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तो आनंदीबेन उपराष्ट्रपति बनने जा रही हैं?

सबको लगा कि आनंदीबेन पटेल का पॉलिटिकल करियर अब खत्म होने वाला है. लेकिन बीजेपी दगे हुए कारतूसों का इस्तेमाल भी जानती है.

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आनंदीबेन पटेल, नरेंद्र मोदी के साथ.
आनंदीबेन पटेल ने मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दिया तो अपनी उम्र बताकर. 75 की होने वाली हूं. बेहतर है कि कोई और ये कुर्सी संभाले. मोटा-मोटी उनका पॉलिटिकल करियर अब खत्म ही समझिए. लेकिन बीजेपी दगे हुए कारतूसों का इस्तेमाल भी जानती है. बता रहे हैं कि नरेंद्र मोदी की खोपड़ी में आनंदीबेन को उपराष्ट्रपति बनाने का विचार भी घूम रहा है. लुटयंस दिल्ली के आसमान में रेगुलर विचरण करने वाले पक्षियों ने भी ऐसे इशारे किए हैं.
बीजेपी के आका-द्वै गुजरात में हुए नुकसान की भरपाई को आतुर हैं. अभी विचार चल रिया है कि अगस्त 2017 में आनंदीबेन को उपराष्ट्रपति बनाया जाए तो उसके ठीक बाद होने वाले गुजरात चुनावों में इसका फायदा मिल सकता है. लेकिन उससे पहले आनंदीबेन राज्यपाल बनाई जा सकती हैं. 15 अगस्त के बाद सरकार को 3 राज्यों में राज्यपाल बैठाने हैं. इसमें आनंदीबेन पटेल और नजमा हेपतुल्ला का नाम तय माना जा रहा है और तीसरे नाम को लेकर पार्टी और संघ में चर्चा चल रही है.
गुजरात के राजनीतिक हालात नरेंद्र मोदी और अमित शाह की छवि से जुड़ते हैं. और ये दोनों अपनी छवि को लेकर बहुत सावधान रहते हैं. बताते हैं कि पार्टी ने ओम माथुर से गुजरात के हालात पर एक रिपोर्ट मांगी थी. ओम माथुर ने साफ कहा था कि आनंदीबेन को नहीं हटाया गया तो पार्टी को नुकसान होगा. अमित शाह के हाथ में पार्टी आने के बाद आनंदीबेन वैसे भी हाशिए पर थीं. इस्तीफा तो उनका होना ही था. बल्कि खुद उन्होंने इस्तीफे की पेशकश दो महीने पहले कर दी थी. लेकिन तब नरेंद्र मोदी ने वीटो पावर लगाकर इसे रिजेक्ट कर दिया था.
बीजेपी अरसे बाद अपने गढ़ में कुछ असुरक्षित महसूस कर रही है. गुजरात निकाय चुनाव में बीजेपी ने शहरी इलाकों में बढ़त बनाए रखी, लेकिन पिछली बार के मुकाबले मार्जिन कम हो गया. जबकि कांग्रेस ने अच्छी खासी बढ़त के साथ गांव के इलाकों में जीत दर्ज की. पटीदार आंदोलन और उसके बाद दलितों के जबरदस्त विरोध प्रदर्शन से उसके खिलाफ माहौल बना है. इसलिए पार्टी इसे तुरंत फिक्स करना चाहती है.
वैसे उपराष्ट्रपति के पद का इस्तेमाल पार्टियां संदेश देने के लिए खूब करती हैं. लोकसभा और राज्यसभा दोनों सदनों को मिलाकर अभी बीजेपी के पास बहुमत है और वो जिसे चाहे उपराष्ट्रपति पद पर बैठा सकती है. 2007 में कांग्रेस-लेफ्ट ने हामिद अंसारी को राष्ट्रपति बनवाया था. उन्होंने एनडीए कैंडिडेट नजमा हेपतुल्ला को 433 के मुकाबले 252 वोटों से हराया था.
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