सुप्रीम कोर्ट में साल 2002 के गोधरा अग्निकांड (Godhara Train Burning) के दोषियों की जमानत अर्जी का विरोध हुआ है. गुजरात सरकार ने इस अर्जी का विरोध किया है. CJI डीवाई चंद्रचूड़ (Justice D.Y. Chandrachud) की अध्यक्षता वाली तीन जजों की बेंच मामले की सुनवाई कर रही थी. सुनवाई के दौरान गुजरात सरकार का पक्ष रख रहे थे सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता. वहीं दोषियों का पक्ष रख रहे थे वरिष्ठ अधिवक्ता संजय हेगड़े.
गोधरा कांड के दोषियों ने जमानत मांगी, गुजरात सरकार बोली- "किसी को नहीं छोड़ेंगे"
"जिन दोषियों की सजा उम्रकैद में बदल दी गई है, उनके लिए फांसी मांगेगे."

इंडिया टुडे से जुड़ी कनु शारदा की रिपोर्ट के मुताबिक, इस मामले में सुनवाई 20 फरवरी को हुई. गुजरात सरकार का कहना है कि, ये रेयरेस्ट ऑफ रेयर केस है. इस केस में कोई रियायत नहीं बरती जा सकती है. सरकार का पक्ष रखते हुए सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा,
'इस सातों दोषियों द्वारा किया गया अपराध बहुत संगीन है. इस मामले में किसी भी प्रकार की रियायत नहीं बरती जा सकती है. ये रेयरेस्ट ऑफ रेयर केस है.'
सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने आगे बताया कि इन दोषियों के खिलाफ ‘टेररिस्ट एंड डिसरप्टिव एक्टिविटी प्रिवेंशन एक्ट’ (TADA)लागू है. तो गुजरात सरकार की नीति के तहत इन दोषियों की समय से पहले रिहाई पर विचार भी नहीं किया जा सकता है. सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने बेंच को बताया कि केस में शामिल 34 दोषियों में 20 को उम्रकैद की सजा हुई है, वहीं 11 को फांसी की सजा सुनाई गई है.
उन्होंने आगे कहा कि इनमें से कुछ दोषियों की सजा उम्रकैद में बदल दी गई है, जिसे गुजरात सरकार द्वारा चुनौती दी गई है. इसके बाद तुषार मेहता ने हर एक दोषी के अपराध के बारे में बताया. जिसके बाद बेंच ने दोषियों की उम्र के बारे में सवाल किया. जिसके बाद बेंच को बताया गया कि ज्यादातर दोषियों की उम्र 60 साल से ज्यादा है.
'याचिका पर विचार करे कोर्ट'कुछ दोषियों का पक्ष रख रहे वरिष्ठ अधिवक्ता संजय हेगड़े ने बेंच से कहा कि जिन 11 आरोपियों को मौत की सजा सुनाई गई है, बेंच उनकी अर्जी पर विचार करें. उन्होंने आगे कहा कि अगर ये वारंट है तो और बाकी केस को भी उदारता से निपटाया जा सकता है. इसपर तुषार मेहता ने टिप्पणी करते हुए कहा कि वो 11 ग्यारह दोषियों के खिलाफ कड़ा रुख अपनाएंगे. ये रेयरेस्ट ऑफ रेयर केस है. जिसमें 59 लोगों की हत्या की गई थी. इसके बाद बेंच ने दोनों पक्षों को एक चार्ट तैयार करने को कहा. कोर्ट ने कहा कि इस चार्ट में दोषियों की उम्र, उनका जुर्म और सजा की जानकारी होनी चाहिए. बता दें कि पिछले साल सुप्रीम कोर्ट ने इसी केस से जुड़े दो दोषियों को 17 साल जेल में काटने को आधार पर रिहा कर दिया था.
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