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बांग्लादेशी हिंदू संत चिन्मय कृष्ण दास को मिली जमानत, इन जजों ने दी राहत

Bangladesh में ISKCON के पूर्व पुजारी Chinmoy Krishna Das को High Court से जमानत मिल गई है. उनके ऊपर राजद्रोह का मामला चल रहा है. उनकी गिरफ्तारी के दौरान बांग्लादेश के हिंदू समुदाय में काफी नाराजगी थी.

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चिन्मय कृष्ण दास ISKCON के पूर्व पुजारी हैं. (India Today)

बांग्लादेश में हिंदू संत चिन्मय कृष्ण दास को जमानत मिल गई है. बांग्लादेश हाई कोर्ट के जस्टिस मोहम्मद अताउर रहमान और जस्टिस मोहम्मद अली रजा की पीठ ने चिन्मय दास की याचिका पर सुनवाई करते हुए जमानत का आदेश दिया. बांग्लादेश में 'इंटरनेशनल सोसाइटी फॉर कृष्णा कॉन्शियसनेस' (ISKCON) के पूर्व पुजारी चिन्मय दास को राजद्रोह का केस लगाकर जेल में डाल दिया गया था. वो पिछले छह महीने से जेल में बंद हैं. अब बुधवार, 30 अप्रैल को जमानत मिलने के बाद उनकी रिहाई का रास्ता साफ हो गया है.

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डेली स्टार की रिपोर्ट के मुताबिक, 23 अप्रैल को चिन्मय दास के वकील अपूर्व कुमार भट्टाचार्य ने हाई कोर्ट में उनकी जमानत याचिका दाखिल की थी. इसमें कहा गया था कि चिन्मय दास बीमार हैं और बिना सुनवाई के कैद भुगत रहे हैं. कोर्ट ने उस समय तो जमानत नहीं दी, लेकिन 30 अप्रैल का दिन सुनवाई के लिए तय किया.

दरअसल, पिछले साल 31 अक्टूबर को चटगांव के फिरोज खान ने चिन्मय दास के खिलाफ कोतवाली पुलिस स्टेशन में शिकायत दर्ज की थी. खान बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी (BNP) के पूर्व नेता हैं. उन्होंने आरोप लगाया कि चिन्मय दास और 18 अन्य लोगों ने 25 अक्टूबर, 2024 को शहर के न्यू मार्कट एरिया में एक रैली के दौरान बांग्लादेश के राष्ट्रीय झंडे का अपमान किया था.

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इस आरोप के बाद चिन्मय दास को ढाका एयरपोर्ट से गिरफ्तार किया गया था. 26 नवंबर को चटगांव कोर्ट ने उनकी जमानत याचिका खारिज करते हुए उन्हें जेल भेज दिया. उनकी गिरफ्तारी से बांग्लादेश समेत भारत के हिंदू समुदाय के बीच जबरदस्त नाराजगी देखने को मिली थी. उनके समर्थन में देशभर में प्रदर्शन हुए.

चिन्मय दास की गिरफ्तारी के विरोध में जब लोग सड़कों पर उतरे, तो आरोप लगे कि हथियारबंद लोगों ने उन प्रदर्शनकारियों पर भी हमला कर दिया. इस हिंसक  घटना पर भारत सरकार की भी कड़ी प्रतिक्रिया आई थी. वहीं बांग्लादेश का साधु-संत समाज भी विरोध में उतर आया.

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पिछले साल 11 दिसंबर को भी चटगांव अदालत ने उनकी जमानत याचिका खारिज कर दी थी. इसके बाद राहत पाने के लिए चिन्मय दास ने हाई कोर्ट का रुख किया. चिन्मय दास, इस्कॉन के पूर्व पुजारी होने के अलावा ‘बांग्लादेश सम्मिलित सनातन जागरण ज्योत' ग्रुप से जुड़े रहे हैं, साथ ही पुंडरीक धाम के अध्यक्ष भी बताए जाते है.

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