मणिपुर में अलग केंद्र शासित प्रदेश बनाने की मांग जोर पकड़ रही है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी मणिपुर में चुराचांदपुर के दौरे पर गए तो भारतीय जनता पार्टी (BJP) समेत कुकी समुदाय के 10 विधायकों ने भी उनके सामने केंद्र शासित प्रदेश की मांग रखी. शनिवार, 13 सितंबर को इन विधायकों ने पीएम मोदी को एक संयुक्त ज्ञापन सौंपा. इसमें उन्होंने मणिपुर की समस्या के जल्द राजनीतिक हल और विधानसभा समेत अलग केंद्र शासित प्रदेश बनाने की अपील की.
'एक छत के नीचे नहीं रह सकते,' मणिपुर में BJP समेत 10 कुकी विधायकों ने PM मोदी से अलग UT की मांग की
Manipur के 10 विधायकों ने PM Narendra Modi को उनकी पहली Churachandpur यात्रा के दौरान एक संयुक्त ज्ञापन सौंपा. इसमें विधानसभा समेत एक अलग Union Territory बनाने की अपील की गई है.


इंडिया टुडे नॉर्थ ईस्ट की रिपोर्ट के मुताबिक, ज्ञापन पर साइन करने वालों में BJP, कुकी पीपुल्स अलायंस (KPA) और निर्दलीय विधायक शामिल हैं. इसमें कहा गया कि मणिपुर में अल्पसंख्यक समुदाय बड़े पैमाने पर 'जातीय उत्पीड़न' का शिकार हुआ है. उन्होंने राज्य सरकार पर हिंसा में मिलीभगत का आरोप लगाया और कहा कि इसकी वजह से उन्हें घाटी के इलाकों से बाहर जाना पड़ा.
ज्ञापन में कहा गया,
“अब हम केवल अच्छे पड़ोसियों के रूप में ही शांति से रह सकते हैं, फिर कभी एक ही छत के नीचे नहीं.”
ज्ञापन में जोर देकर कहा गया कि अलग होना ही उनके लोगों के लिए स्थायी शांति, न्याय और सुरक्षा सुनिश्चित करने का इकलौता तरीका है.
साइन करने वाले विधायकों में वुंगजागिन वाल्टे (BJP, थानलॉन), नगुरसंगलुर सनाटे (BJP, टिपाईमुख), चिनलुनथांग मनलुन (KPA, सिंगंगट), लेत्जामांग हाओकिप (BJP, हेंगलेप), पाओलीनलाल हाओकिप (BJP, सैकोट), एमएल खाउते (BJP, चुराचांदपुर), लेतपाओ हाओकिप (BJP, टेंग्नौपाल), किम्नेओ हैंगशिंग (KPA, सैकुल), नेमचा किपगेन (BJP, कांगपोकपी) और हाओखोलेत किपगेन (निर्दलीय, सैतु) शामिल हैं.
कुकी-जो काउंसिल (KZC) ने भी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को एक ज्ञापन दिया, जिसमें मणिपुर में कुकी-जो समुदाय की सुरक्षा और भविष्य के लिए स्थायी राजनीतिक समाधान की मांग की गई. KZC ने भी मणिपुर से अलग एक विधानसभा वाले केंद्र शासित प्रदेश की मांग उठाई.
ज्ञापन में बताया गया कि बहुसंख्यक मैती समुदाय के साथ जातीय हिंसा में कुकी-जो समुदाय के 250 से ज्यादा लोग मारे गए, 360 से ज्यादा चर्चों और पूजा स्थलों को तोड़ा गया, 7,000 से घर जला दिए गए और लगभग 40,000 लोग राहत शिविरों में रह रहे हैं.
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