गीतांजलि श्री (Geetanjali Shree) के उपन्यास "टूम ऑफ सैंड" (Tomb of Sand) को अंतरराष्ट्रीय बुकर प्राइज (International Booker prize) मिला है. यह विश्व की उन 13 पुस्तकों में शामिल थी, जिन्हें अंतरराष्ट्रीय बुकर पुरस्कार के लिए शॉर्ट लिस्ट किया गया था. यह हिंदी भाषा में पहला ‘फिक्शन’ है, जो बुकर की दौड़ में शामिल था. ऐसे में 'टॉम्ब ऑफ सैंड' अंतरराष्ट्रीय बुकर पुरस्कार जीतने वाली किसी भी भारतीय भाषा की पहली किताब बन गई है.
जिस समय आप सो रहे थे, उस समय भारत को बहुत बड़ा सम्मान मिला है
गीतांजलि श्री को मिला है अंतरराष्ट्रीय बुकर पुरस्कार.

इस किताब का सबसे पहला प्रकाशन साल 2018 में हुआ था. हिंदी नाम 'रेत समाधि'. बाद में लेखिका और अनुवादक डेज़ी रॉकवेल ने इस उपन्यास का अंग्रेजी में अनुवाद किया और नाम पड़ा "टूम ऑफ सैंड".
गुरुवार, 26 मई को लंदन में एक समारोह में लेखिका ने 50 हजार पाउंड यानी करीब 50 लाख रुपये का अपना पुरस्कार लिया और इसे अनुवादक डेजी रॉकवेल के साथ साझा किया.
इंडिया टुडे के मुताबिक इस दौरान उन्होंने कहा,
'मैंने कभी नहीं सोचा था कि मैं ऐसा कर सकती हूं. मैंने कभी बुकर का सपना नहीं देखा था, यह कितनी बड़ी बात है, मैं हैरान होने के साथ-साथ बेहद खुश, खुद को सम्मानित महसूस कर रही हूं. इस पुरस्कार के मिलने से एक अलग तरह की संतुष्टि है. रेत समाधि/टूम ऑफ सैंड उस दुनिया के लिए एक शोकगीत है जहां हम रहते हैं. बुकर निश्चित रूप से इसे कई और लोगों तक पहुंचाएगा.'
गीतांजलि श्री ने आगे कहा,
'मेरे और इस पुस्तक के पीछे हिंदी और अन्य दक्षिण एशियाई भाषाओं में एक समृद्ध और साहित्यिक परंपरा है. इन भाषाओं के कुछ बेहतरीन लेखकों को जानने के लिए विश्व साहित्य अधिक समृद्ध होगा. इस तरह की बातचीत से जीवन की शब्दावली बढ़ेगी.'
बुकर की ज्यूरी के अध्यक्ष फ्रैंक विने ने कहा,
कौन हैं गीतांजलि श्री'आखिरकार, हम गीतांजलि श्री के लेखन और डेजी रॉकवेल के किए अनुवाद को पढ़ने के बाद उपन्यास 'टूम ऑफ सैंड' की मार्मिकता और चंचलता से मोहित हो गए. यह भारत और उसके विभाजन पर एक शानदार उपन्यास है, जो मंत्रमुग्ध कर देता है. ये युवाओं, पुरुषों, महिलाओं, परिवारों और राष्ट्र को कई आयाम में दिखाता है. यह उपन्यास हमें 80 वर्षीय एक महिला के जीवन के हर पहलू और आश्चर्यचकित कर देने वाले उस अतीत में ले जाता है, जहां उसे बंटवारे के दर्द का सामना करना पड़ा.'
गीतांजलिश्री का जन्म 1957 में उत्तर प्रदेश के मैनपुरी में हुआ था, काफी समय से वे दिल्ली में रहती हैं. ‘रेत समाधि’/ 'टूम ऑफ सैंड' गीतांजलिश्री का पांचवां उपन्यास है. मूल रूप से 2018 में हिंदी में प्रकाशित हुआ 'टूम ऑफ सैंड' को अगस्त 2021 में ब्रिटेन की टिल्टेड एक्सिस प्रेस ने अंग्रेजी में प्रकाशित किया. उनकी इस किताब का अनुवाद अमेरिका के वरमोंट में रहने वाली मशहूर चित्रकार, लेखिका और अनुवादक डेजी रॉकवेल ने किया. इससे पहले भी उनकी कृतियों का अंग्रेजी, फ्रेंच, जर्मन, सर्बियन और कोरियन भाषाओं में अनुवाद हुआ है.
क्या है बुकर प्राइज?यह पुरस्कार अंग्रेजी में ट्रांसलेट और ब्रिटेन या आयरलैंड में प्रकाशित किसी एक पुस्तक को हर साल दिया जाता है. 2022 के पुरस्कार के लिए चयनित पुस्तक की घोषणा सात अप्रैल को लंदन बुक फेयर में की गई थी. जबकि विजेता का ऐलान अब किया गया है.
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