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₹600 करोड़ का एम्बिडेन्ट घोटाला, जिसमें जनार्दन रेड्डी पर 57 किलो सोना घूस लेने का आरोप लगा?

कर्नाटक में बीजेपी के खेवनहार रहे गली जनार्दन रेड्डी गिरफ्तार हो गए.

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कर्नाटक के सबसे ताकतवर लोगों में शुमार गली जनार्दन रेड्डी की ये हालत भी हुई थी.
कर्नाटक के सबसे ताकतवर लोगों में शुमार रेड्डी बंधुओं में से एक गली जनार्दन रेड्डी को बेंगलुरु की क्राइम ब्रांच ने गिरफ्तार कर लिया है. कोर्ट ने फिलहाल उन्हें 14 दिनों के लिए जेल भेज दिया है. लेकिन ये पहली बार नहीं है, जब गली जनार्दन रेड्डी जेल गए हैं. 2011 में जब कर्नाटक में बीजेपी की सरकार थी, वहां के लोकायुक्त संतोष हेगड़े ने अपनी रिपोर्ट में बेल्लारी में अवैध खनन की बात कही थी. इसमें सीधे तौर पर गली जनार्दन रेड्डी की भूमिका पाई गई थी. केंद्र में सरकार कांग्रेस की थी. मामले की सीबीआई जांच हुई और फिर सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर सीबीआई ने 5 सितंबर 2011 को गली जनार्दन रेड्डी को गिरफ्तार कर लिया. करीब 28 महीने जेल में गुजारने के बाद सुप्रीम कोर्ट ने 20 जनवरी 2015 को गली जनार्दन रेड्डी को जमानत दी थी और वो जेल से बाहर आ पाए थे.
जनार्दन रेड्डी को इस बार सेंट्रल क्राइम ब्रांच ने गिरफ्तार किया है.
जनार्दन रेड्डी को इस बार सेंट्रल क्राइम ब्रांच ने गिरफ्तार किया है.

करीब 45 महीने के बाद जनार्दन रेड्डी एक बार फिर से सलाखों के पीछे हैं. इस बार उन्हें बेंगलुरु की क्राइम ब्रांच ने गिरफ्तार किया है. और ये गिरफ्तारी 20 करोड़ रुपये के घूस के मामले में हुई है. क्राइम ब्रांच का कहना है कि प्रवर्तन निदेशालय राज्य में हुए 600 करोड़ रुपये की घोटाले की जांच कर रहा है और इसी जांच से बचाने के लिए जनार्दन रेड्डी ने 20 करोड़ रुपये की घूस ली है.
क्या है 600 करोड़ रुपये का एम्बिडेन्ट घोटाला?

एम्बिडेन्ट मार्केटिंग प्राइवेट लिमिटेड कंपनी को बाप-बेटे की जोड़ी चलाती है. इस कंपनी में करीब 15,000 लोगों के पैसे जमा हैं और कंपनी लोगों के 600 करोड़ रुपये नहीं दे रही है.

कर्नाटक में एक कंपनी है एम्बिडेन्ट मार्केटिंग प्राइवेट लिमिटेड. इसे बाप-बेटे की जोड़ी चलाती है. उनका नाम है सईद अहमद फरीद और सईद अफ़ाक अहमद. कंपनी की शुरुआत 2016 में हुई थी. ये एक तरह का इस्लामिक बैंक था, जिसमें करीब 15,000 मुस्लिमों ने पैसे जमा कर रखे थे. इस्लामिक बैंक का कॉन्सेप्ट होता है कि इसमें पैसे जमा करने पर न तो ब्याज मिलता है और न ही पैसे रखने के लिए चार्ज देना पड़ता है. माना जाता है कि कुरआन में कहा गया है कि ब्याज लेना और देना हराम है. लेकिन ये बैंक इस्लामिक बैंक के ठीक उलट था. इसमें आम बैंक से ज्यादा ब्याज दिया जाता था. जब बैंक की शुरुआत हुई थी तो कहा गया था कि ये कंपनी हर महीने 12 फीसदी का ब्याज देगी. इस कंपनी ने कुछ महीने तक तो लोगों को पैसे दिए, लेकिन उसके बाद कंपनी ने पैसे देने बंद कर दिए.
नवंबर 2017 में दर्ज हुआ था पहला केस, जांच के लिए लगी सेंट्रल क्राइम ब्रांच
एम्बिडेन्ट कंपनी, जिसपर 600 करोड़ रुपये के घोटाले का आरोप है.
एम्बिडेन्ट कंपनी, जिसपर 600 करोड़ रुपये के घोटाले का आरोप है. (फोटो: Facebook)

