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इजरायली हमलों से बचने के लिए ईरान ने क्यों नहीं बनवाए बंकर, ईरानी पत्रकार ने सब बताया है!

Israel-Iran conflict: ईरानी पत्रकार ने दावा किया है कि हवाई हमलों से बचने के लिए ईरान ने बंकर नहीं बनवाए हैं. पत्रकार ने कहा कि बंकरों की कमी के कारण लोगों से उम्मीद की जाती है कि वे अपने ही घरों में छिप जाएं. इसके पीछे की वजह भी उन्होंने बताई है.

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इजराइल ने 12-13 जून की रात में ईरान पर हमला शुरू किया था (फोटो: आजतक/AP)

इजरायल और ईरान के बीच हवाई हमलों का सिलसिला जारी है. इजरायली ऑपरेशन में अब तक ईरान के 14 वैज्ञानिक और 20 से ज्यादा मिलिट्री कमांडर मारे जा चुके हैं. एक ईरानी पत्रकार ने दावा किया है कि हवाई हमलों से बचने के लिए ईरान ने बंकर नहीं बनवाए हैं. क्योंकि, फौज और नागरिकों से ये अपेक्षा की जाती है कि बमबारी के दौरान वे डटे रहें और शहीद हो जाएं.

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ईरानियों ने दावा किया है कि उनके पास न केवल बुनियादी ढांचे की कमी है. बल्कि, ईरान में "शहादत की संस्कृति" (Culture of Martyrdom) भी है. जो उन्हें बंकरों में शरण लेने से रोकती है. एक ईरानी पत्रकार ने BBC के ग्लोबल न्यूज पॉडकास्ट में बताया,

जब कोई जेट लड़ रहा हो या आस-पास कोई हवाई हमला हो रहा हो. तो शरण स्थलों में चले जाना यह दिखाता है कि आप डरपोक हैं. इसलिए आपको बहादुर बनना चाहिए और बमबारी के लिए तैयार रहना चाहिए. साथ ही शहादत का आनंद लेना चाहिए.

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उन्होंने बताया कि उनके पास टनल्स (Subways) हैं. काहिरा की टनल ज्यादा अच्छी और साफ है. लेकिन टनल भी साढ़े दस बजे के बाद खुली नहीं रहती. आगे उन्होंने बताया, 

ईरान ने कभी आश्रय स्थलों के बारे में नहीं सोचा. क्योंकि वहां एक संस्कृति है. जो शहादत की संस्कृति है.

नाम न बताने की शर्त पर पत्रकार ने कहा कि बंकरों की कमी के कारण लोगों के लिए सबसे अच्छी उम्मीद यही है कि वे अपने तहखानों में ही छिप जाएं. हालांकि, स्थानीय रिपोर्ट्स बताती हैं कि मौजूदा संस्कृति के बावजूद, कुछ ईरानियों ने राजधानी से भागने और ग्रामीण क्षेत्रों की तरफ जाने का फैसला लिया. तेहरान के नगर परिषद के अध्यक्ष मेहदी चर्मन ने कहा कि शहर बंकरों की कमी से जूझ रहा है. उन्होंने कहा कि नागरिकों की मदद के लिए विकल्प तलाशे जा रहे हैं. साथ ही नागरिकों को शरण देने के लिए मेट्रो सिस्टम को 24 घंटे खुला रखने का आदेश दिया गया है.

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इजरायल ने 12-13 जून की रात में ईरान पर हमला शुरू किया था. इसे ‘ऑपरेशन राइजिंग लायन’ नाम दिया गया. जिसके तहत इजरायल ने ईरान पर 200 से ज्यादा फाइटर जेट्स से 100 से ज्यादा ठिकानों को निशाना बनाया था. इनमें कई परमाणु और सेना के ठिकाने शामिल थे. उसी के जवाब में ईरान ने ऑपरेशन ‘ट्रू प्रॉमिस थ्री’ चलाया. ईरान के स्वास्थ्य मंत्रालय ने बताया कि इजरायल के हमले में अब तक 224 लोगों की जान जा चुकी है. जबकि 1,277 घायल लोगों का अस्पताल में इलाज चल रहा है. वहीं इजरायल का कहना है कि उनके 14 लोगों की जान गई है. 390 लोग घायल हैं.

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