जितनी हम छोड़ देते थे पैमाने में आज उतनी भी नहीं बची मयखाने में

सरकार ने निजी दुकाने बंद कर दीं
अमा जब मयखाने ही लिमिटेड हैं तो क्या किया जाए. लाइन लग रही हैं लंबी लंबी. सर्दी का सीजन. तबीयत कर्री हो गई है. पब्लिक की ही नहीं माननीयों की भी. इसलिए विधायकों ने डिमांड रखी है कि एक मयखाना विधानसभा में खुले. ठेका नजदीक रहेगा तो सही रहेगा. चखना कैंटीन से मिल ही जाएगा. फिर बढ़िया लगा के विधानसभा परिषर में ही नागिन डांस होगा.
अगर समझ रहे हो कि ऐसा कैसे होगा तो कुछ दिन रुक जाओ. 12 दिसंबर को विधानसभा का ठंडी वाला सत्र शुरू हो रहा है. उसमें ये मुद्दा जोर से उठाया जाएगा. बताया जाएगा कि सरकारी ठेके कम हैं. उनको बढ़ाओ. हमारे लिए विधानसभा के अंदर खुलवाओ.
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