इंटरनेशनल कोर्ट ऑफ जस्टिस (ICJ) ने 24 मई को इजरायल को गाजा पट्टी के शहर राफा में सैन्य अभियान रोकने का आदेश दिया. इजरायल को यह आदेश देने में जज दलवीर भंडारी (Judge Dalveer Bhandari) भी शामिल रहे. जज दलवीर भंडारी ICJ में भारत के प्रतिनिधि हैं.
कौन हैं भारतीय जज दलवीर भंडारी, जिन्होंने ICJ में इजरायल के खिलाफ आदेश दिया?
जज भंडारी को बहुत ही सम्मानित नजरों से देखा जाता है. वो साल 2012 से ICJ का हिस्सा हैं.

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, जज भंडारी को बहुत ही सम्मानित नजरों से देखा जाता है. वो साल 2012 से ICJ का हिस्सा हैं. राजस्थान के जोधपुर में जन्मे जज भंडारी को कई सारे सम्मान मिल चुके हैं. उन्हें साल 2014 में पद्म भूषण सम्मान भी मिला था.
जज दलवीर भंडारी ने भारत के सुप्रीम कोर्ट में कई लैंडमार्क मामलों की वकालत की है. इसके साथ-साथ वो सुप्रीम कोर्ट के जज भी रहे हैं. उन्हें 28 अक्टूबर 2005 के दिन सुप्रीम कोर्ट का जज बनाया गया था. सुप्रीम कोर्ट के जज के तौर पर उन्होंने जनहित याचिकाओं, संवैधानिक कानून, प्रशासनिक कानून, कॉर्पोरेट लॉ और लेबर लॉ से जुड़े मुद्दों पर जरूरी फैसले सुनाए.
ICJ के जज के तौर पर उनकी भूमिका की बात करें तो जज भंडारी साल 2012 से ICJ में आए सभी मामलों से जुड़े रहे हैं. ये मामले समुद्री सीमा विवाद, अंटार्टिका में व्हेलिंग, नरसंहार, परमाणु निशस्त्रीकरण, टेरर फंडिंग इत्यादि जैसे मुद्दों से जुड़े रहे हैं.
सुप्रीम कोर्ट का जज नियुक्त होने से पहले जज दलवीर भंडारी बॉम्बे हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस थे. उन्होंने डेल्ही सेंटर ऑफ द इंटरनेशनल लॉ एसोसिएशन की अध्यक्षता की है. एक तलाक मामले में उनके फैसले के चलते केंद्र सरकार को हिंदू मैरिज एक्ट 1955 में संशोधन करना पड़ा था. फैसले में उन्होंने कहा था कि अगर दो शादीशुदा लोगों की शादी बचाने के योग्य नहीं बची है, तो इसके आधार पर तलाक लिया जा सकता है.
इससे पहले, दक्षिण अफ्रीका ने ICJ में इजरायल के खिलाफ याचिका डाली थी. दक्षिण अफ्रीका ने आरोप लगाया था कि इजरायल गाजा में नरसंहार कर रहा है. इस याचिका पर सुनवाई करते हुए ICJ ने कहा था कि इजरायल को राफा में तुरंत अपना सैन्य अभियान रोक देना चाहिए.
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ICJ ने यह फैसला 13-2 के वोट के साथ सुनाया था. युगांडा की जज जूलिया सेबूटिंडे और इजरायल के हाई कोर्ट के पूर्व जज आहरोन बराक ने अपनी असहमति जताई थी. इस फैसले में इजरायल को यह भी आदेश दिया गया था कि वो गाजा पट्टी में मानवतावादी सहायता प्रदान करे और साथ ही साथ संयुक्त राष्ट्र संघ की तमाम संस्थाओं को नरसंहार के आरोपों की जांच के लिए एक्सेस दे.
इधर, इजरायल ने ICJ के इस आदेश को पूरी तरह से नकार दिया. उसकी तरफ से कहा गया कि राफा में उसका सैन्य ऑपरेशन पूरी तरह से अंतरराष्ट्रीय कानूनों की परिधि में है. इधर, संयुक्त राष्ट्र में फिलिस्तीन के प्रतिनिधि रियाद मंसूर ने ICJ के इस फैसले का स्वागत किया. उन्होंने कहा कि इजरायल को इस आदेश का पालन करना चाहिए.
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