भारत ने लंबे समय से चीन (India China border tension) के साथ चल रहे सीमा विवाद को सुलझाने और द्विपक्षीय संबंधों को सुधारने के लिए एक चार सूत्रीय योजना का प्रस्ताव दिया है. रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह (Rajnath Singh) ने अपने चीनी समकक्ष एडमिरल डोंग जून (Admiral Dong Jun) के साथ द्विपक्षीय बैठक में ये प्रस्ताव दिया है.
सीमा पर शांति रहे और संबंध बेहतर हों, इसके लिए भारत ने चीन को सुझाया 4 सूत्रीय फार्मूला
भारत के रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह शंघाई सहयोग संगठन (SCO) की बैठक में हिस्सा लेने चीन पहुंचे हैं. यहां उन्होंने चीन के रक्षा मंत्री एडमिरल डोंग जून के साथ द्विपक्षीय बैठक भी की है.

ये बैठक चीन के किंगदाओ शहर में हुई, जहां रक्षा मंत्री शंघाई सहयोग संगठन (SCO) की बैठक में हिस्सा लेने के लिए पहुंचे हैं. इंडिया टुडे के सूत्रों के मुताबिक राजनाथ सिंह ने बॉर्डर पर तनाव कम करने और कूटनीतिक संबंधों को मजबूत करने के लिए चार सूत्रीय योजना पेश की.
भारत ने लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) पर सैन्य टकराव कम करने के लिए दोनों देशों की सेनाओं को चरणबद्ध तरीके से पीछे हटने का सुझाव दिया. साल 2020 में गलवान की झड़प के बाद दोनों देशों के बीच तनाव बढ़ गया था, जिसके बाद से भारत और चीन ने डी-एस्केलेशन की प्रक्रिया शुरू की है. हाल के महीनों में डेमचोक और डेपसांग जैसे क्षेत्रों में सैन्य वापसी के बाद यह प्रस्ताव और मजबूत हुआ है.
भारत ने सीमा पर तनाव कम करने के लिए नियमित और पारदर्शी संवाद पर जोर दिया है. दोनों देशों में विशेष प्रतिनिधियों की बैठक और कोर कमांडर लेवल की बैठक जैसे तंत्रों को और मजबूत करने पर सहमति बनी है.
# सीमा निर्धारण और सीमांकन प्रक्रिया में तेजीभारत ने सीमा पर शांति बनाए रखने के लिए एक साझा तंत्र स्थापित करने का सुझाव दिया है. जिसमें दोनों देशों की सेनाओं के बीच हॉटलाइन और दूसरे कम्युनिकेशन चैनलों को मजबूत करना शामिल है. यह तंत्र भविष्य में गलतफहमियों और टकराव को रोकने में मदद करेगा. दोनों पक्षों ने इस दिशा में काम करने के लिए सकारात्मक रुख अपनाया है.
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भारत ने विशेष प्रतिनिधि स्तर की मौजूदा व्यवस्था का उपयोग करते हुए नई प्रक्रियाएं विकसित करने का प्रस्ताव भी दिया है, ताकि भारत-चीन सीमा विवाद को और प्रभावी ढंग से निपटाया जा सके. मौजूदा व्यवस्था के तहत, दोनों देशों के विशेष प्रतिनिधि नियमित रूप से मिलते हैं और सीमा से जुड़े विवादों पर विस्तार से चर्चा करते हैं.
भारत का सुझाव है कि इस तंत्र को और मजबूत करने के लिए नई प्रक्रियाएं बनाई जाएं. जैसे संयुक्त निगरानी समितियों का गठन, रियल टाइम कम्युनिकेशन के लिए हॉटलाइन की स्थापना और सैन्य कमांडरों के बीच त्वरित समन्वय के लिए प्रोटोकॉल बनाना.
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