फेडरेशन के जूरी बोर्ड चेयरमैन राहुल रवैल ने इस पर कहा,
ये एक ऐसी फिल्म है जो वास्तव में उन समस्याओं को सामने लाती है जो इंसानों में हैं, यानी हम जानवरों से भी बदतर हैं. पेलीसरी बहुत काबिल डायरेक्टर हैं. जिन्हे 'अंगामाली डायरीज', 'ईआ मा याऊ' के लिए जाना जाता है. उनकी 'जल्लीकट्टू' ऐसी फिल्म है, जिस पर देश को गर्व होना चाहिए.
अब बात करते हैं फिल्म की कहानी की. केरल के इडुक्की जिले में विवादित खेल होता है. जल्लीकट्टू नाम का. खेल में एक बैल को मारने से पहले लोगों के बीच छोड़ देते हैं. इसी पर फिल्म की कहानी आधारित है. फिल्म का पहला प्रीमियर सितंबर 2019 में टोरंटो फिल्म फेस्टिवल में हुआ. इसमें एंटोनी वर्गीश, चेम्बन विनोद जोस, साबुमन अब्दसमद और सैंथी बालाचन्द्रन ने अहम भूमिकाएं निभाई है.
'जल्लीकट्टू' ने 27 फिल्मों के साथ कम्पीट किया. इसमें हिन्दी, उडिया, मराठी, और कई भाषाओं की फिल्में शामिल थी. इन 27 नामों में हंसल मेहता की 'छलांग', शूजित सरकार की 'गुलाबो सिताबो', चैतन्य ताम्हणे की 'द डिसाइपल', विधु विनोद चोपड़ा की 'शिकारा', गीतू मोहनदास की 'मूथॉन', हार्दिक मेहता की 'कामयाब' जैसे नाम शामिल थे.

'जल्लीकट्टू' इंसान के अंदर बैठे जानवर की कहानी है.
बता दें कि पिछले साल इस केटेगरी में 'गली बॉय' को भेजा गया था. इससे पहले रीमा दास की 'विलेज रॉकस्टार्स', अमित मसूरकर की 'न्यूटन', वेट्री मारन की 'विसारानई', और चैतन्य ताम्हणे की 'कोर्ट' भी इसी केटेगरी में भेजी जा चुकी हैं. हालांकि, इस केटेगरी में गई किसी भी फिल्म को अब तक ऑस्कर नहीं मिला है.