जब लोगों ने अपने पैसे मांगने शुरू किए, तो फरीद अहमद ने पहले तो कहा कि वो पैसे दे देगा, लेकिन इसके बाद उसने धार्मिक तर्क देने शुरू कर दिए और रिबाह जैसे शब्दों का इस्तेमाल करने लगा. रिबाह शरीयत का एक शब्द है, जिसमें कहा गया है कि इस्लाम में ब्याज लेना और देना हराम है. लेकिन जब दबाव बढ़ा तो फरीद ने कहा कि उसकी कंपनी ने रियल एस्टेट के अलावा बिटकॉइन में भी पैसे लगाए हैं और जल्दी ही कंपनी के पास पैसे आ जाएंगे और वो लोगों के पैसे चुका देगा. लेकिन फरीद कभी पैसे नहीं चुका पाया. आखिरकार नवंबर 2017 में डीजे हाली पुलिस थाने में एम्बिडेन्ट कंपनी के खिलाफ पहला केस दर्ज हुआ. मामले की जांच शुरू हुई, लेकिन इसी दौरान पुलिस पर आरोप लगने लगे कि वो मामले को दबाने की कोशिश कर रही है. इसके बाद इस मामले की जांच सेंट्रल क्राइम ब्रांच को सौंप दी गई. जब तक सेंट्रल क्राइम ब्रांच फरीद तक पहुंचती, उसने कोर्ट से अग्रिम जमानत हासिल कर ली.
ईडी ने भी मारा छापा, जब्त किए 1.97 करोड़ रुपये
ईडी ने छापेमारी करके 1.97 करोड़ रुपये जब्त किए थे.
ईडी ने सईद अहमद फरीद की कंपनी पर छापेमारी करके 1.97 करोड़ रुपये जब्त किए थे.

अब इस कंपनी पर इन्कम टैक्स डिपार्टमेंट की नज़र पड़ गई थी. 13 नवंबर, 2017 को इन्कम टैक्स डिपार्टमेंट की तरफ से इन्फोर्समेंट डायरेक्टरेट (ईडी, जिसे हिंदी में प्रवर्तन निदेशालय कहते हैं) को एक पत्र लिखा गया. इस पत्र में कहा गया था कि कंपनी का विदेश में भी कारोबार है, लिहाजा इसकी जांच ईडी ही कर सकती है. ईडी ने 4-5 जनवरी 2018 को कंपनी के ठिकानों पर छापेमारी की और कंपनी पर फेमा ऐक्ट (फॉरेन एक्चेंज मैनेजमेंट ऐक्ट) 1999 के तहत 1.86 करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया. कंपनी ने जुर्माना अदा नहीं किया तो ईडी ने छापेमारी करके कंपनी के ऑफिस से 1.97 करोड़ रुपये जब्त कर लिए.
फिर हुई गली जनार्दन रेड्डी की एंट्री
सईद अहमद फरीद के साथ कर्नाटक के पूर्व मंत्री गली जनार्दन रेड्डी.
सईद अहमद फरीद के साथ कर्नाटक के पूर्व मंत्री गली जनार्दन रेड्डी. (फोटो : Facebook)

