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10 दिन तक मोर्चरी में शव; बेटा अस्पताल के चक्कर काटता रहा, कर्मचारी टरकाते रहे

अलीगढ़ का मामला, विधायक के दखल के बाद अस्पताल ने सौंपा शव.

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अलीगढ़ के सरकारी अस्पताल में घोर लापरवाही का मामला सामने आया है.
उत्तर प्रदेश का अलीगढ़ शहर. यहां के सरकारी दीनदयाल उपाध्याय अस्पताल की मोर्चरी में एक मजदूर का शव 10 दिनों तक पड़ा रहा. आशंका जताई जा रही है कि कोरोना की वजह से उसकी मौत हुई थी. नाबालिग बेटा अपने पिता का शव लेने कई बार अस्पताल पहुंचा, लेकिन उसे शव नहीं सौंपा गया. मामला विधायक तक पहुंचा. आंदोलन की बात होने लगी. तब जाकर पिता का शव को बेटे के हवाले किया गया. अस्पताल की घोर लापरवाही आजतक से जुड़े शिवम सारस्वत की रिपोर्ट के मुताबिक, राजू खिरनी गेट इलाके के रहने वाले थे. 23 अप्रैल को तबीयत खराब होने के बाद उन्हें पड़ोसियों ने दीनदयाल उपाध्याय अस्पताल में भर्ती कराया. उसी दिन शाम को राजू की मौत हो गई. इसके बाद शव को अस्पताल की मोर्चरी में रखवा दिया गया. तब से राजू का शव मोर्चरी में ही रहा. हालांकि इस दौरान कई बार राजू का नाबालिग बेटा रोहित अपने पिता का शव लेने के लिए गया. लेकिन उससे कहा गया कि घर के किसी बड़े व्यक्ति को लेकर आओ, तब शव मिलेगा. लेकिन रोहित के साथ कोई जाने को तैयार नहीं हुआ. विधायक के दखल पर मिली डेडबॉडी मामले की जानकारी मिलने के बाद विधायक अनिल पाराशर और MLC मानवेंद्र प्रताप सिंह अस्पताल पहुंचे. उन्होंने अस्पताल प्रशासन को खरी-खोटी सुनाई. इसके बाद राजू का शव उनके बेटे और साथ आए पड़ोसी को सौंपा गया. उनके पास अंतिम संस्कार के लिए भी पैसे नहीं थे. ऐसे में मानव उपकार संस्था ने अंतिम संस्कार कराया. राजू के बेटे रोहित ने बताया,
पिता की मौत होने के बाद भी अस्पताल वालों ने शव देने से मना कर दिया था. कहा, घर के बड़े व्यक्ति को लेकर आओ. मेरे पास पैसे भी नहीं थे. पड़ोसियों ने साथ जाने से मना कर दिया था.
राजू के साथ अस्पताल जाने वाले पड़ोसी महेश का कहना है,
कोरोना की कोई रिपोर्ट नहीं मिली, लेकिन शायद राजू को कोरोना ही था. राजू का 14-15 साल का बेटा कई बार अस्पताल गया, लेकिन शव नहीं मिला. इसके बाद मैं गया, और बॉडी लेकर आया.
MLC मानवेंद्र प्रताप सिंह का कहना है कि यह घोर लापरवाही का विषय है. मुख्यमंत्री जी से अस्पताल की लापरवाही के बारे में चर्चा हुई है. उन्होंने संज्ञान भी लिया है. सरकार इस तरह की लापरवाही बर्दाश्त नहीं करेगी. मानव उपकार संस्था के अध्यक्ष विष्णु कुमार बंटी का कहना है,
हमें सूचना मिली कि एक शव 23 तारीख से अस्पताल में पड़ा है. कोविड-19 से उनकी मौत हुई. मौत के बाद उनका नाबालिग बेटा कई बार अस्पताल गया, लेकिन कर्मचारियों ने भगा दिया. उसके पास ना पैसे थे और ना ही कोई और था, जो उसकी मदद करे. हमने सांसद, विधायक और अन्य लोगों से बात की. कहा कि अगर शव अस्पताल से नहीं उठाने दिया तो आंदोलन करेंगे. उसके बाद शव मिला. हमने अपने खर्च पर शव का अंतिम संस्कार कराया है.
अलीगढ़ के CMO डॉ. भानु प्रताप कल्याणी का इस बारे में कहना है,
10 दिनों तक राजू के वारिसान का पता नहीं चल पा रहा था. एड्रेस ट्रेस होने के बाद बॉडी को भेज दिया गया. हालांकि ये अव्वल दर्जे की लापरवाही है. 10 दिन से बॉडी रखी रही. जो काम 10 दिन बाद हुआ, वह पहले भी हो सकता था. पहले भी अस्पताल में ऐसा मसला आया था, जिसमें 3 दिन तक बॉडी के लिए परिवार वाले चक्कर काटते रहे.
CMO डॉ. कल्याणी ने बताया कि मामले की जांच की जा रही है. CMS को लंबी छुट्टी पर भेज दिया गया है. उनकी जगह किसी और को तैनात किया गया है. बाकी कार्रवाई जांच रिपोर्ट आने पर की जाएगी.