The Lallantop

शिवराज सिंह पर सवाल उठाने वाले IAS के चैट लीक से मचे बवाल की पूरी कहानी क्या है?

IAS लोकेश जांगिड़ ने ब्यूरोक्रेट्स पर करप्शन के आरोप लगाए तो सरकार ने कारण बताओ नोटिस थमा दिया.

post-main-image
मध्य प्रदेश के सीएम शिवराज सिंह चौहान और IAS लोकेश जांगिड़.
मध्य प्रदेश के बड़वानी में अपर कलेक्टर के पोस्ट से ट्रांसफर होकर राज्य शिक्षा केंद्र भेजे गए IAS लोकेश कुमार जांगिड़ की चैट लीक होने और 30 सेकेंड्स का ऑडियो सामने आने के बाद मध्यप्रदेश की राजनीति गर्मा गई है. इस मामले को लेकर शिवराज सरकार ने लोकेश को नोटिस भेज दिया. पूरा मामला क्या है, समझते हैं.
क्या है मामला?
आरोप है कि IAS अधिकारियों के एक ग्रुप में लोकेश ने बड़वानी के DM और मध्य प्रदेश के अधिकारियों पर भ्रष्टाचार के आरोप लगाए हैं. रिपोर्ट्स के मुताबिक़ लोकेश ने बड़वानी के कलेक्टर शिवराज सिंह वर्मा को लेकर कहा है कि वह पैसा नहीं खा पा रहे थे, तो उन्होंने मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के कान भर दिए. वे दोनों किरार समुदाय से ही आते हैं. कलेक्टर की पत्नी 'किरार महासभा' की सेक्रेटरी हैं और सीएम की पत्नी अध्यक्ष. चैट में लोकेश ने लिखा है कि रिटायर होने के बाद वह एक किताब लिखेंगे. उस किताब में वह सभी तथ्य लिखेंगे, क्योंकि अभी उनके हाथ बंधे हुए हैं.
वहीं जिस ऑडियो लीक की बात की जा रही है, उस ऑडियो में लोकेश ट्रांसफर को लेकर सामान्य प्रशासन विभाग (GAD) के अधिकारी के साथ अपनी नाराजगी जता रहे हैं. इसी ऑडियो को शेयर करने को लेकर उन्हें कारण बताओ नोटिस जारी किया गया है.
कांग्रेस ने शिवराज को घेरा
इस मामले को लेकर विपक्षी दल कांग्रेस ने शिवराज सरकार पर निशाना साधा है.मध्य प्रदेश कांग्रेस की ओर से ट्वीट किया गया है,
मध्यप्रदेश में विधायक ख़रीदकर बनी सरकार ने प्रदेश के प्रशासनिक तंत्र को निरंकुश और लाचार बना दिया है. शिवराज जी, आरोपों की जांच करायेंगे या आरोपी को दबाकर आरोप छिपायेंगे?
कांग्रेस प्रवक्ता नरेंद्र सलूजा ने मामले को लेकर ट्वीट करते हुए लिखा-
प्रदेश के आईएएस लोकेश जांगिड का, बड़वानी में कोरोना में काम आने वाले उपकरणो की ख़रीदी में भ्रष्टाचार की पोल खोलने के कारण तबादला किये जाने का मामला सामने आ रहा है. वहीं उनकी वायरल चैट में “किरार महासभा“ का जिस तरह से ज़िक्र किया गया है, वो बेहद चौकने वाला है, एक ईमानदार अफ़सर ने प्रदेश छोड़ने का मन बना लिया है.
उन्होंने आगे लिखा-
मुख्यमंत्री व ज़िम्मेदारों को सामने आकर उनके तबादले का कारण व इस वायरल चैट पर सारी स्थिति स्पष्ट करनी चाहिये. प्रदेश में इस कोरोना महामारी में भी पदों की बोली, भ्रष्टाचार का खेल, संरक्षण व तबादला उद्योग चालू है.
सरकार क्या कह रही?
मध्य प्रदेश सरकार में मंत्री विश्वास सारंग ने मामले को लेकर आज तक से बात की है. उन्होंने कहा है कि IAS अधिकारी किसी भी पद पर बैठे हों, उन्हें अनुशासनहीनता करने का अधिकार नहीं है. अपने सीनियर अधिकारी के बारे में इस तरह की टिप्पणी, वो भी ग्रुप में, सार्वजनिक तौर पर, यह एक अपराध है. इसे बर्दाश्त नहीं किया जा सकता. शासन ने अधिकारी को नोटिस जारी किया है उसमें उन्हें अपनी सारी बातें स्पष्ट करना होंगी. हम सब जानते हैं कि ट्रांसफर एक रूटीन प्रक्रिया है. इससे सभी अधिकारियों को गुजरना पड़ता है. ट्रांसफर को पूर्वाग्रह से ग्रसित होकर नहीं देखना चाहिए.
मामले को लेकर लोकेश क्या कह रहे हैं?
लोकेश ने वायरल हुए 30 सेकेंड्स के ऑडियो को लेकर हिंदुस्तान टाइम्स
से बातचीत की है. उन्होंने बताया कि 31 मई को मेरा ट्रांसफर किया गया. एकाएक ट्रांसफर किए जाने को लेकर मुझसे कई दोस्तों ने सवाल पूछे तो मैंने पर्सनल चैट पर अपने 4 IAS दोस्तों के साथ ऑडियो शेयर किया. सरकारी आदेश होने के बाद और वेबसाइट पर अपडेट किए जाने के बाद मैंने भरोसे से और पर्सनल कैपेसिटी में ऑडियो शेयर किया था. मैंने उनसे ऑडियो इसलिए शेयर की, क्योंकि मुझे खुद सरकार की ओर से कारण नहीं बताया गया था. मैंने इसे किसी ग्रुप पर नहीं शेयर किया.
लोकेश ने आगे कहा है कि उन्होंने नियमों का उल्लंघन नहीं किया है, क्योंकि जानकारी न तो व्यक्तिगत थी और न ही गोपनीय. उन्होंने GAD के प्रमुख सचिव की निजता के उल्लंघन से भी इनकार किया है. लोकेश का कहना है कि ऑडियो 31 मई का है और मुझे 17 दिनों के बाद 16 जून को नोटिस भेजा गया है. मैंने अपने वक्त से नोटिस का जवाब दूंगा.
मामले को लेकर GAD प्रिंसिपल सेक्रेटरी दीप्ति गौड़ मुखर्जी ने कहा है कि लोकेश ने उनकी निजता का उल्लंघन किया है. उन्हें 7 दिनों में जवाब देने को कहा गया है. मामला मेरे साथ उनकी बातचीत का है. मेरा काम उन्हें सिर्फ यह बताना था कि उनका ट्रांसफर कर दिया गया है लेकिन, उन्होंने बातचीत को रिकॉर्ड कर लिया जो कि एक सरकारी अधिकारी की बेजा हरकत है.
Lokesh Kumar Ramchandra Jangid
शिवराज सरकार ने मामले को लेकर लोकेश को नोटिस भेज दिया है.

