The Lallantop

डॉक्टर्स ने मरा समझकर डस्टबिन में फेंक दिया था, KBC से लाखों जीतकर लौटी हैं

एक दिव्यांग लड़की, जिसके जीवन का हर अध्याय, प्रेरणा का दूसरा नाम है.

post-main-image
नुपुर चौहान ने 'कौन बनेगा करोड़पति' में 12.50 लाख रुपए जीते.

उन्नाव की 29 साल की नुपुर चौहान. इनका नाम 6 दिन पहले तक कोई नहीं जानता था. लेकिन अब सब जान चुके हैं. क्योंकि नुपुर ने 'कौन बनेगा करोड़पति' में हिस्सा लिया. अमिताभ बच्चन के 12 सवालों का सही जवाब दिया और 12.50 लाख रुपए जीते.

अब आप सोच रहे होंगे, कि करोड़पति तो बनीं नहीं, फिर क्या खास बात है. तो आपको बता दें कि नुपुर दिव्यांग हैं. वो ठीक से चल नहीं पाती हैं. शारीरिक रूप से अक्षम हैं. उनकी ज़िंदगी आपसे और हमसे काफी अलग है.


क्या है नुपुर की कहानी?

'कौन बनेगा करोड़पति' की हॉट सीट पर बैठने के लिए फास्टेस्ट फिंगर फर्स्ट का सही जवाब देना होता है. नुपुर ने जैसे ही इस सवाल का सही जवाब दिया और हॉट सीट के लिए सेलेक्ट हुईं, तो सब देखते रह गए. अमिताभ बच्चन खुद उठकर नुपुर के पास पहुंचे और उन्हें हॉट सीट तक लेकर आए.

नुपुर ने अमिताभ को अपनी कहानी बताई. उन्होंने बताया कि जब वो पैदा हुई थीं, तब रोई नहीं थीं. डॉक्टर्स को लगा कि वो मर चुकी हैं. इसलिए उन्हें पैदा होने के तुरंत बाद ही डस्टबीन में फेंक दिया. नुपुर की नानी और मौसी जब अस्पताल पहुंचीं, तब उन्होंने बच्ची को कचरे के डिब्बे से उठाया. उसकी पीठ पर थप्पड़ मारे, ताकि वो रो पड़े. नानी की तरकीब काम आई, नन्ही नुपुर रो पड़ी. वो मरी नहीं थीं, ज़िंदा थीं. ऑक्सीजन की कमी की वजह से आवाज़ नहीं निकली थी. और इधर डॉक्टर्स ने बिना जांचे परखे उन्हें मृत बता दिया था.


नुपुर दिव्यांग हैं. वो ठीक से चल नहीं पाती हैं. शारीरिक रूप से अक्षम हैं.
नुपुर दिव्यांग हैं. वो ठीक से चल नहीं पाती हैं. शारीरिक रूप से अक्षम हैं.

नानी के मारने पर नुपुर ने रोना शुरू किया, फिर लगातार 12 घंटे तक रोती रहीं. नुपुर ने इस शो में बताया कि उन्हें 'मिक्स्ड सेरेब्रल पाल्सी' है. ये बीमारी जिस बच्चे को होती है, वो बाकी बच्चों कि तुलना में थोड़ा पीछे होता है या उसका शरीर का कोई हिस्सा ठीक से काम नहीं करता है. नुपुर का दिमाग एकदम सही है, लेकिन वो ठीक से चल नहीं सकतीं.

उन्होंने बताया कि डॉक्टर्स ने शुरू में ज्वाइंडिस का शिकार समझ गलत इंजेक्शन दे दिया था. उनका सही इलाज नहीं हुआ था. इस वजह से उनका केस और भी ज्यादा बिगड़ गया. डॉक्टर्स की लापरवाही की वजह से नुपुर नॉर्मल बच्चों की तरह नहीं चल सकीं.

वो व्हीलचेयर का इस्तेमाल नहीं करती हैं. उनका कहना है कि आखिरी सांस तक वो अपने पैरों से चलने की ही कोशिश करेंगी. वो कहती हैं,

'आखिरी सांस तक मैं खुद चलूंगी. व्हीलचेयर का इस्तेमाल नहीं करूंगी. मुझे सहानुभूति नहीं चाहिए, सम्मान चाहिए. चाहे अंधेरा कितना भी गहरा हो, मैं झांसी की रानी की तरह उठूंगी और अपने लिए सब बदल दूंगी.'

नुपुर पेशे से टीचर हैं. बचपन से ही पढ़ाई में अच्छी थीं. 12वीं में मेरिट में आई थीं. पहले ही बार में बीएड के लिए सिलेक्ट हो गई थीं. प्ले ग्रुप में बच्चों को पढ़ाती हैं. 10वीं के बच्चों को फ्री में शिक्षा देती हैं. नुपुर ने अपनी दिव्यांगता से हार नहीं मानी, आगे बढ़ते गईं. आज भी आगे बढ़ रही हैं. वो स्टार हैं.



वीडियो देखें: