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अर्रे कमाल! GST घटने के बाद भी कंपनी ने रेट कम नहीं किए, 241 करोड़ का जुर्माना ठुक गया

मल्टीनेशनल ग्रुप P&G पर लगा जुर्माना, जो जिलेट रेज़र, विक्स वेपोरब, ओरल बी टूथब्रश, व्हिस्पर सैनिटरी पैड्स जैसे प्रॉडक्ट्स बनाती है.

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NAA का गठन केंद्रीय वस्तु एवं सेवा कर अधिनियम, 2017 की धारा 171 के तहत किया गया था. (फोटो - इंडिया टुडे)
GST की नेशनल एंटीप्रोफिटियरिंग अथॉरिटी NAA ने P&G (प्रॉक्टर एंड गैम्बल) कंपनियों पर मुनाफाखोरी का आरोप लगाते हुए कंज़्यूमर वेलफेयर फंड में 241.51 करोड़ रूपये जमा करने का आदेश दिया है. NAA ने कहा कि कंपनियों ने GST रेट घटने के बावजूद अपने दामों में कमी नहीं कर मुनाफा कमाया है. वहीं P&G ग्रुप ने ऐसे किसी भी आरोप को मानने से इनकार किया है और कहा कि वो हर संभव कानूनी तरीका अपनाएगा. आपको बता दें कि P&G ग्रुप जिलेट रेज़र, विक्स वेपोरब, ओरल बी टूथब्रश, व्हिस्पर सैनिटरी पैड्स, और हेड एंड शोल्डर्स जैसे प्रोडक्ट्स बनाती है.

क्या है पूरा मामला?

P&G ग्रुप की तीन कंपनियों - प्रॉक्टर एंड गैम्बल होम प्रोडक्ट्स, प्रॉक्टर एंड गैम्बल हाइजीन एंड हैल्थकेयर और जिलेट इंडिया, पर आरोप हैं कि 15 नवंबर, 2017 से GST रेट्स को 28 से 18 परसेंट करने के बाद भी इन्होने अपने प्रोडक्ट्स के दामों में कोई कमी नहीं की. जांच के बाद डायरेक्टोरेट जनरल ऑफ़ एंटी प्रोफिटियरिंग DGAP ने कहा कि रेट्स घटने के बाद भी इन कंपनियों ने अपने कुल 1383 प्रोडक्ट्स के बेस प्राइस में बढ़ोतरी की जो कि कानून का उल्लंघन है. पहले मुनाफाखोरी की रकम कुल 243.93 करोड़ रूपये तय की गयी थी जिसे बाद में NAA ने घटाकर 241.5 करोड़ रूपये कर दिया. NAA ने अपने आदेश में कहा,
"मुनाफाखोरी के लिए ज़िम्मेदार कंपनियों ने GST दरों में कमी से हुए मुनाफे से इनकार किया है जो कि CGST एक्ट 2017 के सेक्शन 171 (1) का उल्लंघन है."
NAA ने आगे कहा कि चूंकि इन प्रोडक्ट्स के सभी उपभोक्ताओं की पहचान करना मुमकिन नहीं है, इसलिए दोषी कंपनियों को मुनाफाखोरी की कुल रकम 241.51 करोड़ रूपये का आधा हिस्सा सेंट्रल कंज़्यूमर वेलफेयर फंड में जमा करवाना होगा. बाकी की रक़म को भी सभी राज्यों और केंद्र-शासित प्रदेशों, जिनकी संख्या 33 है, के स्टेट कंज़्यूमर वेलफेयर फंड में जमा करवाने का आदेश NAA ने दिया.

P&G ने क्या कहा

बिज़नेस लाइन की खबर के मुताबिक़, इस मामले पर P&G के प्रवक्ता ने कहा है कि GST दरों में कमी से प्राप्त हुए लाभों को कंपनी ने सभी उपभोक्ताओं तक पहुंचाया है. उन्होंने कहा,
"सिर्फ इतना ही नहीं बल्कि हमने विज्ञापन की सहायता से सभी उपभोक्ताओं को इस बारे में जागरूक भी किया था. इंडस्ट्री के साथ ही हम अथॉरिटीज से भी लगातार ये मांग करते रहे हैं कि इस विषय में सभी नियम-कानूनों का एक क्लियर सेट हो जिससे इस तरह की किसी भी संदिग्धता से बचा जा सके. हम NAA के आदेश की समीक्षा करेंगे और सभी कानूनी विकल्पों की सहायता लेंगे."

क्या है NAA

राष्ट्रीय मुनाफाखोरी-रोधी प्राधिकरण या NAA का गठन केंद्रीय वस्तु एवं सेवा कर अधिनियम, 2017 की धारा 171 के तहत किया गया था. NAA का काम इस बात की निगरानी और देखरेख करना है कि टैक्स दरों में कमी का फायदा उपभोक्ताओं तक पहुंच रहा है या नहीं. इसका गठन केंद्र सरकार ने इसीलिए किया था ताकि GST के नाम पर दामों में बेतहाशा वृद्धि से उपभोक्ता सुरक्षित रहे.

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