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भारत के बोर्डिंग स्कूलों का जमावड़ा, तस्वीर जर्मनी की? राजदूत ने क्या पोल खोली?

अख़बार में इश्तेहार आया - ‘भारत के बोर्डिंग स्कूलों की सबसे बड़ी सभा’. इश्तेहार में एक फ़ोटो का इस्तेमाल किया गया है, मगर फ़ोटो भारत के किसी बोर्डिंग स्कूल की नहीं है.

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जर्मन राजदूत के खुलासे के बाद सोशल मीडिया पर लोगों ने बहुत मौज ली. (फ़ोटो - सोशल मीडिया)

एक अख़बार में इश्तेहार आया - ‘भारत के बोर्डिंग स्कूलों की सबसे बड़ी सभा’. इश्तेहार में एक फ़ोटो का इस्तेमाल किया गया है. फ़ुल-भौकाल फोटो. मगर जर्मनी के राजदूत ने बताया है कि ये फ़ोटो भारत के किसी बोर्डिंग स्कूल की नहीं, जर्मनी के राष्ट्रपति भवन की है. मल्लब विज्ञापन में गलत फ़ोटो इस्तेमाल की गई है.

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भारत और भूटान में जर्मनी के राजदूत डॉ फिलिप एकरमैन ने X (पूर्व ट्विटर) पर अख़बारी विज्ञापन की फ़ोटो शेयर की. क्या है विज्ञापन में? फ़ोटो में एक सभा का एडवरटाइज़मेंट है. साथ में लिखा है कि भारत के 30 से ज़्यादा प्रमुख बोर्डिंग स्कूल इकठ्ठा होने वाले हैं. सभा दिल्ली में 1 और 2 अक्टूबर को होगी. एडवरटाइज़मेंट की फ़ोटो पोस्ट करते हुए जर्मन राजदूत डॉ. फिलिप एकरमैन ने लिखा,

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"मुझे यह आज के अख़बार में मिला. लेकिन यह बिल्डिंग कोई बोर्डिंग स्कूल नहीं है! यह बर्लिन में जर्मन राष्ट्रपति भवन है. हमारा राष्ट्रपति भवन जैसा था, वैसा. जर्मनी में भी अच्छे बोर्डिंग स्कूल हैं - लेकिन इस बिल्डिंग में किसी भी बच्चे को प्रवेश नहीं दिया जाएगा."

लोगों ने मज़े ले लिए

इस पोस्ट पर कई लोगों ने कॉमेंट्स किए. जैसे सौरभ तिवारी नाम के यूज़र ने लघु कविता ही रच दी:

"कभी नए पैकेट में बेचें तुमको चीज़ पुरानी,
फिर भी दिल है, हिन्दुस्तानी."

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स्मिता मूर्ति नाम की यूज़र ने लिखा,

“एक अच्छी दिखने वाली बिल्डिंग की फ़ोटो को बेतरतीब ढंग से कॉपी-पेस्ट करने के ख़तरे.”

राजथ सिसौदिया नाम के यूज़र ने लिखा,

“भारत में सब कुछ और कुछ भी बिकता है!”

विवेकानन्द शुक्ल ने जर्मन राजदूत के लिए लिखा,

“इनको नहीं उम्मीद थी कि आप खुद इनको बेनक़ाब करने की ज़हमत उठाएंगे.”

पंकज नाम के यूज़र ने स्कूलवालों का साइड लिया. लिखा, 

“उनका मतलब है कि अच्छी पढ़ाई से वे इस तरह के बड़े पदों पर पहुंच सकते हैं.”

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