भारत में डॉक्टरों पर हमले बढ़ते जा रहे हैं. ये गंभीर मुद्दा अक्सर हल्के में ले लिया जाता है. लेकिन कोलकाता के आरजी कर मेडिकल कॉलेज में एक महिला डॉक्टर के रेप और हत्या की घटना ने इसे नेशनल इशू बना दिया है. कोलकाता में एक के बाद एक बंगाल सरकार और पुलिस व्यवस्था के खिलाफ प्रदर्शन हुए हैं. शहर की सड़कों पर कई दिनों से बड़ी संख्या मेें पुलिस बल तैनात है. लेकिन इटली के हालात यहां से कमतर नहीं हैं. वहां की सरकार तो अपने डॉक्टरों को बचाने के लिए फ़ौज उतारने की सोच रही है. वजह? देश में डॉक्टरों के ख़िलाफ़ हिंसा बढ़ गई है.
कोलकाता में पुलिस तैनात है, इटली में डॉक्टरों की सुरक्षा के लिए आर्मी को बुलाने जा रही सरकार
इटली में हफ़्ते भर में पांच-छह हिंसक घटनाएं रिपोर्ट हुई हैं. एक अस्पताल से तीन घटनाएं. डॉक्टरों के ख़िलाफ़ आउटरेज देश भर में फैल गया है.

बीते दिनों एक घटना का वीडियो आया था. देश के पुगलिया इलाक़े के फोगिया में पॉलिक्लिनिको अस्पताल का वीडियो. कमरे के अंदर डॉक्टरों ने ख़ुद को बंद कर रखा था. बाहर पचास-एक लोगों की भीड़ थी. दरअसल, एक इमरजेंसी सर्जरी के दौरान 23 साल की एक लड़की की मौत हो गई थी. ये आक्रोषित भीड़ उसी के दोस्तों और रिश्तेदारों की थी. कमरे में पहुंचने से पहले भीड़ ने डॉक्टरों और बाक़ी स्टाफ़ पर हमला किया था. जो वीडियो वायरल हो रहा था, उस में फ़र्श पर ख़ून के छींटे दिख रहे थे.
इस घटना के दो दिन के भीतर इसी अस्पताल में एक और हिंसक घटना घटी. एक और हमला. मगर ये हमला किसी भीड़ ने नहीं, एक मरीज़ ने किया था. 18 साल के युवक ने तीन नर्सों को पीटा, उन्हें लात-घूसे मारे.
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ऐसे ही लीस के पास कैसरानो में फ्रांसेस्को फ़रारी अस्पताल में एक मरीज़ ने डॉक्टर पर हमला कर दिया. इस हफ़्ते नेपल्स प्रांत में भी दो ऐसे हमले रिपोर्ट हुए थे. मरीज़ और उनके परिवार वालों ने इंतज़ार करने के लिए कहे जाने पर डॉक्टरों पर हमला कर दिया था.
नर्सिंग अप यूनियन के राष्ट्रीय अध्यक्ष एंटोनियो डी पाल्मा इस हिंसा से स्तब्ध हैं. उन्होंने मीडिया से कहा,
पिछले 10 सालों में ऐसी क्रूरता कभी दर्ज नहीं की गई थी... हम कभी भी इस तरह के ख़तरे और आक्रामकता के स्तर पर नहीं पहुंचे. इस स्थिति की गंभीरता से निपटने के लिए हम आंतरिक मंत्री से तत्काल आग्रह करते हैं. अस्पतालों और नर्सिंग सेंटर्स में सेना को तैनात करने पर विचार करना ज़रूरी हो गया है.
नैशनल फ़ेडरेशन ऑफ़ ऑर्डर्स फ़ॉर नर्सिंग प्रोफेशन (Fnopi) ने भी स्वास्थ्य कर्मियों के ख़िलाफ़ आपराधिक कार्रवाई की निंदा की है. अफ़सरों से भी सुरक्षा सुनिश्चित करने की अपील की है.
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इटली में हेल्थ केयर की बहुत सारी सेवाएं निशुल्क हैं. इटैलियन फ़ेडरेशन ऑफ़ मेडिकल-साइंटिफिक सोसाइटीज़ (Fism) की तरफ़ से तो यहां तक कहा गया है कि स्वास्थ्य कर्मियों पर हमला करने या स्वास्थ्य परिसरों को नुक़सान पहुंचाने वालों को निशुल्क सेवाओं से कम-से-कम तीन सालों के लिए वंचित कर देना चाहिए. वो इसके लिए क़ानून पारित करने की बात कर रहे हैं.
Fism के मुताबिक़, सिर्फ़ 2023 में अस्पतालों में डॉक्टरों और नर्सों के ख़िलाफ़ 16,000 से ज़्यादा घटनाएं घटी हैं.
कहानी का दूसरा पहलू. ज़्यादातर हमलों के पीछे कारण एक ही है. अस्पतालों में कर्मचारियों की कमी और सर्जरी-परामर्श के लिए घंटों का इंतज़ार. आंकड़े बताते हैं कि 2023 में इटली में लगभग 30,000 डॉक्टरों की कमी थी. 2010 और 2020 के बीच 111 अस्पताल और 113 आपातकालीन कक्ष बंद हो गए हैं.
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