साढ़े 4 साल में 8 ट्रांसफर?
लोकेश जांगिड़ का साल 2016 से 2021 के बीच अब तक 8 दफ़ा ट्रांसफ़र किया जा चुका है. लोकेश अब तक एसडीएम विजयपुर, एसडीएम शहडोल, अपर सचिव (राजस्व), उपसचिव नगरीय प्रशासन, सीईओ जिला पंचायत हरदा, अपर कलेक्टर गुना, अपर मिशन संचालक राज्य शिक्षा केंद्र, अपर कलेक्टर बड़वानी रह चुके हैं. बड़वानी से 42 दिनों में उनका ट्रांसफर कर दिया गया था. मौजूदा वक्त में लोकेश अपर मिशन संचालक राज्यशिक्षा केंद्र हैं.
बड़वानी से क्यों हटाए गए थे लोकेश?
दैनिक भास्कर
ने सूत्रों के हवाले से लिखा है कि लोकेश के बड़वानी से हटाने की प्रशासनिक वजह बताई गई. लेकिन इसके पीछे की एक और कहानी सामने आ रही है. रिपोर्ट के मुताबिक़ लोकेश ने कोरोना की दूसरी लहर में ऑक्सीजन कंसंट्रेटर की खरीद में हुए भ्रष्टाचार को उजागर किया था. उन्हें जब बड़वानी में पदस्थ किया गया था, उस वक्त उन्हें जिले का कोविड प्रभारी बनाया गया था. रिपोर्ट के मुताबिक़ बड़वानी के अधिकारी बताते हैं कि अप्रैल और मई में लोकेश अपने ऑफिस में नहीं के बराबर बैठे. वे हमेशा फील्ड में रहते थे. कोरोना की पहली लहर में बड़वानी में बहुत तेजी से संक्रमण फैला, लेकिन दूसरी लहर में उनकी रणनीति और मेहनत के कारण दूसरी लहर में जिले में कोरोना के कम मामले आए.
दैनिक भास्कर की रिपोर्ट के मुताबिक़ बड़वानी में कोरोना महामारी में उपकरणों की खरीदी में भारी हेरफेर हुआ था. 39 हजार के ऑक्सीजन कंसंट्रेटर 60 हजार रुपए में खरीदे गए थे. इसके साथ ही अन्य उपकरणों की खरीदी में करोड़ों का भ्रष्टाचार हुआ था. लोकेश ने ऑफिस जॉइन करते ही भ्रष्टाचारियों पर लगाम लगा दी थी. लोकेश की कार्यप्रणाली स्थानीय अधिकारियों को रास नहीं आई और इसके बाद उन्हें जल्द ही हटवा दिया गया.
महाराष्ट्र क्यों जाना चाहते हैं लोकेश?
लोकेश ने 11 जून को DOPT को चिट्ठी लिख गृह राज्य महाराष्ट्र में तीन साल के लिए इंटर कैडर डेपुटेशन पर जाने की गुजारिश की है. उन्होंने चिट्ठी में लिखा है कि 7 साल की उम्र में पिता का निधन हो गया था. अब परिवार में टाइप-2 डायबिटीज से पीड़ित करीब 87 साल के दादाजी हैं. उनकी 57 वर्षीय मां है.  परिवार को उनकी जरूरत है, इसलिए उन्हें तीन साल के लिए महाराष्ट्र इंटर कैडर डेपुटेशन पर जाने की इजाज़त दी जाए.