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लखनऊ में IPS के बेटे की मौत के बाद स्केटिंग सिखाने वाले कोच पर भी केस दर्ज, पुलिस ने ये वजह बताई

10 साल का नैमिश स्केटिंग करने के बाद घर लौट रहा था. तभी जनेश्वर मिश्र पार्क के सामने तेज रफ्तार कार ने उसको टक्कर मार दी.

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लखनऊ में एडिशनल SP के पद पर तैनात IPS श्वेता श्रीवास्तव के बेटे की मौत हुई. (सांकेतिक फोटो)

लखनऊ में एडिशनल SP श्वेता श्रीवास्तव (IPS Sweta Srivastav) के इकलौते बेटे की गाड़ी से टक्कर होने से मौत की खबर आई थी. इस मामले में दो आरोपी गिरफ्तार हो चुके हैं. अब पुलिस ने बच्चे को स्केटिंग सिखाने वाले कोच के खिलाफ भी केस दर्ज कर लिया है. आरोप है कि वो कोच 10 साल के नैमिश को जनेश्वर मिश्र पार्क के आस-पास बिना परमिशन के स्केटिंग सिखा रहे थे.

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आजतक से जुड़े संतोष की रिपोर्ट के मुताबिक, जनेश्वर मिश्र पार्क के स्थानीय दुकानदार ने गोमती नगर थाने में अवध एकेडमी क्लब के कोच दिव्यांश अरोड़ा और गौरव के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई है. पुलिस ने उनके खिलाफ IPC की धारा 268, 336 और 283 के तहत केस दर्ज कर लिया है. दोनों ही नैमिश को स्केटिंग सिखाते थे.

ये हादसा 21 नवंबर की सुबह हुआ. नैमिश स्केटिंग करने के बाद घर लौट रहा था. लौटते समय जनेश्वर मिश्र पार्क के सामने तेज रफ्तार कार ने उसको टक्कर मार दी. मौके पर मौजूद लोग तुरंत बच्चे को अस्पताल लेकर गए, जहां डॉक्टर्स ने उसने मृत घोषित कर दिया. हादसे के बाद कार चालक मौके से फरार हो गए. पुलिस ने गाड़ी चलाने वाले सार्थक सिंह, साथ बैठे देव श्री, सार्थक के पिता और रवींद्र सिंह को अरेस्ट किया गया.

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मौज के चक्कर में बच्चे की जान ले ली! 

खबर है कि उस दिन दोनों आरोपी सार्थक सिंह और देव श्री वर्मा SUV 700 गाड़ी से रेस लगा रहे थे. दोनों आरोपियों ने आपस में रेस लगाई थी कि कौन ज्यादा तेज गाड़ी चला सकता है. रिपोर्ट के मुताबिक, सबसे पहले आरोपी देव श्री वर्मा ने 100 किमी प्रतिघंटे के ऊपर की स्पीड पकड़ी. उसके बाद गाड़ी की स्टेरिंग आरोपी सार्थक सिंह ने संभाली. उसने गाड़ी की स्पीड 120 तक पहुंचा दी. इसी दौरान गाड़ी ने लखनऊ के G20 तिराहे पर एडिशनल एसपी के बेटे नैमिश को टक्कर मार दी.

घटनास्थल के आसपास कोई CCTV कैमरा नहीं था. थोड़ी दूरी पर एक चाय की दुकान के पास एक CCTV कैमरा लगा था. पुलिस ने इसी कैमरे की मदद से गाड़ी की पहचान की और रूट तैयार किया. इस तरह पुलिस को गाड़ी का नंबर मिला जिसके बाद दोनों आरोपियों को उनके-उनके घरों से गिरफ्तार किया गया. दोनों आरोपियों के पकड़े जाने के बाद पुलिस ने उनसे लाइसेंस मांगा. पहले दोनों ने कहा कि उनके पास लर्निंग लाइसेंस है, लेकिन वो लर्निंग लाइसेंस भी दिखा नहीं पाए.

आरोप है कि सार्थक के पिता रवींद्र सिंह गाड़ी पर लगे खून के धब्बे साफ और डेंटिग-पेंटिंग कराकर सबूत मिटाने की फिराक में था. बाराबंकी से गिरफ्तार किए गए रवींद्र सिंह पर भी सबूत छुपाने और मिटाने के आरोप हैं. 

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