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CAG रिपोर्ट को लेकर हाई कोर्ट ने दिल्ली सरकार पर 'संदेह' जताया, AAP ने क्या कहा?

कोर्ट की ये टिप्पणी बीजेपी के 7 विधायकों की याचिका पर आई है. याचिका में विधानसभा में CAG रिपोर्ट पेश करने की मांग की गई थी. कोर्ट को दिए गए जवाब में AAP सरकार ने कहा कि चुनाव इतने करीब होने पर विधानसभा सत्र बुलाना मुश्किल था.

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दिल्ली में 5 फरवरी को मतदान होने हैं. (PTI)

दिल्ली हाई कोर्ट ने नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (CAG) की रिपोर्ट को लेकर दिल्ली सरकार को फटकार लगाई है. न्यायमूर्ति सचिन दत्ता की एकल पीठ ने कहा कि सरकार ने विधानसभा सत्र ना हो इसलिए रिपोर्ट जारी करने से अपने कदम पीछे खींच लिए. कोर्ट ने ये तक कहा कि दिल्ली सरकार ने जिस तरह उपराज्यपाल वीके सक्सेना को CAG रिपोर्ट भेजने में देरी की और मामले को संभाला, उससे उस पर 'संदेह’ पैदा होता है.

रिपोर्ट्स के मुताबिक न्यायमूर्ति सचिन दत्ता की एकल पीठ ने कहा,

"जिस तरह से आपने अपने कदम पीछे खींचे हैं, उससे आप पर संदेह पैदा होता है. आपको तुरंत रिपोर्ट स्पीकर को भेजनी चाहिए थी और सदन में चर्चा शुरू करनी चाहिए थी."

कोर्ट की ये टिप्पणी बीजेपी के 7 विधायकों की याचिका पर आई है. याचिका में विधानसभा में CAG रिपोर्ट पेश करने की मांग की गई थी. कोर्ट को दिए गए जवाब में AAP सरकार ने कहा कि चुनाव इतने करीब होने पर विधानसभा सत्र बुलाना मुश्किल था. गौरतलब है कि पिछली सुनवाई के दौरान दिल्ली विधानसभा सचिवालय ने कोर्ट में कहा था कि विधानसभा में CAG रिपोर्ट पेश करने से कोई फायदा नहीं होगा, क्योंकि इसका कार्यकाल फरवरी में समाप्त हो रहा है.

हालांकि, दिल्ली सरकार ने हाई कोर्ट की टिप्पणी को बीजेपी द्वारा प्रेस कॉन्फ्रेंस में इस्तेमाल किए जाने पर आपत्ति जताई है. दिल्ली सरकार के वकील राहुल मेहरा ने कहा,

"अदालत को राजनेताओं के हाथों का हथियार बनने की अनुमति नहीं दी जा सकती. यह बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है. कुछ गरिमा बनाए रखी जानी चाहिए."

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक हाल ही में लीक हुई CAG रिपोर्ट में दिल्ली के मुख्यमंत्री के आवास पर नवीनीकरण की योजना, टेंडर में कई अनियमितताओं को उजागर किया गया है. इसने विधानसभा चुनावों से पहले राजनीतिक बहस छेड़ दी है. आरोप लगा है कि 2020 के शुरू में 7.61 करोड़ रुपये की लागत से स्वीकृत इस परियोजना की लागत अप्रैल 2022 तक बढ़कर ‘33.66 करोड़ रुपये’ हो गई, जो मूल अनुमान से 342 प्रतिशत अधिक है.

रिपोर्ट में यह भी खुलासा किया गया है कि दिल्ली में जो नई शराब नीति आई थी उसके कार्यान्वयन में कथित अनियमितताओं के कारण सरकारी खजाने को 2,026 करोड़ रुपये का राजस्व नुकसान हुआ है. 

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