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19 साल की लड़की कश्मीर को फुटबॉल खेलना सिखाएगी

वो खिलाड़ी भी है, कोच भी, कश्मीर में सबकुछ अच्छा हो जाने की उम्मीद हमें नादिया से मिलती है.

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Source : Facebook
आज लियोनल मेसी का हैप्पी वाला बड्डे है. जानते हो न कौन है मेसी. भक्क इतना भी नहीं जानते. फुटबॉलर है. अर्जेंटीना और फुटबॉल कल्ब बार्सिलोना के लिए खेलता है. बहुते फेमस पर्सनैलिटी है. न जाने कित्तो फैन होंगे इसके. चलो आज इसके एक  फैन से मिलते हैं. ये 19 साल की एक लड़की है. कश्मीर से है. सोचते बहुत हो. देखो अभी भी खोपड़िया में कीड़ा काट रहा होगा कि ऐसा क्या तीर मार लिया. ये फैन कश्मीर की पहली महिला फुटबॉल रेफरी और कोच बनी है. जो लड़को को फुटबॉल के दांव-पेच सिखाएगी. हिंदुस्तान टाइम्स ने नादिया की कहानी छापी है.
नादिया निघात नाम है इस फैन का. 19 साल की है. कश्मीर की वादियों में इसका बसेरा है. फुटबॉल को पागलो की तरह चाहती है. 10 साल की थी तभी से फुटबॉल को ऐसे लतियाती है जैसे एक प्रोफेशनल. इसकी उम्र की लड़किया जहां गुड़ियों और टेडी बियर से खेलती हैं नादिया फुटबॉल खेलती थी. वहां के लोकल कॉलेज ग्राउंड में फुटबॉल की प्रैक्टिस करती थी. वो भी लड़कों के साथ. मेसी के अलावा ये रोनाल्डो की भी बहुत बड़ी वाली फैन है.
Source : Facebook
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इसने अपनी जर्सी पर JJ7 लिखवा रखा है. इसके पीछे वजह है रोनाल्डो. उसकी जर्सी का नंबर 7 है. जर्सी पर नंबर के साथ नाम भी लिखा होता है न. इसलिए नादिया ने JJ7 लिखवा लिया है. इस JJ का मतलब है जिया जान. इसी नाम से इसके घरवाले बुलाते हैं.
JJ7 नादिया का फुटबॉल कल्ब है. ये तीन महीने पुराना है. आजकल नादिया वहां खिलाड़ियों को B-डिविजन मैच के लिए ट्रेन कर रही है जो की ईद के बाद होना है. नादिया का फुटबॉल खेलना उसकी अम्मी को पसंद नहीं था. और न ही वहां के लोगों को. उनका कहना था कि लड़की है ऊपर से ये फुटबॉल का पागलपन. क्या कर लेगी. पर थैंक्स टू ऑल पापा. यहीं तो एक हैं जो हर चीज के लिए अपनी लाडली का सपोर्ट करते हैं. जैसा वो चाहती है करने देते हैं. नादिया के पापा ने भी उसे खूब सपोर्ट किया. और फुटबॉल खेलने दिया. नादिया की मम्मी जब भी उसे रोकती-टोकती तो वो उन्हें संभाल लेते.
लेकिन अब ऐसा नहीं है. नादिया का फुटबॉल के लिए पागलपन देखकर अब उसकी मम्मी को कोई दिक्कत नहीं है. पापा से भी ज्यादा सपोर्ट करती है. यूरो कप चल रहा है. फुटबॉल फैंस मैच का लाइव मजा ले रहे हैं. वहीं नादिया मैच देख नहीं पा रही. रमजान चल रहा है. तो सुबह सेहरी के लिए उसे जल्दी उठना होता है. पर बाद में वो पूरा मैच नेट पर निपटा लेती है.
नादिया उन दो कश्मीरी लड़ियों में से एक है जो स्टेट के फुटबॉल वीमेंस टीम के लिए खेली है. पिछले साल तो ऑल इंडिया फुटबॉल एसोसिएशन ने लड़कों के मैच के लिए नादिया को बेस्ट रेफरी बताया था. इसपर नादिया का कहना था कि वो अभी भी सीख रही है. अक्टूबर में उसे फुटबॉल की कोचिंग देने का D सर्टिफिकेट मिला था. कहने का मतलब छोटे लेवल पर बच्चों को फुटबॉल सिखाने की परमिशन.वो चाहती है कि इसके बाद उसे C, B और A सर्टिफिकेट भी मिले.
Source : Being Indian
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भले ही ये लाइसेंस और सर्टिफिकेट जैसी चीजें मिलने में नादिया को वक्त लगे पर अभी उसके पास तीन काम हैं. जिसे वो बड़ी लगन के साथ कर रही है. नादिया अपने घर में एक फुटबॉल कोचिंग अकादमी चलाती है. इसमें 6 से 12 साल तक के कुल 29 बच्चे हैं जिनमें 3 लड़कियां भी हैं. इसके अलावा अपने कोच के साथ मिलकर वो अपने कल्ब के करीब 30 लड़को को भी ट्रेनिंग दे रही है. उनको नादिया की ट्रेनिंग पर बहुत भरोसा है. 12वीं में पढ़ने वाला मीर बुर्हान कहता है कि मैम का सिखाने का स्टाइल बाकी के मेल कोच से बहुत बढ़िया है.
समीर गुलजार नादिया का सीनियर है. उसने अपना पुराना कोचिंग कल्ब बस इसलिए छोड़ा ताकि वो नादिया के साथ मिलकर बच्चों को ट्रेनिंग दे. गुलजार का कहना है कि नादिया का सिखाने का स्टाइल बहुत शानदार है. इन सब के अलावा नादिया लड़कियों के सरकारी स्कूल में भी 18 लड़कियों को फुटबॉल खेलना सिखाती है. वो कहती है मैं एक प्लेयर भी हूं और कोच भी. किसी एक चीज में परफेक्ट होने के लिए दूसरी चीजों में भी परफेक्ट होना बहुत जरूरी है.
एक वीडियो है नादिया की. आप भी देखिए.
https://www.youtube.com/watch?v=WcPkUYSJVHw


नादिया का अचीवमेंट एकदम लल्लनटॉप है. उसने वादियों में जेंडर स्टीरियोटाइप को तोड़तें हुए ये प्रूव किया है की मौका मिलने पर लड़कियां भी अपनी मंजिल पा सकती है. बस बिना रोक-टोक के उन्हें अपनी उड़ान भरने दो.

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