Ola ऐप की वो कमी, जिसे ड्राइवरों ने पकड़ा और महीनों तक चांदी काटी
यात्रियों से डबल किराया कैसे वसूला?

मुंबई पुलिस इस खेल में शामिल तीन लोगों को गिरफ़्तार कर चुकी है. 40 से ज्यादा ड्राइवरों के इस फ्रॉड में शामिल होने का शक है. पुलिस के मुताबिक, ये संख्या और भी ज्यादा हो सकती है. (फोटो: इंडिया टुडे)
मुंबई पुलिस ने ओला कैब के 3 ड्राइवरों को गिरफ़्तार किया है. क्यों? क्योंकि उन पर आरोप हैं कि उन्होंने ओला के मोबाइल ऐप में हेरफेर करके कई यात्रियों ने अधिक पैसे वसूल लिए. निर्धारित डेस्टिनेशन के लिए तय किराए से दोगुना तक वसूला गया. मुबई पुलिस को जांच में पता चला कि कम से कम 40 ड्राइवरों ने ऐप के पुराने वर्जन की एक गड़बड़ी का फायदा उठाकर ऐसा किया. कई ड्राइवरों ने पुलिस को बताया कि वे दिसंबर 2019 से ही ऐसा कर रहे थे. पुलिस को शक है कि धोखाधड़ी के इस खेल में कई और ड्राइवर शामिल हो सकते हैं. ऐप को कैसे चकमा देते थे? पुलिस को शक है कि इस पूरे घोटाले का मास्टरमाइंड आचार्य हो सकता है. पुलिस के मुताबिक, आचार्य ने बताया कि ओला ऐप के ड्राइवर इंटरफेस में एक गड़बड़ी थी. जब भी हम किसी ब्रिज के नीचे होते थे तो ऐप GPS में कैब को पुल के ऊपर दिखाता था. ऐसे में जब भी कैब किसी लंबे पुल या फ्लाईओवर के नीचे से जा रही होती थी, तो ड्राइवर ऐप को बंद कर देते थे. और ब्रिज पार करने के बाद जब वह सड़क पर दाएं-बाएं लेने के बाद फिर से ऐप को ऑन कर देते थे. इसके बाद GPS नया रूट खोजता, और रूट की दूरी बढ़ जाती. साथ ही किराया भी. ये ड्राइवर अधिकतर मुंबई एयरपोर्ट के बाहर से पनवेल को जाते थे. इस रूट को इसलिए चुनते थे क्योंकि यह लंबा रास्ता है. इस रास्ते में कई ब्रिज और फ्लाईओवर भी आते हैं, जिससे उन्हें गड़बड़ी करने में आसानी होती थी. आचार्य ने पुलिस के सामने दावा किया कि कई ड्राइवर दिसंबर 2019 से ऐसा कर रहे थे. उसने पुलिस को ये भी बताया कि इन ड्राइवर अपने ऐप को अपडेट नहीं करते थे. उन्होंने अपनी फोन की सेटिंग्स में बदलाव कर रखा था कि ओला ऐप ऑटो अपडेट नहीं होगा. ओला जब भी अपने ऐप को बेहतर बनाने के लिए अपडेट जारी करती, ये उसे स्किप कर देते थे. सिर्फ एक ही रूट पर कैसे जाते थे? ये लोग ड्राइवर्स ऐप में दिए गए 'होम' ऑप्शन का इस्तेमाल करते थे. इसके जरिए ड्राइवर अपनी पसंद के रूट पर जा पाते हैं, और उन्हें सवारियां भी उसी इलाके की मिलती हैं. कई ड्राइवर, जिसका घर पनवेल में नहीं था, वे भी इस फीचर के जरिए पनवेल वाले रूट पर चलते थे. ड्राइवर कितना अतिरिक्त मुनाफ़ा कमा रहे थे? इंडियन एक्सप्रेस में छपी रिपोर्ट के मुताबिक़, पुलिस ने बताया कि कई बार ये लोग दोगुना किराया तक वसूल लेते थे. मान लीजिए, अगर पनवेल तक का किराया 610 रुपये है, तो इनके ऐप में ये 1250 रुपये तक दिखाता था था. जब कोई यात्री अधिक किराए को लेकर शिकायत करता तो ये उनसे कह देते कि वह कंपनी से इस बारे में बात करें. हम तो सिर्फ ड्राइवर हैं, हमें नहीं पता कि सिस्टम कैसे काम करता है. ऐसे में कई बार यात्रियों ने पेमेंट करने के बाद शिकायत नहीं की. लेकिन कुछ मामले में शिकायत की गई तो ओला ने अपने ड्राइवरों पर जुर्माना भी लगाया. पुलिस को मामले का पता कैसे चला? मुंबई पुलिस को इस धोखाधड़ी को लेकर किसी ने जानकारी दी. इसके बाद पुलिस अधिकारी नकली सवारी बनकर पनवेल रूट पर गए. ऐप पर लगातार नज़र बनाए रखी. उन्होंने देखा कि रास्ते में ऐप को कैसे कई बार बंद और ओपन किया गया. पुलिस अधिकारियों ने कई बार इस रूट पर सवारी की. उसके बाद क्राइम ब्रांच में एफआईआर दर्ज की गई. इस मामले में अब तक तीन लोगों को गिरफ़्तार किया जा चुका है. इंडियन एक्सप्रेस ने इस मामले पर जब ओला कंपनी से बात करने की कोशिश की, तो ओला के प्रवक्ता ने कोई कमेंट करने से मना कर दिया. अगर ओला का जवाब आता है तो हम आपको बताएंगे.