अब एम्बिडेन्ट कंपनी सेंट्रल क्राइम ब्रांच के साथ ही इन्कम टैक्स और प्रवर्तन निदेशालय की निगाह में भी आ गई थी. 29 मई 2018 को कंपनी के खिलाफ बेंगलुरु में एक और एफआईआर दर्ज हुई. इस एफआईआर में कहा गया था कि कंपनी ने दर्जनों लोगों के साथ धोखा किया है. इस कंपनी ने 40 फीसदी ब्याज देने का वादा किया था, लेकिन अब कंपनी पैसे नहीं दे रही है. पुलिस ने एक बार फिर से फरीद और उनके बेटे अफ़ाक से पूछताछ की. इस पूछताछ में पता चला कि कर्नाटक के पूर्व पर्यटन मंत्री गली जनार्दन रेड्डी ने फरीद से 20 करोड़ रुपये लिए हैं और कहा है कि वो फरीद को ईडी की पूछताछ से बचा लेंगे. फरीद और अफ़ाक ने पूछताछ में बताया कि उन्होंने गली जनार्दन रेड्डी को 18 करोड़ रुपये का 57 किलो सोना दिया है और दो करोड़ रुपये की नकदी दी है.
बिचौलिए के जरिए दिया गया पैसा और 57 किलो सोना
57 किलो सोना और दो करोड़ रुपये की नकदी बिचौलिए के जरिए जनार्दन रेड्डी तक पहुंचाई गई.
57 किलो सोना और दो करोड़ रुपये की नकदी बिचौलिए के जरिए जनार्दन रेड्डी तक पहुंचाई गई.

सेंट्रल क्राइम ब्रांच ने अपनी जांच में पाया है कि फरीद ने ये पैसे बिचौलिए के जरिए जनार्दन रेड्डी तक पहुंचाए हैं. इनमें से पहला नाम है महफूज अली खान का, जो पहले रेड्डी के साथ हुआ करता था. 2011 में जब जनार्दन रेड्डी को अवैध खनन के मामले में गिरफ्तार किया गया था, तो उस वक्त जनार्दन रेड्डी के साथ गिरफ्तार होने वालों में महफूज अली खान भी था. 2007 में महफूज जनार्दन रेड्डी के साथ खनन कारोबार में जुड़ा था. दूसरा नाम है ब्रजेश रेड्डी, जो फरीद का जानने वाला था. महफूज अली खान ने फरीद से 18 करोड़ रुपये लिए और इस पैसे से 57 किलो सोना खरीदकर बेल्लारी के राजमहल फैन्सी जूलर्स तक पहुंचाया, जिसका मालिक रमेश के है. रमेश के भी जनार्दन रेड्डी का करीबी है. वहीं 2 करोड़ रुपये जयराम के खाते में ट्रांसफर किए गए, जो जनार्दन रेड्डी का नज़दीकी था. पुलिस कमिश्नर टी सुनील कुमार के मुताबिक पुलिस के पास इस लेन-देन के पुख्ता सबूत हैं. इसलिए सेंट्रल क्राइम ब्रांच ने 10 नवंबर को पहले तो गली जनार्दन रेड्डी को पूछताछ के लिए बुलाया और फिर गिरफ्तार कर लिया. पुलिस ने कोर्ट से जनार्दन रेड्डी की रिमांड भी मांगी थी, लेकिन कोर्ट ने रिमांड देने से इन्कार कर दिया और फिर 14 दिनों की न्यायिक हिरासत में जेल भेज दिया.
और अब बात जनार्दन रेड्डी की. क्या जनार्दन रेड्डी इतने ताकतवर हैं कि वो फरीद और उसकी कंपनी को ईडी से बचा सकते हैं. इसके लिए जनार्दन रेड्डी का इतिहास खंगालना होगा.
कॉन्सटेबल के बेटे, जो बन गए खनन माफिया

बाएं से क्रमश: गली करुणाकर रेड्डी, गली जनार्दन रेड्डी और गली सोमशेखर रेड्डी.

