इस मामले की जांच के लिए एसआईटी गठित की गई थी. आईपीएस अफ़सर आरके विश्वकर्मा और एडीजी नीरा रावत ने जांच रिपोर्ट सरकार को सौंपी थी. ऐसा बताया जा रहा है कि इसी रिपोर्ट में अमिताभ ठाकुर पर आपराधिक षड्यंत्र रचने का आरोप लगाया गया है.

अमिताभ ठाकुर को ले जाती पुलिस. (तस्वीर- पीटीआई)
इंडिया टुडे/आजतक के सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक़, पुलिस ने महिला और उनके दोस्त के सोशल मीडिया लाइव वीडियो के बयान को ही "डाइंग डेक्लरेशन" माना है. एसआईटी की रिपोर्ट के आधार पर लखनऊ के हजरतगंज कोतवाली में मुकदमा दर्ज हुआ. एफआईआर में सांसद अतुल राय और अमिताभ ठाकुर के नाम हैं. इसके बाद ठाकुर की गिरफ़्तारी हुई.
अमिताभ ठाकुर की गिरफ़्तारी का एक वीडियो भी वायरल हो रहा है. इसमें देखा जा सकता है कि वो पुलिस की गाड़ी में बैठने से इनकार कर रहे हैं. वो पुलिस अधिकारियों से वॉरंट दिखाने की मांग भी कर रहे हैं. लेकिन पुलिस ने उनको जबरन गाड़ी में बिठा दिया. इसे लेकर अलग-अलग प्रतिक्रियाएं आ रही हैं.
युवा कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष बीवी श्रीनिवास ने एक वीडियो ट्वीट किया और लिखा,
"ये व्यक्ति कोई गुंडा या आतंकवादी नहीं है, बल्कि उत्तर प्रदेश के पूर्व IPS अधिकारी अमिताभ ठाकुर हैं. हाल में ही CM अजय सिंह बिष्ट के खिलाफ गोरखपुर से चुनाव लड़ने का ऐलान किया था. अब मुकदमों का दौर शुरू हो चुका है."

शुक्रवार 27 अगस्त को गिरफ्तार कर लिए गए पूर्व आईपीएस अधिकारी अमिताभ ठाकुर. (तस्वीर- पीटीआई)
पुलिस अधिकारी रहते हुए यूपी की सरकारों से टकराव के दौरान अमिताभ ठाकुर ने कई बार RTI और PIL दाखिल कीं. इनमें से कुछ पर उन्हें कोर्ट ने फटकार भी लगाई. साल 2003 और साल 2014 में उन्हें निलंबित भी किया गया था. 5 बार उनके खिलाफ विभागीय कार्रवाई भी हुई. संपत्ति के मामले में भी उन पर आरोप लगे. लेकिन उन्होंने कहा- कैसी भी जांच करा लो, सब लीगल है, मैंने कुछ गलत नहीं किया. इस मामले में कह सकते हैं कि अमिताभ ठाकुर का दावा सही निकला. उन पर संपत्ति वाले आरोप साबित नहीं हो सके.
कुल मिलाकर अमिताभ ठाकुर ने अपने करियर के दौरान कई उतार-चढ़ाव देखे हैं. कुछ लोग उन्हें ईमानदार पुलिस अधिकारी मानते हैं तो कुछ उन्हें जबरन फड्डे में टांग अड़ाने वाला व्यक्ति कहते हैं. रिटायर होने के बाद अमिताभ ठाकुर ने अपने घर के नेम प्लेट पर लिख दिया है- अमिताभ ठाकुर (जबरिया रिटायर्ड).