
तिरंगे में लिपटे श्रीदेवी के पार्थिव शरीर के साथ उनका परिवार और अन्य करीबी लोग
जतिन वाल्मीकि पिछले दो दिनों से श्रीदेवी के घर के बाहर खड़े थे. वो देख नहीं सकते. वो उत्तर प्रदेश से आए और वहां से हिलने को तैयार नहीं थे. उन्होंने जो बताया, वो भावुक कर देने वाला है.

जतिन पिछले दो दिनों से श्रीदेवी के घर के बाहर खड़े थे.
जतिन ने बताया,
'श्रीदेवी जी ने मेरे भाई के ब्रेन ट्यूमर के ऑपरेशन के लिए हेल्प की थी. उस समय उन्होंने मुझे एक लाख रुपए की मदद की और हॉस्पिटल से भी एक लाख रुपए माफ करवाए. उनकी वजह से मेरा भाई आज ज़िंदा है. मैं कुछ नहीं कर सकता उनके लिए, लेकिन कम से कम उनकी अंतिम यात्रा में शामिल तो हो ही सकता हूं.'मालूम नहीं, जतिन को ये बात पता है या नहीं, लेकिन अगर श्रीदेवी को ये बात पता चलती तो उनकी आंखें जरूर नम हो जातीं. जैसे इस वक्त मेरी हैं.
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