गली जनार्दन रेड्डी कुल तीन भाई हैं.गली करुणाकर रेड्डी, उसके बाद गली जनार्दन रेड्डी और फिर गली सोमशेखर रेड्डी. येदियुरप्पा की बीजेपी सरकार में जनार्दन रेड्डी पर्यटन मंत्री रह चुके हैं, जी करुणाकर वित्त मंत्री रह चुके हैं और जी सोमशेखर ने विधायकी होने के साथ कर्नाटक मिल्क फेडरेशन के अध्यक्ष रहे हैं. इन भाइयों के पापा कभी आंध्रप्रदेश पुलिस में कॉन्स्टेबल थे. तीनों का बचपन तंगी में बीता है. बड़े हुए, तो भाइयों ने एक चिटफंड कंपनी शुरू की. लेकिन वो ज़्यादा चली नहीं. इसके बाद 2002 में इन्होंने लौह अयस्क (आयरन ओर) की खदानें शुरू कीं. नाम रखा गया ओबुलपुरम माइनिंग कंपनी. ओबुलपुरम आंध्रप्रदेश में है. लेकिन इसका हेडक्वार्टर बेल्लारी में है. OMC के पास जितनी भी खदानों की अनुमति थी, वो सारी ओबुलपुरम में थीं. OMC के पास बेल्लारी में एक पत्थर भी खोदने की परमीशन नहीं थी. लेकिन OMC ने बेल्लारी में धड़ल्ले से अवैध खनन किया. दोनों राज्यों के खनन विभागों को धोखा देने के लिए OMC ने ऐन सीमा पर से अयस्क निकाला. आंध्र प्रदेश और कर्नाटक की सरकारें इंच-टेप लेकर यही नापती रह गईं कि खुदाई हुई कहां है. OMC ने दो राज्यों की सीमा बताने वाले चिह्न तक मिटा दिए थे.
जो खिलाफ गया, जीना हराम हो गया
बेल्लारी की खान, जिसपर रेड्डी बंधुओं का इकलौता कब्जा हुआ करता था.
बेल्लारी की खान, जिसपर रेड्डी बंधुओं का इकलौता कब्जा हुआ करता था.

कहा जाता है कि बेल्लारी में काम करने वाला एक-एक अफसर रेड्डी बंधुओं के इशारे पर ही काम करता था. पूरे इलाके में कोई नहीं था जो भाइयों के खिलाफ बोल दे. दूसरी निजी खदानों के मालिकों की भी जान आफत में थी. इनमें से एक तपल गणेश ने जब भाइयों के खिलाफ आंध्रप्रदेश और कर्नाटक हाईकोर्ट में मुकदमे दर्ज कराए, उन्हें इतना प्रताड़ित किया गया कि उन्होंने राज्य मानवाधिकार आयोग में जाकर फरियाद की. इसी तरह जब OMC के एक अफसर ने सीबीआई को गवाही देनी चाही तो उसका भी जीना हराम कर दिया गया. राज्य सरकार के सीनियर अफसर जब कार्रवाई करते, तो सरकार के मंत्री ही उनका तबादला करा देते. उन दिनों कहा जाता था कि बेल्लारी एक अलग ही मुल्क है, जहां रेड्डी बंधुओं की हुकूमत चलती है.
फिर मिला सुषमा का आशीर्वाद, जो भाइयों को खूब फला
बीजेपी से रेड्डी बंधुओं की दोस्ती इस तस्वीर में साफ है.
बीजेपी से रेड्डी बंधुओं की दोस्ती इस तस्वीर में साफ है.

कांग्रेस ने 1999 में तय किया कि अब सोनिया गांधी संसद में जाएंगी. सोनिया अपना पहला चुनाव हर हाल में जीतें, इसके लिए उनका पर्चा दो जगह भरा गया. पहला अमेठी से और दूसरा कर्नाटक में कांग्रेस के गढ़ बेल्लारी से. सोनिया को हराने के लिए भाजपा ने बेल्लारी से टिकट दिया सुषमा स्वराज को. सुषमा बेल्लारी आईं और तभी वो तस्वीर खींची गई जिसमें सुषमा जनार्दन रेड्डी और बीएस श्रीरामलु के सिर पर हाथ रखे हुए हैं, जैसे शादियों में आशीर्वाद दिया जाता है. रेड्डी बंधुओं ने तभी से सुषमा को थाई (माने मां) कहना शुरू किया. 1999 तक कांग्रेस बेल्लारी में एक भी चुनाव नहीं हारी थी. 1999 में भी नहीं हारी. लेकिन वो अमेठी से भी जीतीं और उन्होंने बेल्लारी सीट छोड़ दी. सोनिया के जाने के तुरंत बाद हुए चुनाव को छोड़ दें तो कांग्रेस दोबारा आज तक बेल्लारी की लोकसभा सीट नहीं जीत पाई है. क्योंकि इलाके पर कब्ज़ा हो गया था भाजपा का. और भाजपा ने ये कब्ज़ा रेड्डी बंधुओं के कंधों पर चढ़कर ही किया था.
जब भाइयों ने चलाया ऑपरेशन लोटस और बनी बीजेपी सरकार
ऑपरेशन लोटस की वजह से ही येदियुरप्पा मुख्यमंत्री बन पाए थे.
ऑपरेशन लोटस की वजह से ही येदियुरप्पा मुख्यमंत्री बन पाए थे.

