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खिलाड़ियों को खाने में मूंगफली दो और मेडल के लिए मुंह फैला के बैठो

ब्राजील में 15 अगस्त के एक स्पेशल प्रोग्राम में पहुंचे भारतीय खिलाड़ी. वहां से भूखे वापस आना पड़ा.

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ऑफिस से थके शाम को घर लौटे और उसी वक्त दोस्त का फोन आ गया भाई जल्दी से रूम आ जाओ मेरा बर्थडे है. आप रूममेट को यह बोलकर निकल जाते हैं कि मेरे लिए खाना मत रखना मैं पार्टी में जा रहा हूं. और वहां पर मिलता है सिर्फ केक. खाने का इंतजाम नहीं होता. रात को दुकाने भी बंद हो जाती हैं. ऐसा हमारे साथ होता है तो चलता है. पर अगर ऐसा देश के लिए ओलम्पिक खेलने गए खिलाड़ियों के साथ हो जाए तो? शर्मनाक बात है ना. जब 15 अगस्त को सारा देश आजादी का जश्न मना रहा था. ब्राजील में स्थित भारतीय दूतावास में भी शाम को एक प्रोग्राम आयोजित किया गया स्पोर्ट्स और यूथ अफेयर्स मिनिस्ट्री द्वारा. प्रोग्राम में रियो ओलम्पिक में भाग लेने गए भारतीय खिलाड़ियों को इनवाइट किया गया था.
खिलाड़ी खुश थे कि चलो बहुत दिन से इंडियन खाना नहीं मिला है वहां पर कुछ अच्छी इंडियन डिशेज खाने को मिलेगी. लेकिन जब वें वहां पहुंचे तो उन्हें खाने के लिए मिली मूंगफलियां. इसके अलावा वहां चाय, कॉफी और बीयर की व्यवस्था थी. उससे क्या होता है. एक तो इतना सफर कर के आए और ऊपर से वो खिलाड़ी, इतनी भाग-दौड़, प्रैक्टिस जो करते हैं. उनको तो अच्छे से खाना चाहिए होता है.
इस प्रोग्राम का आमंत्रण मंत्रालय के स्पोर्ट्स सेक्रेटरी राजीव यादव द्वारा भेजा गया था. उस वक्त बहुत सारे खेल चल रहे थे इसलिए ज्यादातर खिलाड़ी और मीडियाकर्मी इस प्रोग्राम में नहीं पहुंच पाए. भारतीय पुरूष और महिला हॉकी टीम के खिलाड़ी पहुंचे थे, जो पहले ही कम्पीटिशन से बाहर हो चुके हैं. खिलाड़ी खेल गांव में अपना भोजन छोड़कर यहां आए थे. जब भारतीय दल के शेफ राकेश गुप्ता से इस बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा कि, आप हॉकी खिलाड़ियों से बात कीजिए वो अच्छे से बताएंगे. उस वक्त बॉक्सिंग मैच था विकास कृष्णन का. मैं जल्दी वहां से वापस आ गया था. एक हॉकी खिलाड़ी ने बताया कि हम अपना खाना छोड़कर आए थे. लेकिन हमें भूखे लौटना पड़ा. सिर्फ मूंगफलियों के लिए दूर खेलगांव से हमें यहां बुलाया गया. यह बहुत ही अफसोस वाली बात है. प्रोग्राम में भारतीय दल के चीफ मेडिकल ऑफिसर पवनदीप सिंह कोहली भी मौजूद थे. उन्होंने भी कहा वहां ढंग का खाना नहीं था.
ओलम्पिक में अपने प्रदर्शन से खिलाड़ी वैसे भी निराश होंगे. और उस पर ये व्यवहार. मंत्री अपने साथियों के साथ सेल्फी खिंचवाने पहुंच जाते हैं. कुछ लोग ये बोलकर गरिया रहे हैं कि खिलाड़ी वहां मस्ती करने और सेल्फी खींचने गए हैं. देश की सरकार और देश के लोगों को सिर्फ मे़डल ही नजर आते हैं. खिलाड़ियों के साथ कैसा सलूक होता है इससे इनको कोई वास्ता नहीं है.