-17V5 हेलिकॉप्टर्स का अपना आखिरी बैच जुलाई 2018 में भारत के सुपुर्द कर दिया. इसके बाद भारतीय वायुसेना ने Mi-17V5 हेलिकॉप्टर्स की मरम्मत और ओवरहॉल सुविधा की अप्रैल 2019 में शुरुआत की.
घझघळ
बचाव अभियान में भी होता है इस्तेमाल

ट्रांसपोर्ट ड्यूटी के लिए भारतीय वायुसेना ने Mi सीरीज़ के हेलिकॉप्टर्स का खूब इस्तेमाल किया है. एमआई-8 (MI-8) 'प्रताप' वायुसेना को 1970 के दशक की शुरुआत में मिला. प्रताप की कई अभियानों में महत्वपूर्ण भूमिका रही है. इनमें सियाचिन ग्लेशियर वाला ऑपरेशन मेघदूत भी एक है. इसीलिए जब एमआई-8 पर आधारित एक नया, उन्नत और ज़्यादा ताकतवर हेलिकॉप्टर बना, तो वायुसेना को खूब पसंद आया. यही हेलिकॉप्टर था Mi-17 V5. प्रताप को 2019 में सेवानिवृत्त कर दिया गया था. और अब 'प्रताप' की जिम्मेदारी Mi-17 के पास है.