भाजपा और रेड्डी बंधुओं की दोस्ती का सबसे तगड़ा किस्सा 2008 में जाकर लिखा गया. भाजपा और येदियुरप्पा तब 110 सीटों पर अटक गए थे. सरकार बनाने के लिए तीन और विधायकों की ज़रूरत थी. तब रेड्डी बंधुओं को याद किया गया. रेड्डी बंधुओं ने अपना जादू चलाया और पांच निर्दलीय विधायकों को ‘जीत’ लिया. येदियुरप्पा की सरकार बन गई. लेकिन येदियुरप्पा और भाजपा चाहते थे कि सरकार बनाने लायक विधायक भाजपा के ही पास हों तो बेहतर रहेगा. तब चलाया गया ‘ऑपरेशन लोटस’. इसके तहत भाजपा ने कांग्रेस से तीन और जनता दल (सेक्युलर) से चार विधायक तोड़ लिए. इन विधायकों ने सदन की सदस्यता से इस्तीफा दे दिया और भाजपा में शामिल हो गए. नतीजे में इन सभी सीटों पर उप-चुनाव हुए जिनमें ये सारे नेता बतौर भाजपा कैंडिडेट लड़े. इनमें से पांच जीत भी गए. तो भाजपा के पास अपने दम पर सदन में 115 विधायक हो गए. कर्नाटक में ये ओपन सीक्रेट है कि ऑपरेश लोटस में रेड्डी बंधुओं ने पानी की तरह पैसा बहाया था. अगले ही साल जनार्दन रेड्डी ने तिरुपति मंदिर में 45 करोड़ रुपए का हीरे जड़ा मुकुट चढ़ाया था.
फिर शुरू हुआ राजनीति में ट्रांसफर-पोस्टिंग का खेल और बीजेपी से बगावत

बीजेपी के सत्ता में आने के बाद बेल्लारी का हर अफसर रेड्डी बंधुओं के इशारे पर नाचता था.

रेड्डी बंधु ‘एक हाथ से दे, एक हाथ से ले’ में विश्वास करते थे. कभी भाजपा भाइयों से फायदा उठाती, कभी भाई भाजपा से. ऑपरेशन लोटस के ज़रिए भाजपा की पूर्ण बहुमत वाली सरकार बनाने के बाद रेड्डी बंधुओं ने अपने मंत्रालयों (पर्यटन और वित्त) में मनमाफिक अफसरों की नियुक्ति करनी चाही. यही नहीं, वो बेल्लारी ज़िले में भी ऐसे अफसरों की तैनाती चाहते थे, जो उनके काम में अड़ंगा न डालें. येदियुरप्पा ने ये सारी मांगें मानने से इनकार कर दिया. फिर 2009 में येदियुरप्पा ने मांग की कि बेल्लारी से लौह अयस्क लेकर निकलने वाला हर ट्रक बाढ़ राहत के लिए 1000 रुपए की रसीद कटवाए. रेड्डी बंधुओं का धीरज जवाब दे गया. उन्होंने बगावत कर दी. भाजपा का केंद्रीय नेतृत्व भाइयों को खोना नहीं चाहता था. तो येदियुरप्पा को अपनी ही सरकार से अपने पसंद के अफसरों को हटाना पड़ा. येदियुरप्पा कैबिनेट में अकेली महिला मंत्री शोभा करंडलगे को भी रेड्डी बंधुओं के दबाव में पद छोड़ना पड़ा.
और फिर इनके अच्छे दिन बीत गए
जनार्दन रेड्डी अवैध खनन मामले में गिरफ्तार हुए. उन्हें सुप्रीम कोर्ट से सशर्त जमानत मिली थी.
जनार्दन रेड्डी अवैध खनन मामले में गिरफ्तार हुए. उन्हें सुप्रीम कोर्ट से सशर्त जमानत मिली थी.

