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केरल हाईकोर्ट ने कहा कि बेवजह शक करने वाला पति पत्नी की ज़िंदगी में ज़हर घोल देता है

कोर्ट ने कहा कि बिना वजह पत्नी पर शक करना मानसिक क्रूरता है और इससे पत्नी को तलाक का हक मिल सकता है.

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भारतीय न्यायपालिका

केरल हाईकोर्ट ने तलाक देते हुए कहा कि अगर कोई पति बिना वजह अपनी पत्नी पर शक करता है, तो ये मानसिक क्रूरता यानी मेंटल क्रुएल्टी का एक सीरियस केस है.
जस्टिस देवन रामचंद्रन और जस्टिस एम.बी. स्नेहलता की बेंच ने ये फैसला उस केस में दिया जहाँ पत्नी ने तलाक की अर्जी दी थी, लेकिन कोट्टायम के एक फैमिली कोर्ट ने उसे खारिज कर दिया था. ये कहकर कि शादी में ऐसी चीज़ें आम हैं और समझौता ही एकमात्र उपाय है. फैमिली कोर्ट ने पत्नी के डिवोर्स की अर्जी खारिज कर दी.

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लेकिन केरल हाईकोर्ट के बेंच में बैठे जस्टिस देवन रामचंद्रन और जस्टिस स्नेहलता ने कहा-

“एक स्वस्थ शादी आपसी भरोसे, प्यार और समझ पर टिकती है. अगर पति शक करने लगे, तो शादीशुदा ज़िंदगी नर्क बन जाती है. बार-बार शक करना, हर बात पर पत्नी की नीयत पर सवाल करना, उसके आत्म-सम्मान और मानसिक शांति को खत्म कर देता है. डर और तनाव का माहौल बन जाता है. जब भरोसे की जगह शक ले लेता है, तो रिश्ता अपना असली मतलब खो देता है. ऐसी हालत में पत्नी से यह उम्मीद नहीं की जा सकती कि वह उस रिश्ते में रहना जारी रखे. सम्मान और आज़ादी से जीने का हक उन्हें भी है.”

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पत्नी ने कहा था कि शादी के शुरू से ही उसका पति उस पर शक करता था. पति ने उससे नर्स की नौकरी छोड़ने को कहा और झूठा वादा किया कि वह उसके लिए विदेश में नौकरी लगवाएगा. बाद में उसने न तो नौकरी दी और न बाहर जाने दिया. वो उसे घर में बंद रखता था, बाहर जाने से रोकता था, टीवी नहीं देखने देता और किसी से बात करने नहीं देता था.

पति का कहना था कि ऐसी छोटी-मोटी बातें तो शादी वाले रिश्ते में आम हैं. लेकिन हाईकोर्ट ने सुप्रीम कोर्ट के वी.भगत बनाम डी.भगत केस का हवाला देते हुए कहा कि बदलते वक़्त के साथ मानसिक क्रूरता की परिभाषा भी बदल रही है. आज से पचास साल पहले औरतों से घर पर रहने की उम्मीद की जाती थी, लेकिन अब किसी को इसके लिए मजबूर नहीं किया जा सकता.
ये कहते हुए कोर्ट ने महिला को तलाक दे दिया.

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