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ज्ञानवापी केस के याचिकाकर्ता को पाकिस्तान से आया धमकी भरा फोन! केस दर्ज

याचिकाकर्ता हरिहर पांडे ने दावा किया कि 24 अगस्त को उन्हें वॉट्सएप पर सिर कटी फोटो भी भेजी गई थी.

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याचिकाकर्ता हरिहर पांडे और काशी विश्वनाथ मंदिर-ज्ञानवापी मस्जिद (फाइल फोटो: ANI/आजतक)

ज्ञानवापी मस्जिद (Gyanvapi Masjid) विवाद में याचिकाकर्ता हरिहर पांडे (Harihar Pandey) ने बताया है कि उन्हें जान से मारने की धमकी दी गई है. वाराणसी के हरिहर पांडे का दावा है कि धमकी भरा फोन पाकिस्तान (Pakistan) से आया था. हरिहर पांडे के मुताबिक 24 अगस्त को उन्हें वॉट्सएप पर सिर कटी फोटो भी भेजी गई थी. उन्होंने एफआईआर दर्ज करवा दी है.

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'मुझे और मेरे परिवार को जान से मारने की धमकी'

हरिहर पांडे ने कहा है कि जब तक ज्ञानवापी मस्जिद को हटाया नहीं जाता, तब तक उनका संघर्ष जारी रहेगा. न्यूज एजेंसी एएनआई से हरिहर पांडे ने बताया,

"24 अगस्त को मुझे पाकिस्तान से जुड़े नंबर से धमकी भरी कॉल आई. फोन करने वाले ने मुझे और मेरे परिवार को जान से मारने की धमकी दी. मैं तब तक संघर्ष करता रहूंगा जब तक औरंगजेब द्वारा बनाई गई ज्ञानवापी मस्जिद को भगवान विश्वेश्वर के मंदिर से हटा नहीं दिया जाता."

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रिपोर्ट्स के मुताबिक उन्हें 24 अगस्त की रात 8 बजे के बाद वॉट्सएप कॉल के जरिए धमकी दी गई. हरिहर पांडे ने एएनआई को बताया,

हमारे मोबाइल नंबर पर 8 बजकर 40 मिनट पर पहले तो उस आदमी ने मैसेज भेजा. मैसेज पर मैंने ध्यान नहीं दिया. उसके बाद फोन किया और फोन पर उसने स्पष्ट कहा कि मस्जिद की लड़ाई लड़ रहे हो. तुम्हारे और तुम्हारे परिवार का क्या हश्र होगा. कोई रहेगा ही नहीं. लगभग 13-14 सेकंड उसने बात की. उसके बाद मैं हैलो-हैलो कौन बोल रहे हो, कहां से बोल रहे हो, कहता रहा. तब तक फोन काट दिया.

अज्ञात के खिलाफ केस दर्ज

हरिहर पांडे की शिकायत पर वाराणसी के लक्सा थाने में अज्ञात व्यक्ति के खिलाफ केस दर्ज किया गया है. उनकी सुरक्षा के लिए पुलिस का एक जवान भी तैनात है.

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आजतक की रिपोर्ट के मुताबिक साल 1991 में काशी विश्वनाथ मंदिर के पुरोहितों के वंशज पंडित सोमनाथ व्यास, संस्कृत प्रोफेसर डॉ. रामरंग शर्मा और सामाजिक कार्यकर्ता हरिहर पांडे ने वाराणसी सिविल कोर्ट में एक याचिका दायर की थी.  

याचिका में तर्क दिया गया कि काशी विश्वनाथ का जो मूल मंदिर था, उसे 2050 साल पहले राजा विक्रमादित्य ने बनवाया था. याचिका में कहा गया कि 1669 में औरंगजेब ने इसे तोड़ दिया और इसकी जगह मस्जिद बनाई. याचिका में मंदिर की जमीन हिंदू समुदाय को वापस करने की मांग की गई थी. केस दायर होने के कुछ साल बाद पंडित सोमनाथ व्यास और रामरंग शर्मा का निधन हो गया. हरिहर पांडे ही इस मामले के इकलौते पक्षकार बचे हैं.

दी लल्लनटॉप शो: ज्ञानवापी मस्जिद के इतिहास पर इतिहासकारों की क्या राय?

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