कर्नाटक और आंध्रप्रदेश में रेड्डी बंधुओं के खिलाफ मामले बहुत धीमे चले, लेकिन बंद नहीं हुए. 2009 में कर्नाटक में अवैध खनन के मामलों की जांच सीबीआई को सौंप दी गई. साल 2011 में कर्नाटक के लोकायुक्त जस्टिस संतोष हेगड़े ने इस मामले में अपनी रिपोर्ट पेश की. इसी जांच में ये मालूम चला कि न आयरन ओर की खुदाई करने वालों के पास माइनिंग पर्मिट था, न आयरन ओर की ढुलाई करने वालों के पास ट्रांसपोर्ट पर्मिट था और न ही ओर का निर्यात करने वालों के पास एक्सपोर्ट पर्मिट था. ये सही मायनों में गोरखधंधा था. रिपोर्ट में जी जनार्दन रेड्डी की कंपनियों का सीधा नाम लेकर उन्हें अवैध ओर निर्यात में शामिल बताया गया. जब येदियुरप्पा को भ्रष्टाचार के आरोपों के चलते सीएम पद छोड़ना पड़ा, तो रेड्डी बंधुओं के मंत्रीपद भी जाते रहे. 2009 में सीबीआई द्वारा इस मामले में पहली एफआईआर दर्ज किए जाने के पूरे 21 महीने बाद 2011 में जनार्दन रेड्डी गिरफ्तार हुए. सबूत छुपाने के लिए इतना समय मिलने के बावजूद उनके घर से 30 किलो से ज़्यादा सोना और 1.5 करोड़ से ज़्यादा का कैश बरामद हुआ. जनार्दन रेड्डी की गिरफ्तारी से कुछ ही वक्त पहले उनके बहनोइ बी.वी श्रीनिवास रेड्डी को भी गिरफ्तार कर लिया गया था. लेकिन ये गिरफ्तार होकर भी नहीं माने सोमशेखर रेड्डी पर बेल के लिए जज को घूस देने का इल्ज़ाम लगा था. इस कांड को कैश फॉर बेल कांड कहा गया था.
भाजपा से बाहर, फिर भाजपा के अंदर
सुषमा से नज़दीकी के बाद भी रेड्डी बंधु 2011 में बीजेपी छोड़कर चले गए. 2018 में बीजेपी मज़बूरी में उन्हें वापस ले आई, ,लेकिन चुनाव में कामयाबी हासिल नहीं हुई.
सुषमा से नज़दीकी के बाद भी रेड्डी बंधु 2011 में बीजेपी छोड़कर चले गए. 2018 में बीजेपी मज़बूरी में उन्हें वापस ले आई, ,लेकिन चुनाव में कामयाबी हासिल नहीं हुई.

2011-12 में येदियुरप्पा ने भी भाजपा छोड़ी और रेड्डी बंधुओं ने भी. येदियुरप्पा ने कर्नाटक जनता पक्ष नाम से पार्टी बनाई और बी श्रीरामलु ने बीएसआर कांग्रेस. दोनों ने 2013 में जितना ज़ोर खुद जीतने पर नहीं दिया, उतना भाजपा को हराने पर दिया. लेकिन इससे कुछ हासिल नहीं हुआ. 2018 के चुनाव आते-आते येदियुरप्पा भी भाजपा में वापस आ गए. रेड्डी बंधुओं के खिलाफ चल रहे केस भी धीरे-धीरे धीमे पड़ गए और चुनाव आते-आते सीबीआई ने एक-एक करके ‘तकनीकी कारणों’ से केस बंद करने शुरू कर दिए. चुनाव से पहले भाजपा ने कह दिया कि बेल्लारी में रेड्डी एंड कंपनी के बिना चुनाव लड़ना संभव नहीं है और चुनाव जीतना उनके लिए बेहद ज़रूरी है. तो रेड्डी बंधुओं को सात सीटें दी गईं. बेल्लारी, रायचूर और चित्रदुर्ग की 22 सीटों का इंचार्ज भी बनाया गया. लेकिन अब जब बीजेपी चुनाव हार गई और कर्नाटक में कांग्रेस-जेडीएस गठबंधन की सरकार बनी तो गली जनार्दन रेड्डी एक बार फिर से सलाखों के पीछे हैं. और यही वजह है कि गली जनार्दन रेड्डी बार-बार कह रहे हैं कि उन्हें सियासत के तहत कांग्रेस-जेडीएस गठबंधन की सरकार ने जेल भेजा है.