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हॉन्ग कॉन्ग में 45 लोकतंत्र समर्थक एक्टिविस्ट को लंबी जेल, सब चीन का किया-धरा

ये हॉन्ग कॉन्ग में साल 2020 में लागू किए गए राष्ट्रीय सुरक्षा कानून के तहत अब तक की सबसे लंबी सजा है.

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इन कार्यकर्ताओं को 4-10 साल की सजा सुनाई गई है. (फोटो: AP)

हॉन्ग कॉन्ग के कई लोकतंत्र समर्थक कार्यकर्ताओं को मंगलवार, 19 नवंबर को जेल की सजा सुनाई गई है. लोकतंत्र समर्थक इन कार्यकर्ताओं पर राष्ट्रीय सुरक्षा कानून के तहत केस चलाया गया था. ये हॉन्ग कॉन्ग का अब तक का सबसे बड़ा राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़ा मामला है. रॉयटर्स की रिपोर्ट के मुताबिक हॉन्ग कॉन्ग के हाई कोर्ट ने 45 लोकतंत्र समर्थक कार्यकर्ताओं को 4 से 10 साल तक की सजा सुनाई है. कई देशों ने इसकी आलोचना की है, जबकि चीन ने इसका बचाव किया है. 

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हॉन्ग कॉन्ग में साल 2021 में 47 लोकतंत्र समर्थक कार्यकर्ताओं को राष्ट्रीय सुरक्षा कानून के तहत गिरफ्तार किया गया था. चीन द्वारा लाया गया ये राष्ट्रीय सुरक्षा कानून हॉन्ग कॉन्ग में साल 2020 में लागू किया गया था. इस कानून के आलोचक कहते हैं कि 2020 में राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़े कानून लाए जाने के बाद से हॉन्ग कॉन्ग में राजनीतिक स्वतंत्रता खत्म हो चुकी है.

लोकतंत्र समर्थक 47 कार्यकर्ताओं के खिलाफ इसी कानून के तहत केस चलाया गया. इन लोगों पर सबवर्जन (subversion) की साजिश रचने का आरोप लगाया था. यहां Subversion का मतलब सरकार या राजनीतिक व्यवस्था को अंदर से उखाड़ फेंकने या कमज़ोर करने की कोशिश से है. रिपोर्ट के मुताबिक इन कार्यकर्ताओं पर एक ‘गैर कानूनी चुनाव’ का हिस्सा होने का आरोप लगाया गया था.

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इस मामले में 118 दिनों की सुनवाई के बाद, मई में 14 कार्यकर्ताओं को दोषी पाया गया था. इनमें ऑस्ट्रेलियाई नागरिक गॉर्डन एनजी और कार्यकर्ता ओवेन चाउ और ग्वेनेथ हो शामिल हैं, जबकि दो को बरी कर दिया गया था. वहीं 31 लोगों ने अपनी गलती मान ली थी. अब सभी 45 लोगों को 4-10 साल की सजा सुनाई गई है.

इस मामले में लीगल स्कॉलर बेनी ताई को 'मास्टरमाइंड' करार देते हुए 10 साल जेल की सजा सुनाई गई है. ये साल 2020 के राष्ट्रीय सुरक्षा कानून के तहत अब तक की सबसे लंबी सजा है.

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कुछ पश्चिमी सरकारों ने इसकी आलोचना की है. अमेरिका ने इसे 'राजनीति से प्रेरित' बताया है. उसने कहा है कि इन कार्यकर्ताओं को रिहा किया जाना चाहिए क्योंकि वे कानूनी और शांतिपूर्ण तरीके से राजनीतिक गतिविधियों में भाग ले रहे थे. वहीं चीनी और हॉन्ग कॉन्ग की सरकार ने कहा कि इन कार्यकर्ताओं के साथ स्थानीय कानूनों के मुताबिक बर्ताव किया गया है.

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