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जावेद अख्तर ने तालिबान की बात की, मानहानि का केस हुआ, फिर कोर्ट में भयानक बहस हो गई!

जावेद अख्तर पर हुआ मानहानि का केस, क्या-क्या हुआ कोर्ट में?

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(फोटो: इंडिया टुडे)

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस - RSS) की तुलना कथित तौर पर तालिबान (Taliban) से करने को लेकर एक मानहानि केस का सामना कर रहे जाने-माने लेखक और गीतकार जावेद अख्तर (Javed Akhtar) ने याचिकाकर्ता पर सवाल उठाए है. कोर्ट में दायर अपने जवाब में जावेद अख्तर ने कहा है कि यदि उनकी बातों से किसी समूह की मानहानि हुई है, तो वो समूह केस दायर कर सकता है, न कि कोई व्यक्ति.

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इंडिया टुडे से जुड़ी विद्या की रिपोर्ट के मुताबिक, याचिकाकर्ता और आरएएस कार्यकर्ता विवेक चंपानेरकर ने कहा है कि अख्तर की दलीलों में कोई दम नहीं है. उन्होंने कहा कि आरएसएस एक स्थापित संस्था है, उसकी मानहानि होने पर उसका कोई सदस्य केस दायर कर सकता है. चंपानेरकर ने अपने तर्कों के समर्थन ने बॉम्बे हाईकोर्ट के एक फैसले का हवाला दिया है, जो कि कांग्रेस नेता राहुल गांधी से जुड़ा हुआ था.

क्या है मामला?

दरअसल, अफगानिस्तान में तालिबान की सत्ता आने को लेकर पिछले साल सितंबर महीने में जावेद अख्तर ने टीवी चैनल एनडीटीवी को एक इंटरव्यू दिया था. इसमें उन्होंने आरएसएस का नाम स्पष्ट रूप से लिए बिना कहा था कि दुनियाभर के दक्षिणपंथी एक जैसे होते हैं, चाहे वह हिंदू हो या मुसलमान. 

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उन्होंने 3 सितंबर 2021 के इंटरव्यू में कहा था, 

“अगर आप दुनिया भर के दक्षिणपंथियों को देखते हैं, चाहे वह मुस्लिम हों, ईसाई हों, यहूदी हों या हिंदू हों, ये एक ही लोग हैं, बस चेहरे अलग हैं. सबकी सोच एक जैसी है. इन्हें अल्पसंख्यकों से प्रेम नहीं है. ये औरतों को घर में रखना चाहते हैं. तालिबान भी तो यही चाहता है. ये धर्म को सबसे ऊपर रखते हैं." 

इसके अलावा जावेद अख्तर ने आगे कहा था, 

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“जिस तरह तालिबान एक इस्लामी राष्ट्र चाहता है, ऐसे लोग भी हैं जो हिंदू राष्ट्र चाहते हैं. ये सभी लोग एक जैसी विचारधारा के ही  हैं, भले ही ये मुसलमान हों, ईसाई हों, यहूदी हों या हिंदू हों.”

हालांकि इस दौरान उन्होंने यह भी कहा था कि उन्हें भारतीय लोगों की समझ पर पूरा भरोसा है. उन्होंने कहा था,  

“भारत में रहने वाले लोग सहिष्णु हैं, इसका सम्मान होना चाहिए, भारत कभी भी तालिबानी राष्ट्र नहीं बनेगा.”

तालिबान से तुलना का आरोप

जावेद अख्तर के इस बयान के बाद उनका काफी विरोध हुआ. बीजेपी नेताओं ने तत्काल माफी मांगने की बात की. इसी बीच आरएएस कार्यकर्ता विवेक चंपानेरकर ने जावेद अख्तर के खिलाफ मानहानि का मुकदमा दायर किया और उनसे मुआवजे के रूप में एक रुपये की मांग की.

इसे लेकर महाराष्ट्र में ठाणे की अदालत ने जावेद अख्तर का जवाब जानने के लिए उन्हें एक नोटिस जारी किया था. 

इंडिया टुडे के मुताबिक, इसे लेकर जावेद अख्तर ने अपने जवाब में कहा कि इस मामले में चंपानेकर याचिका दायर नहीं कर सकते हैं क्योंकि मानहानि का आरोप किसी व्यक्ति विशेष को लेकर नहीं है, बल्कि एक समूह के बारे में बात की जा रही है.

जावेद अख्तर ने कहा था कि यदि कोई समूह की मानहानि होने का दावा किया गया है तो याचिका उस समूह के द्वारा दायर की जा सकती है, न कि चंपानेकर द्वारा. ऐसा इसलिए है क्योंकि विशेष रूप से चंपानेकर की मानहानि होने का आरोप नहीं लगाया गया है.

याचिकाकर्ता ने क्या कहा?

वकील आदित्य मिश्रा की द्वारा दायर की गई चंपानेरकर की दलीलों में कहा गया है कि इस मामले में जावेद अख्तर के तर्कों में कोई दम नहीं है और वे इस मामले को बस खींचना चाहते हैं. वकील ने बॉम्बे हाईकोर्ट के एक फैसले का हवाला दिया, उसमें उन्होंने दावा किया कि न्यायालय ने कहा है कि कोई भी आहत व्यक्ति शिकायत दर्ज कर सकता है. यह मामला राहुल गांधी बनाम राजेश कुंते (आरएसएस कार्यकर्ता) का था.

चंपानेरकर ने कहा कि वह पिछले 20 सालों से भी अधिक समय से आरएसएस के स्वयंसेवक हैं और उन्होंने कई सामाजिक कार्यों में भाग लिया है. उन्होंने कहा कि वह संघ के उद्देश्यों और विचारों के प्रति पूरी तरह से समर्पित हैं और नियम से शाखा वगैरह में जाते रहते हैं. इसलिए उनको यह पूरा अधिकार है कि वे आरएसएस के सदस्य के रूप में संस्था का अपमान होने पर शिकायत दर्ज कराएं.

स्वयंसेवक ने यह भी कहा कि आरएसएस और उसके स्वयंसेवक एक होते हैं, उन्हें अलग नहीं किया जा सकता है. याचिकाकर्ता ने कहा,

'मौजूदा राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति, प्रधानमंत्री और कई केंद्रीय मंत्री आरएसएस से हैं. कैसे कोई इसकी तुलना तालिबान से कर सकता है.'

थाणे कोर्ट में इस मामले की अगली सुनवाई 30 जुलाई को होगी.

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