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सेना से सवाल पूछना एंटी नेशनल? जनरल केजेएस ढिल्लों ने बहुत सही बात बोल दी

क्या आतंकवादियों में भी जाति व्यवस्था है. जनरल ढिल्लों दिलचस्प जवाब दे गए.

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(बाएं) सेना के पैरा कमांडोज की पुरानी तस्वीर. (दाएं) ले. जनरल केजेएस ढिल्लों. (साभार: लल्लनटॉप और इंडिया टुडे.)

क्या सेना से सवाल करना देश-विरोधी काम है? बीते कुछ सालों में ये सवाल राजनीतिक बहस का मुद्दा रहा है. कई लोगों को लगता है कि सेना एक ऐसी संस्था है जिस पर सवाल नहीं उठाए जा सकते, क्योंकि सैनिक अपनी और परिवार की परवाह किए बना जान पर खेलकर देश की सीमाओं और नागरिकों की रक्षा करते हैं, अपनी जान तक दे देते हैं. वहीं कई लोगों का ये मानना है कि सेना की आड़ में राजनीति की जा रही है. इन लोगों का ये भी कहना है कि हरेक संस्था की तरह सेना में भी कमियां हैं जिन पर बात करना गलत नहीं है. वे ये भी मानते हैं कि लोकतंत्र में संस्थाएं सवाल करने के अधिकार से बड़ी नहीं हैं और सेना भी इस दायरे में आती है. इसीलिए उससे सवाल करना देश-विरोधी नहीं है.

यही बात रखी गई भारतीय सेना के पूर्व लेफ्टिनेंट जनरल कंवलजीत सिंह ढिल्लों के आगे, जब वे पहुंचे दी लल्लनटॉप के चर्चित शो गेस्ट इन द न्यूज रूम में. उनसे पूछा गया कि क्या सेना से सवाल करने वालों को एंटी-नेशनल बताना सही है. इस पर केजेएस ढिल्लों ने अपनी राय रखते हुए कहा,

इंडियन आर्मी भारत का हिस्सा है. हम राइट टू इंफॉरमेशन एक्ट के अंतर्गत हैं. आप सिर्फ हमसे कुछ चीज़ें नहीं पूछ सकते. जैसे पाकिस्तान के खिलाफ हमारे अटैकिंग प्लान क्या हैं. हमने चाइनीज़ बॉर्डर पर कितनी फोर्स लगा रखी है. ये सब चीज़ें नेशनल सिक्योरिटी के दायरे में आती हैं. बाकी हर सवाल जो आप किसी दूसरे डिपार्टमेंट या महकमे को पूछ सकते हो, आप इंडियन आर्मी को भी पूछ सकते हो. जो एडमिनिस्ट्रेशन का हिस्सा हो, जिसमें आपको लगता है मनी लॉन्डरिंग या करप्शन हुआ हो. हम सवालों से परे नहीं हैं. हम एक लोकतांत्रिक सिस्टम का हिस्सा हैं. लोकतंत्र में सवाल पूछने का हक है. और सरकार के हर अंग को सवाल का जवाब देना होगा. सिर्फ सिक्योरिटी सिचुएशन से जुड़े सवाल, जो क्लासिफाइड इंफॉरमेशन है, हम उसे नहीं शेयर कर सकते.

GITN में जनरल ढिल्लों ने कई दूसरे मुद्दों पर भी अपनी बात रखी. मसलन, क्या आतंकवादी जाति देखकर ओहदे तय करते हैं. उन्होंने इसका दिलचस्प जवाब दिया. केजेएस ढिल्लों ने बताया,

“किसी भी समाज में हायरार्की (ऊपर से नीचे का क्रम) होती है. कश्मीर में ऐसा नहीं है. लेकिन जैसा आपने कहा, सैयद अली शाह गिलानी, सैयद सलाउद्दीन, आपको ऐसी खबर कभी नहीं मिलेगी कि एक एनकाउंटर हुआ और उसमें कोई सैयद मारा गया हो. ये लोग कंट्रोलिंग के पद पर हैं. आतंक के इकोसिस्टम को कंट्रोल करते हैं. मरने के लिए गरीब के बच्चे हैं.”

इसके अलावा केजेएस ढिल्लों ने पुलवामा हमले, बालाकोट एयर स्ट्राइक और कश्मीर में आंतकवाद पर जानकारी दी. उन्होंने अपनी किताब 'कितने गाज़ी आए कितनी गाज़ी गए' से कई किस्से भी सुनाए. ढिल्लों ने आर्मी के काम करने के तरीके, पाकिस्तान और राजनीति पर भी बात की. इस एपिसोड का पूरा वीडियो आप लल्लनटॉप पर देख सकते हैं.

वीडियो: गेस्ट इन द न्यूजरूम: ले. जनरल (रिटायर्ड) केजेएस ढिल्लों ने पुलवामा हमले और बालाकोट एयर स्ट्राइक पर क्या बताया?