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कुछ 'काम' का किया कीजिए. जैसे राजस्थान के अलवर अर्बन कॉपरेटिव बैंक (AUCB) के अफसरों ने किया. इन्होंने इंटरनेट से 400 लोगों की तस्वीरें डाउनलोड कर के फ़र्ज़ी पैन कार्ड बनवाए. फिर इन पैन कार्ड्स के ज़रिए 92 फर्ज़ी अकाउंट खोले और हर अकाउंट से 9 लाख का लोन निकाल लिया. माने कुल 8.28 करोड़. इसके अलावा इन्होंने रिकार्ड्स में हेरफेर कर के 4.75 करोड़ रुपए AUCB के उन खातों से निकालकर यहां-वहां किए, जो भारतीय स्टेट बैंक में थे.
इस मामले में अब तक बैंक के चेयरमैन, सीईओ, डायरेक्टर और सीए समेत 6 लोग गिरफ्तार हो चुके हैं. इस पूरी स्कीम का मास्टरमाइंड अभिषेक जोशी बताया जाता है, जिसका भाई बैंक का चेयरमैन था और पिता बैंक का डायरेक्टर.
कैसे पकड़ आए?

पिक्चर:Reuters
मामला तब सामने आया जब नोटबंदी के बाद बैंक के कर्मचारी एक करोड़ 38 लाख के पुराने नोट बदलवाने दिल्ली जा रहे थे. रस्ते की रूटीन नाकेबंदी में ये पकड़ में आए. पूछ-ताछ में इन्होंने बैंक के चेयरमैन का नाम ले दिया. वहां से जांच शुरू हुई और धीरे-धीरे इनकी कारस्तानी का पता चला. मामला अब राजस्थान के स्पेशल ऑपरेशन ग्रुप (SOG) के पास है जो आगे जांच कर रहा है. ईडी की मदद भी ली जाने वाली है.
SOG इस बात की जांच भी कर रहा है कि कहीं इस घोटाले में बैंकिंग मामलों से जुड़े सरकारी अफसरों की मिलीभगत तो नहीं थी. क्योंकि यहां बिना रोक-टोक लम्बे समय से फर्जीवाड़ा चल रहा था.
कैशियर की खुदखुशी:
इसी बैंक के कैशियर झम्मन लाल ने 27 दिसंबर को मथुरा के एक होटल में खुदख़ुशी कर ली थी. झम्मन से भी इस मामले में पूछ-ताछ हुई थी और उनके परिवार वालों का आरोप है कि झम्मन ने SOG की पूछताछ से तंग आकर ही जान दी.