पालघर के एक गांव में रहने वाला महेश रोज की तरह अपने भाई के साथ मच्छी पकड़ने निकला था. कुछ देर बाद उसने जब अपना जाल टटोला, तो उसे वो भारी लगा. जाल समेटा तो देखा कि जाल में एक नर घोल मछली फंसी थी. घोल बड़ी कीमती मछली होती है. आसानी से नहीं मिलती. इसलिए उसके मिलते ही आसपास हलचल मच गई.

इस मछली का वजन तीस किलो के करीब था.
इस घोल मछली को खरीदने के लिए कई बिजनसमैन आगे आए. 6 अगस्त को इस मछली की नीलामी की गई. 20 मिनट चली नीलामी में सबसे ऊंची बोली लगी साढ़े पांच लाख की. और घोल मच्छी बिक गई. नर मच्छी का मामला था तो बिक गया भी कह सकते हैं.
इतनी महंगी क्यों होती है घोल मच्छी?
घोल मच्छी की कीमत इतनी ज़्यादा इसलिए होती है क्योंकि उसके फेफड़े (गिल्स) कई कामों में इस्तेमाल किए जाते हैं. तो कीमत फेफड़े के वजन से तय होता है. एक औसत घोल मच्छी की कीमत 10 हज़ार रुपए से शुरू होती. महेश को मिली घोल का फेफड़ा सवा सात किलो का था. इसीलिए उसे इतनी ऊंची कीमत मिली.

इसी फेफड़े की वजह से इतनी ऊंची रकम में बिकी है ये मछली.
क्या होता है घोल के फेफड़े में?
घोल के फेफड़े में कोलोजन पाया जाता है. कोलोजन चेहरे की स्किन के लिए काफी अच्छा माना जाता है. इसलिए कई कॉस्मेटिक क्रीम बनाने वाली कंपनियां अपने प्रोडक्ट में घोल के फेफड़े का इस्तेमाल करती हैं. इन फेफड़ों से सर्जरी में यूज़ होने वाला धागा भी बनाया जाता. इन धागों की खासियत होती है कि ये अपने आप ही कुछ दिन में घुल जाते हैं. इसका यूज़ वाइन और बीयर को फिल्टर करने में भी किया जाता है.
ये भी पढ़ें:
ज्यादा चार्ज करने से मोबाइल में धमाके की सच्चाई क्या है?
देवरिया रेप केस : सिलाई-कढ़ाई सिखाने से लेकर कैसे करोड़पति बन गई गिरिजा
450 करोड़ रुपए के जिस पुल को बनाने में केजरीवाल ने '250 करोड़' बचाए थे, क्या वो धंस गया?
आधी रात को दो ट्रेनें टकराईं और एक हज़ार से ज़्यादा लोग मर गए
वीडियो देखें: मुंबई के बोरीवली में इंसान और सूअर की क्रॉस ब्रीडिंग का सच