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इंजीनियरिंग में नहीं लगा मन, UPSC टॉप कर बने IAS

पढ़िए यूपीएससी सिविल सर्विसेज में तीसरी और 9वीं रैंक पाने वाले चैंपियंस के बारे में:

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करण सत्यार्थी
'मेहनत करने वालों की जीत होती है.' बचपन से ये बात सुनते आ रहे हैं. अब भी जब कोई अच्छा काम कर जाता है तो यही कहता है, 'मन लगाकर मेहनत की और जीत मिली.' ऐसे ही कुछ मेहनती बालक और बालिकाओं ने देश के सबसे कठिन एग्जाम को भेदकर जीत हासिल कर ली है. यूपीएससी सिविल सर्विसेज का रिजल्ट आ चुका है. दिल्ली की टीना डाबी टॉपर रहीं. दूजे नंबर पर रहे जम्मू कश्मीर के अतहर अली. मीडिया ने दोनों के चेहरे खूब दिखाए. दिखाना लाजिमी भी है. इन स्टूडेंट्स ने काम ही इतना जाबड़ कर दिखाया है. लेकिन सिविल सर्विसेज का एग्जान निकालने वालों की कुछ ऐसी भी कहानियां हैं, जिनके बारे में जानना दिल को खुशी देता है. क्योंकि ये जो लोग कहते हैं न. कि मेहनत के बाद सफलता मिलती है. इस मेहनत के दौरान भी एक कहानी चल रही होती है. जिसे लोग तब ज्यादा जानने में दिलचस्पी रखते हैं, जब सफलता मिल जाए. तो पेश है इस बारे के यूपीएससी सिविल सर्विसेज टॉपर्स की कहानी...

रैंक-3: जसमीत सिंह संधु

दिल्ली के रविन्द्र नगर इलाके में रहने वाले जसमीत सिंह संधू. तीसरे नंबर पर रहे. जसमीत इससे पहले भी सिविल सर्विसेज का एग्जाम पास कर चुके थे, पर रैंक ज्यादा होने की वजह से पोस्ट मिली IRS की. IRS यानी इंडियन रेवेन्यू सर्विसेज. जसमीत सिंह असिस्टेंट कमिश्नर की पोस्ट पर काम कर रहे थे. लुधियाना में स्कूल की पढ़ाई की थी. जसमीत सिंह के पापा एग्रीकल्चर मिनिस्ट्री में ऑफिसर हैं. मां हाउसवाइफ हैं. जसमीत ने IIT-रुड़की से इंजीनियरिंग की थी. 2010 से यूपीएससी की तैयारी कर रहे थे. पहली दो कोशिशों में जसमीत सिंह से क्लीयर नहीं हो पाया. लेकिन हार नहीं मानी. तीसरे में IRS बने और चौथे में IAS.

रैंक-9: करण सत्यार्थी

करण सत्यार्थी झारखंड के धनबाद में रहते थे. सपना था कि IAS बनना है. मेहनत से एग्जाम दिया कि 9वीं रैंक आई. करण भी IIT- खड़गपुर से माइनिंग इंजीनियरिंग में ग्रेजुएशन कर चुके हैं. ये करण की दूसरी कोशिश थी. 25 साल के करण ने दूसरी बार में IAS क्रैक कर लिया है. (ये स्टोरी दी लल्लनटॉप के साथ इंटर्नशिप कर रही ज़ेबा जाफरी ने लिखी है.)