माइली साइरस. अमेरिका की मशहूर सिंगर और एक्ट्रेस. माइली अमेरिका की फुटबॉल लीग की सुपर बॉल के उद्घाटन समारोह में मौजूद नहीं थीं. ऐसा ज़रूरी नहीं है कि वहां हर किसी को मौजूद रहना होता है. बस ये समझिए कि सुपर बॉल के वक़्त हर सेलेब्रिटी वहीं मौजूद रहना चाहता है. बाद में माइली ने अपने इंस्टाग्राम पर बताया कि वो सुपर बॉल के वक्त कहां थीं.
उन्होंने अपने मालिबू वाले घर में लक्ष्मी पूजा रखी थी. फिर से बता दूं कि माइली ने अपने घर में लक्ष्मी पूजा रखी थी. माइली ने 2 फ़ोटो अपलोड की हैं. एक फोटो का कैप्शन उन्होंने डाला था, सुपर बॉल से ऊपर फ्रूट बोल. माइली के घर में लक्ष्मी की फोटो के अलावा उनके आध्यात्मिक गुरुओं की भी फोटो है. और एक पुजारी हाथ जोड़े बैठा दिख रहा है.

माइली की इंस्टा फोटो.
दूसरी फोटो में माइली के घर में रंग-बिरंगे कुशन लगे हुए हैं. जमीन पर गुलाब के पंखुड़ियां फ़ैली हुई हैं. ढेर सारी मोमबत्तियां जल रही हैं. कैप्शन है -
पूजा. अगल बगल में दो हार्ट वाली इमोजी भी हैं.
इसमें बड़ी बात क्या है?
विदेशियों का हिंदू धर्म के रीति-रिवाजों का अपनाना या सिर्फ बिंदी लगा लेना हमें इतना आकर्षित क्यों करता है? अब चाहे वो जूलिया रॉबर्ट्स का हिंदू बन जाना हो या सेलेना गोमेज का एक कॉन्सर्ट के दौरान बिंदी लगाना हो. सेलेना गोमेज, केटी पेरी, ग्वेन स्टेफ़नी, मडोना जिसने भी बिंदी लगाई, हिंदू धर्म के रखवाले उस पर भड़क गए. हिंदू धर्म अपना चुकी जूलिया रॉबर्ट्स को अहमदाबाद में नवरात्रि के पंडाल में पूजा करने से रोक दिया गया था.
मशहूर सिंगर सेलेना ने अप्रैल 2013 में एमटीवी के शो में बिंदी लगा कर बॉलीवुड थीम पर प्रस्तुति दी थी. यूनिवर्सल सोसायटी ऑफ हिंदूइज्म के राजन ज़ेद ने उनसे हिंदुओं से माफी मांगने की मांग कर डाली.

एमटीवी मूवी अवॉर्ड शो में अपने सिंगल 'कम एंड गेट इट' पर परफॉर्म करतीं सेलेना.
राजन जेद ने न्यूज वेबसाइट WENN से बात करते हुए कहा थाः
"बिंदी हिंदू धर्म की प्राचीन परंपरा है. जिसका बहुत ही धार्मिक महत्व है. ये कोई फैशन एक्सेसरी नहीं है. बिंदी कोई कामुक अदा दिखाने के लिए नहीं बनी है."

एमटीवी के शो में मडोना
2013 में एमटीवी के ही शो में पॉप स्टार मडोना ने जब माथे पर बिंदी और हाथों में मेंहदी लगाकर परफॉर्म किया तो हिन्दू धर्म का झंडा बुलंद करने वालों का खून खौल उठा. अमेरिकन हिंदूज़ अगेंस्ट डिफेमेशन नाम की एक संस्था के सौरभ जग ने अपनी वेबसाइट पर लिखाः
"ये सेलिब्रिटी ईसाई और इस्लाम धर्म से तो कोई छेड़छाड़ नहीं करते लेकिन हिंदू धर्म पर बड़ी आसानी से चोट करते हैं."
इस संस्था ने मडोना को भविष्य में हिंदू धर्म के प्रतीकों का गलत इस्तेमाल न करने की चेतावनी भी दे डाली थी.
सवाल ये खड़ा होता है कि ये संस्थाएं या ग्रुप किस हक़ से हिन्दू धर्म के संरक्षक बन जाते हैं? इन्हें कौन अपॉइन्ट करता है? उन्हें वो पद देने से पहले क्या सभी हिन्दुओं से पूछा जाता है? मैं धार्मिक नहीं हूं. मेरे घरवाले हैं. उन्हें तो इस अमेरिकन हिंदूज़ अगेंस्ट डिफेमेशन या यूनिवर्सल सोसायटी ऑफ हिंदूइज्म का एबीसी भी नहीं मालूम. न ही हमसे किसी ने भी संपर्क किया. खुद ही मठाधीश बन फ़तवे जारी करते रहने का क्या मतलब है? मैं भी एक संस्था खोल उसे रजिस्टर करवा, मुट्ठी भर फॉलोवर लेकर निकल पडूं और अपनी सहूलियत के हिसाब से हिन्दू धर्म को चलाने को कहूं तो? ये जितनी भी संस्थाएं हैं, सभी ने ठेके ले रखे हैं. इन्हें ठेके दिए किसने, नहीं मालूम.
किसी इंसान का किसी भी धर्म को अपनाना, उसके रीति-रिवाजों को मानना, उत्सव मनाना या न मनाना, उस धर्म के सिम्बल्स को अपनाना या उन्हें इस्तेमाल करना, ये उसका निहायत ही व्यक्तिगत चुनाव है. हमें इससे प्रभावित होने की या उस पर बवाल काटने की कोई जरूरत नहीं है. अगर किसी के कुछ भी करने से आप आहत हो जाते हैं तो कमजोरी आपकी है. और ये आपके धर्म में आपकी आस्था की कमज़ोरी को उघाड़ के रख देता है. मुझे नहीं लगता कि किसी भी इंसान का विश्वास अगर मजबूत हो तो उसे किसी भी ऐरे गैरे की (आपके हिसाब से ऐक्टर्स ऐरे-गैरे ही तो हैं). राष्ट्रपति ट्रंप दीप-प्रज्जवलन करें या फिर ओबामा अपने पास हनुमान की मूर्ति रखें, इससे आपकी सेहत पर क्यों असर पड़ने लगा?