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अटॉर्नी जनरल और सॉलिसिटर जनरल की मेन वाली से अलग फीस पर ही 1 करोड़ से ज्यादा खर्च हो गए

केंद्र की बीजेपी सरकार ने देश के टॉप लॉ ऑफिसर्स की रिटेनर फीस पर खर्च किए ये रुपये. ये फीस एडवांस बुकिंग वाली फीस होती है. मतलब केस लड़ने वाली फीस से अलग.

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बाएं से दाएं. अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल और सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता. (फोटो: AAJ TAK )

अटॉर्नी जनरल (Attorney General) और सॉलिसिटर जनरल (Solicitor General) की रिटेनर फीस को लेकर एक RTI दायर की गई थी. जिसके जवाब में बताया गया कि बीजेपी के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार देश के टॉप लॉ अधिकारियों पर एक करोड़ रुपये से ज्यादा खर्च कर चुकी है. ये आंकड़ा पिछले दस साल का है. रिटेनर फीस वकील की मुख्य फीस से अलग होती है. 

कानून मंत्रालय ने दी जानकारी

कानून मंत्रालय से मिली जानकारी के मुताबिक, साल 2012 से सितंबर 2015 तक केंद्र की ओर से अटॉर्नी जनरल को हर महीने रिटेनर फीस के तौर पर 54,000 रुपये  मिलते थे. जो अक्टूबर 2015 में बढ़कर 79,000 रुपये हो गए थे. वहीं बात करें सॉलिसिटर जनरल की रिटेनर फीस की, तो साल 2012 से 2015 तक ये 40,000 रुपये प्रति महीना थी. बाद में इसे बढ़ाकर 60 हजार रुपये कर दिया गाय था. एक अप्रैल, 2012 से 31 मार्च, 2022 तक अटॉर्नी जनरल को दी गई रिटेनर फीस को जोड़ें, तो पिछले दस साल में उन्हे 83,41,000 रुपये दिए जा चुके हैं. वहीं सॉलिसिटर जनरल को पिछले दस सालों में 56,08,351 रुपये रिटेनर फीस के तौर पर दिए जा चुके हैं.

क्या होती है रिटेनर फीस?

रिटेनर फीस एक तरह से वकीलों को दिया जाने वाला प्रीपेड अमाउंट है. या यूं कहें कि रिटेनर फीस एक तरह का टोकन मनी होता है. मतलब सर्विस के लिए दिया गया एडवांस. ये उनकी केस फीस से अलग होता है. जब कभी वकील कोई केस दायर करेगा या उस केस में जिरह करेगा, तो उसकी सर्विस के लिए उसे अलग से रुपए दिए जाएंगे.

कौन होगा अगला अटार्नी जनरल?

2014 में बीजेपी के सत्ता में आने के बाद से अब तक दो वकीलों ने केंद्र में अटॉर्नी जनरल के पद पर अपनी सेवा दी है. जिसमें सीनियर एडवोकेट मुकुल रोहतगी साल 2014 से 2017 तक देश के 14वें अटॉर्नी जनरल के तौर पर पदस्थ थे. उनके तीन साल के कार्यकाल के बाद साल 2017 में राष्ट्रपति ने सीनियर एडवोकेट के.के. वेणुगोपाल को केंद्र का अटॉर्नी जनरल नियुक्त किया था. 

इस साल जून के अंत में, एजी वेणुगोपाल का कार्यकाल तीन महीने के लिए बढ़ा दिया गया था, जो इसी साल 30 सितंबर को समाप्त हो रहा है. और अब एक अक्टूबर को फिर से मुकुल रोहतगी देश के 16वें अटॉर्नी जनरल के पद पर अपना दूसरा कार्यकाल शुरू करेंगे. बात रही सॉलिसिटर जनरल के पद की तो बीजेपी के सत्ता में आने के बाद जून, 2014 में रणजीत कुमार को इस पद पर नियुक्त किया. अक्टूबर, 2018 में तुषार मेहता इस पद पर नियुक्त हुए. इससे पहले जून 2014 से अक्टूबर 2018 तक तुषार मेहता एडिशनल सॉलिसिटर जनरल के तौर पर तैनात थे. 

(ये स्टोरी हमारे साथ इंटर्नशिप कर रहे आर्यन ने लिखी है.)

वीडियो देखें: पूर्व अटॉर्नी जनरल मुकुल रोहतगी ने दिशा रवि मामले में क्या कह दिया?