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झांसी अस्पताल आग में बचाए गए 3 और बच्चों की मौत, डॉक्टर ने पहले से बीमार होने की बात कही

Jhansi Hospital Fire: 15 नवंबर को रात करीब साढ़े दस बजे मेडिकल कॉलेज की नवजात गहन चिकित्सा इकाई NICU में भीषण आग लग गई थी. जिला मजिस्ट्रेट अविनाश कुमार ने सुझाव दिया कि आग लगने का कारण शॉर्ट सर्किट हो सकता है.

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आग में कुल 39 बच्चों को रेस्क्यू किया गया था (फोटो- इंडिया टुडे)

झांसी के महारानी लक्ष्मी बाई मेडिकल कॉलेज में आग मामले में नई जानकारी सामने आई है (Jhansi Medical College Fire). खबर है कि मेडिकल कॉलेज से रेस्क्यू किए गए तीन और बच्चों की इलाज के दौरान मौत हो गई है. हालांकि, ये मौतें कथित तौर पर बीमारी की वजह से हुई हैं. इस बात की जानकारी मेडिकल कॉलेज के डीन डॉ. नरेंद्र सेंगर ने दी है.

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इंडिया टुडे की रिपोर्ट के मुताबिक डॉ. सेंगर ने कहा,

15 नवंबर को आग में कुल 39 बच्चों को रेस्क्यू किया गया था. दस बच्चों की जलने से मौत हो गई. उनमें से अब तक पांच बच्चों की बीमारी के चलते मौत हो गई है. तीन बच्चों की मौत पिछले 24 घंटों में हुई.

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उन्होंने कहा,

उन बच्चों को जलने से कोई चोट नहीं आई थी. उन पर किसी तरह के धुएं का असर भी नहीं था. ये मौतें बीमारी के चलते हुईं. तीनों शिशुओं के शवों को पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया गया है.

बता दें, 15 नवंबर को रात करीब साढ़े दस बजे मेडिकल कॉलेज की नवजात गहन चिकित्सा इकाई NICU में भीषण आग लग गई थी. जिला मजिस्ट्रेट अविनाश कुमार ने सुझाव दिया कि आग लगने का कारण शॉर्ट सर्किट हो सकता है.

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शुरूआती जांच में पता चला कि अग्निशामक सिलेंडर पर फिलिंग की तारीख 2019 और एक्सपायरी 2020 लिखी थी. आग लगने के बाद वहां फायर अलार्म भी नहीं बजा. आग बुझाने में दो घंटे से अधिक का समय लग गया. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने मृतक बच्चों के परिवारों को 5-5 लाख रुपये और घायलों को 50,000 रुपये का मुआवजा देने की घोषणा की थी. प्रदेश के उप मुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक ने कहा था,

तीन स्तर पर मामले की जांच होगी. पहली, हेल्थ डिपार्टमेंट की तरफ़ से. दूसरी जांच पुलिस प्रशासन और जिले के स्तर से होगी, जिसमें फायर ब्रिगेड की टीम भी शामिल रहेगी और तीसरी, मैजिस्ट्रेट के स्तर पर होगी. घटना किन कारणों से हुई, इसकी जांच होगी. साथ ही, किसी की लापरवाही पाए जाने पर उसके खिलाफ कड़ी कार्रवाई भी होगी.

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महारानी लक्ष्मीबाई मेडिकल कॉलेज ने 1968 में अपनी सेवाएं शुरू की थीं. ये उत्तर प्रदेश के बुंदेलखंड क्षेत्र के सबसे बड़े सरकारी अस्पतालों में से एक है.

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