गुजरात. वो प्रदेश, जिसका मॉडल पूरे देश के लिए नज़ीर बताया गया. उस मॉडल के बूते 26 मई, 2014 को एक आदमी ने प्रधानमंत्री पद की शपथ ली. विकास के लिए गुजरात की मिसाल दी जाती है. हम भी ये मानने को तैयार हैं, अगर कोई साबित कर दे कि ऐसी किसी व्यवस्था में तांत्रिकों के लिए भी जगह है. गुजरात सरकार के दो मंत्री तांत्रिकों के एक कार्यक्रम में बरामद हुए. बड़ा कार्यक्रम. 100 तांत्रिक. सरकार के दो मंत्री बैठे सारा ड्रामा देख रहे थे और तांत्रिकों को सम्मानित कर रहे थे.
गुजरात में शिक्षा और न्याय विभाग की क्या जरूरत, वहां तो सब तांत्रिक संभाल लेंगे!
गुजरात सरकार के दो मंत्री तांत्रिकों के एक कार्यक्रम में बरामद हुए हैं.

कमाल की बात ये है कि इनमें से एक हैं शिक्षा और राजस्व मंत्री भूपेंद्र सिंह चूड़ास्मा और दूसरे हैं सामाजिक न्याय विभाग मंत्री आत्माराम परमार. कार्यक्रम था गुजरात के बोटाद में, जो अहमदाबाद से करीब 130 किलोमीटर दूर है. इवेंट में आगे बैठे तांत्रिक अपना ड्रामा फैला रहे थे और पीछे बैठे दोनों मंत्री सारा तमाशा देख रहे थे.
जब तांत्रिकों की नौटंकी खत्म हो गई, तो दोनों मंत्रियों ने वहां मौजूद 100 तांत्रिकों से हाथ मिलाया. शिक्षामंत्री चूड़ास्मा ने तो तांत्रिकों को 'दैवीय शक्तियों का साधक' बताकर उनका हौसला भी बढ़ाया. जब उनसे इस पर जवाब मांगा गया, तो उन्होंने कहा कि तांत्रिक भी इस समाज का हिस्सा हैं और वो भी समाज का हिस्सा हैं. इसी नाते वो तांत्रिकों से मिलने गए थे.

शिक्षामंत्री भूपेंद्र सिंह (बाएं) और न्याय विभाग मंत्री आत्माराम (दाएं)
तांत्रिक भारत में जनमान्यता-प्राप्त संस्था हैं. कम पढ़े-लिखे (कई डिग्रीधारी भी अनपढ़ होते हैं) लोगों को भरोसा होता है कि तांत्रिक उन्हें कुछ दे सकते हैं, उनका कुछ भला कर सकते हैं. लेकिन जब शिक्षामंत्री और न्याय विभाग के मंत्री खुद तांत्रिकों के साथ बैठे हैं, तो लोगों को उनसे क्या मिलेगा! एजुकेशन होती ही इसलिए है कि लोगों का अंधविश्वास दूर किया जा सके, लेकिन जब खुद शिक्षामंत्री तांत्रिकों का हौसला बढ़ाकर उन्हें साधक बताएंगे, तो विभाग और स्टूडेंट्स का क्या हाल होगा?
और सिर्फ बिना पढ़े-लिखे लोगों को ही क्यों दोष दिया जाए. भारतीय समाज से लेकर राजनीति तक, तांत्रिक तो हमेशा ड्राइविंग सीट पर रहे हैं. फिर चाहे वो चंद्रास्वामी हों या विभूति नारायण. चंद्रास्वामी तो वो तांत्रिक थे, जिससे देश के प्रधानमंत्री अपने लिए हवन कराते थे. हथियार डीलर्स के साथ उसके संबंध थे और कई नेता उसके पास भविष्य जानने के लिए जाते थे. नीतीश कुमार जैसे बेहद प्रैक्टिकल नेता भी तांत्रिकों के साथ दिखते रहे हैं.

तांत्रिक के साथ नीतीश कुमार
हमारे देश के नेताओं को समझना चाहिए कि वो लोगों के सामने कैसे उदाहरण पेश कर रहे हैं. वो निजी तौर पर किसी भी चीज में विश्वास रखने के लिए स्वतंत्र हैं, लेकिन तंत्र साधना जैसे अंधविश्वासों पर कोई कैसे यकीन कर सकता है!
देखिए तांत्रिकों के इवेंट में मंत्रियों का वीडियो:
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